एमबीए युवा ने 60 हजार की नौकरी छोड़ अपनाया गोपालन

80 हजार रूपए कमा रहा, 5 लोगों को रोजगार भी दिया

पाथेय डेस्क । सीकर

देश में बेरोजगारी के बढते दौर में कोई नौकरी छोडकर पशुपालन करे तो एक बारगी हर किसी को आश्चर्य होगा, लेकिन पशुपालन करके अपना करियर बदला है सीकर जिले नेछवा गांव के ढहर का बास निवासी एमबीए डिग्रीधारी युवा श्रीकांत शर्मा ने। उन्होंने नई सोच और तकनीक अपनाकर खेती और पशुपालन को भी बड़े कारोबार का रूप देकर असंभव का संभव कर दिखाया है। 35 वर्षीय श्रीकांत शर्मा ने वर्ष 2007 में एमबीए की डिग्री हासिल कर नौकरी की तलाश की। उन्होंने 2017 तक दिल्ली में 60 हजार रुपए मासिक पैकेज पर एक निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी की।
श्रीकांत ने बताया कि 60 हजार रुपए मासिक कमाने पर भी परिवार से दूरी और सोच के अनुसार विकास नहीं हुआ तो उसने आत्मसंतुष्टि के लिए नौकरी छोड़कर स्वरोजगार शुरू करने की योजना बनाई। परिवार गोपालन से जुड़ा हुआ होने से उसने वर्ष 2018 में देशी गोपालन से ही स्वरोजगार का रास्ता निकाला। महज 1 साल बाद ही देशी गाय की डेयरी व जैविक खेती से वे 80 हजार रु. मासिक कमा रहे हैं। साथ ही 5 लोगों को 12-12 हजार रु. मासिक वेतन पर रोजगार दे रखा है।

गांव से दूरी अधिक थी तो लीज पर ली जमीन
श्रीकांत का पैतृक गांव सीकर शहर से काफी दूर है। शहरी क्षेत्र में गोपालन के स्वरोजगार के लिए 10 किलोमीटर दूर भादवासी गांव में 15 बीघा जमीन लीज पर ली। इसके बाद जैसलमेर से थारपारकर नस्ल की 5 गाय लाया और डेयरी व्यवसाय शुरू किया। हालांकि गाय के दूध की मार्केट वेल्यू भैंस के दूध से कम थी। ऐसी स्थिति में मार्केट की समस्या देखते हुए श्रीकांत ने हार नहीं मानी। घर-घर जाकर देशी गाय के दूध की मार्केटिंग की। उनका व्यवसाय चल निकला। उन्होंने 5 परिवारों से 20 लीटर दूध की सप्लाई शुरू की। धीरे-धीरे लोगों में विश्वास बढ़ने लगा। आज वह 60 घरों में रोज 125 लीटर बोतल पैक दूध बेचकर 2500 रुपए प्रतिदिन कमा रहा है।

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