कन्वर्जन राष्ट्रीय समस्या, इसके लिए सर्वसमाज को एक होकर लड़ना होगा- भगवान सहाय

कन्वर्जन राष्ट्रीय समस्या, इसके लिए सर्वसमाज को एक होकर लड़ना होगा- भगवान सहाय

कन्वर्जन राष्ट्रीय समस्या, इसके लिए सर्वसमाज को एक होकर लड़ना होगा- भगवान सहायकन्वर्जन राष्ट्रीय समस्या, इसके लिए सर्वसमाज को एक होकर लड़ना होगा- भगवान सहाय

उदयपुर, 26 मई। जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के बैनर तले 18 जून को उदयपुर में होने वाली डीलिस्टिंग-हुंकार महारैली की तैयारी के लिए पूरे राजस्थान में जागरूकता कार्यक्रमों का दौर जारी है। विशेष रूप से जनजाति बहुल क्षेत्रों में जनजाति सुरक्षा मंच सहित विभिन्न सहयोगी संगठनों की ओर से रैलियां, नुक्कड़ सभाएं, बैठकों का दौर नियमित चल रहा है।

इसी क्रम में उदयपुर जिले के जनजाति बहुल कोटड़ा क्षेत्र में आयोजित सभा में मुख्य वक्ता भगवान सहाय ने डीलिस्टिंग की आवश्यकता बताते हुए कहा कि जनजाति समाज के ऐसे लोग जिन्होंने अपनी सनातन संस्कृति, पूजा पद्धति, रीति रिवाज और पूर्वजों की विरासत को छोड़ दिया है, उन्हें जनजाति का आरक्षण नहीं मिले, इसे लेकर उदयपुर में 18 जून 2023 को हुंकार रैली का आयोजन हो रहा है।

सहाय ने बताया कि लोकसभा में ऐसा कानून बने, जिससे हमारा धर्म और समाज बचा रहे, इसलिए कानून में संशोधन करने की आवश्यकता है। कन्वर्ट हो चुका व्यक्ति यदि फिर से मूल धर्म में वापस लौट कर आता है तो उन्हें उनका हक अवश्य मिले, लेकिन कोई व्यक्ति वापस लौटकर नहीं आता है तो उन्हें जनजाति की सूची से डीलिस्ट किया जाए। पूरे देश में कन्वर्ट हो चुके लोगों को डीलिस्ट करने के अभियान को लेकर राष्ट्रपति के नाम अब तक 28 लाख जनजाति बंधुओं ने हस्ताक्षर किए हैं और ज्ञापन दिए जा चुके हैं।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताया कि 5 प्रतिशत कन्वर्टेड सदस्य कैसे अपात्र होकर भी 95 प्रतिशत जनजाति समाज की 70 प्रतिशत से अधिक नौकरियां, छात्रवृत्ति और विकास अनुदान हड़प रहे हैं। संगोष्ठी में डिलिस्टिंग कानून बनने तक सामाजिक जागरूकता और संघर्ष का संकल्प जारी रखने का आह्वान किया गया। जनजाति सुरक्षा मंच तब तक संघर्ष करेगा, जब तक कन्वर्टेड व्यक्ति को जनजाति की पात्रता और परिभाषा से बाहर नहीं निकाला जाता।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि उदयपुर में 18 जून को आयोजित होने जा रही हुंकार डीलिस्टिंग रैली के दौरान कोटड़ा क्षेत्र से दस हजार से अधिक महिला एवं पुरुष परंपरागत वेशभूषा, संस्कृति और लोक वाद्य यंत्रों के साथ शामिल होंगे।

इससे पूर्व, उदयपुर जिले के सलूंबर में जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सूर्य नारायण सूरी ने कहा कि देश में 12 प्रतिशत जनजाति समाज व उसकी 700 जातियां आज अपने अस्तित्व व अस्मिता की लड़ाई लड़ रही हैं, क्योंकि मूल जनजाति आज संविधान के लाभ से यदि वंचित है तो उसका कारण कन्वर्टेड व्यक्ति हैं, इसीलिए संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन होना आवश्यक है।

सूरी ने कहा कि भारत का संविधान न्याय और कल्याण के लिए कई प्रावधान करता है। इस क्रम में संविधान के अनुच्छेद 341 में अनुसूचित जातियों के लिए प्रावधान है कि वे कन्वर्जन के पश्चात आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएंगे, परन्तु संविधान में चूक के कारण जनजातियों के लिए अनुच्छेद 342 में ऐसा प्रावधान नहीं है। मूल रूप से यह भारी विसंगति है एवं मूल संस्कृति वाली बहुसंख्यक जनजाति के लिए उचित नहीं है। इस संबंध में 1968 में डॉ. कार्तिक उरांव पूर्व सांसद ने 348 सांसदों के समर्थन के साथ संसदीय कानून द्वारा संशोधन का प्रावधान भी रखा था, जो 1970 से लोकसभा में पास होने हेतु अटका हुआ है। उसी के अंतर्गत जनजाति समाज के हित की आवाज उठाने हेतु जनजाति सुरक्षा मंच 2006 से इसे लागू करवाने का प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जनजाति समाज की पहचान उसकी संस्कृति, पहनावा, खानपान, गोत्र, कुलदेवता व रीति रिवाज आदि हैं। इसीलिए ईसाई या मुस्लिम कभी जनजाति समाज का हिस्सा नहीं हो सकते और जनजाति समाज के लोग ईसाई या मुस्लिम नहीं हो सकते। दोनों में धार्मिक असमानता है। ईसाइयत व इस्लाम एकेश्वरवाद से चलते हैं, जबकि जनजातीय समाज मूर्ति उपासक होते हुए प्रकृति पूजक है। जनजातीय समाज को संविधान प्रदत्त सुविधाएं संस्कृति व प्रकृति की रक्षा के लिए मिली हैं, ऐसे में मूल जनजातीय समाज को इसका लाभ मिलना चाहिए। कन्वर्टेड लोगों को जनजातीय सूची से बाहर निकालना जनजाति सुरक्षा मंच का उद्देश्य है। वह इसी के लिए आवाज उठा रहा है।

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