कला के माध्यम से समर्थ समाज का निर्माण हमारा लक्ष्य: डॉ. भागवत

कला के माध्यम से समर्थ समाज का निर्माण हमारा लक्ष्य: डॉ. भागवत

कला के माध्यम से समर्थ समाज का निर्माण हमारा लक्ष्य: डॉ. भागवत

  • संस्कार भारती के मुख्यालय  ‘कलासंकुल का लोकार्पण

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय कला संकुल का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय कलाएं मात्र मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि मनुष्य के अंदर के शिवत्व की अभिव्यक्ति हैं। पश्चिम ने कलाओं के माध्यम से महज रंजन को चुना, इसलिए उनकी कला अधूरी है और वे सुख की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। सुख के लिए वे भारत की तरफ देख रहे हैं क्योंकि भारत उस मूल तक जाता है जहां से सुख की भावना पैदा होती है। ऐसी समृद्ध कलाओं के माध्यम से समर्थ समाज का निर्माण करना हम सभी का लक्ष्य है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कलाकार एवं राष्ट्रीय नाट्यविद्यालय के अध्यक्ष परेश रावल ने ऑनलाइन माध्यम से की। इस अवसर पर संस्कार भारती के संरक्षक बाबा योगेंद्र जी भी उपस्थित थे। पहले इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन विज्ञान भवन में होना तय हुआ था और इसे लेकर सभीतैयारियां पूरी हो गई थीं, परंतु कोविड महामारी की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के कारण इसे  ‘कला संकुल’ में ही प्रतीकात्मक रूप में आयोजित किया गया।

डॉ. भागवत ने कहा कि भारतीय कला से मनुष्य की चित्तवृत्ति को अपार शांति का अनुभव होता है। वैसे भारतीय मूल से जीवन की जो भी वृत्तियाँ उभरी हैं वे सभी बातें इसी की पूर्ति करती हैं। सत्य में शिवत्व को देखना है तो उसमें करुणा का पुट आवश्यक है। कला उस संवेदना की अभिव्यक्ति है। कला के इस प्रवाह को सुरक्षित रखना हम सबका राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘कला संकुल’ के माध्यम से सभी कलाओं के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु ठोस प्रयास होंगे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और संघ के नूतन सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने दीप प्रज्ज्वलित कर और नारियल फोड़कर ‘कला संकुल’ का उद्घाटन किया। उद्घाटन के पश्चात सरसंघचालक डॉ. भागवत के हाथों के प्रिंट लिए गए, जिन्हें संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में संरक्षित करेगी। इस अवसर पर मालिनी अवस्थी,  अनूप जलोटा, अनवर आली खान, सुगंधा शर्मा, वसीफुद्दीन डागर, पंडित धर्मनाथ मिश्र और पंडित रामकुमार मिश्र जैसे उच्चकोटि के कलाकारों ने अत्यंत मनमोहक ‘रागदेश’ प्रस्तुत किया। इसके बाद संस्कार भारती की चार दशक की यात्रा और कला संगम की सम्पूर्ण कल्पना पर आधारित एक संक्षिप्त वृत्तचित्र प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह  भैय्याजी जोशी, वर्तमान सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य और अरुण कुमार, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख  रामलाल, वरिष्ठ प्रचारक  इंद्रेश कुमार, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक  जे. नंदकुमार, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री  प्रकाश जावड़ेकर, केन्द्रीय युवा एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरण रिजिजू, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, राज्यसभा सदस्य पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, लोकगायिका पद्मविभूषण तीजनबाई, नेशनल गॅलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट्स के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध शिल्पकार अद्वैत गडनायक, लेखक चिंतक पद्मश्री नरेंद्र कोहली, मणिपुरी नर्तक पद्मभूषण राजकुमार सिंह जीतसिंह एवं गायक पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र सहित समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक विभूतियाँ उपस्थित थीं। कार्यक्रम में संस्कार भारती के महामंत्री अमीर चंद, संगठन मंत्री  अभिजीत गोखले, उपाध्यक्ष हेमलता एस. मोहन, कार्यक्रम के संयोजक अनुपम भटनागर एवं सहसंयोजक भूपेंद्र कौशिक भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने कहा कि कलाकारों के माध्यम से समाज को जोड़ने और दिशा देने का काम इस ‘कला संकुल’ के माध्यम से होगा। उन्होंने कहा, “हमारा ध्येय है कि देश में शांति, आनन्द, परिश्रम और भक्ति का माहौल बने। हमारा यह गतिविधि केंद्र कला एवं कला साधकों को साथ लेकर राष्ट्रनिर्माण के लिए नित्य निरत रहेगा।”

ऑनलाइन माध्यम से जुड़े संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष  वासुदेव कामत ने कहा कि स्थापना से आज तक संस्कार भारती का कोई केंद्रीय कार्यालय नहीं था। ऐसी स्थिति में कार्यकर्ता और कला साधक जहाँ कार्यरत थे, वही स्थान कार्यालय बन जाता था। “सौभाग्य से अनेक वर्षों के पश्चात देश की राजधानी में हमारे कार्यालय, ‘कला संकुल’ का लोकार्पण हो रहा है। इस कला संकुल के माध्यम से कला निर्मिति, कला विचार का प्रसार, संस्कार भारती का विचार-प्रसार पूरे देश में, आम जनमानस तक सरस्वती की तरह बहता रहेगा ऐसा विश्वास है। हमारा लक्ष्य है कि कला के माध्यम से समाज के मन पर राष्ट्रीय संस्कार जाग्रत हों।“

अपने वीडियो संवाद में कार्यक्रम के अध्यक्ष परेश रावल ने कहा: “कला-संस्कृति के क्षेत्र में वर्षों से कार्यरत महत्वपूर्ण उपक्रम संस्कार भारती के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय के लोकार्पण के अवसर पर मेरा मन सुखद भावों से भर रहा है।जब केंद्र स्थिर होता है तो परिधि का विस्तार हो पाता है।संस्कार का प्रसार सदा ही संवाद माध्यमों के प्रयोग से किया जाता है और सारे संवाद माध्यम संस्कार प्रसार के माध्यम बन जाएँ, यह संस्कार भारती का उद्देश्य है। मुझे विश्वास है कि केंद्रीय कार्यालय के कारण इस दिशा में केंद्रित प्रयास होंगे।”

नई दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित संस्कार भारती का नवीन मुख्यालय ‘कला संकुल’ मूलतः कला-संस्कृति की गतिविधियों को समर्पित परिसर है जिसमें कला, साहित्य, रंगमंच, सहित अनेक विधाओं का संयोजन एवंसंवर्धन किया जाएगा। इस भवन में कला-संस्कृति की पुस्तकोंसे सुसज्जित एक समृद्ध पुस्तकालय, आर्ट गैलरी, सभागार, स्टूडियो एवं कांफ्रेंस रूम की सुविधा भी उपलब्ध है। आनेवाले समय में यह कला-संस्कृति के बड़े केंद्र के रूप में विकसित होने वाला है।

संस्कार भारती का परिचय:

संस्कार भारती एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन है, जो भारत की परम्परागत शास्त्रीय, लोक और आधुनिक कलाओं के माध्यम से लोक जीवन में राष्ट्रीय मूल्यों के बीजारोपण केलिए कृत संकल्प एवं प्रयत्नशील है। मूल्य आधारित कला मनोरंजन द्वारा व्यक्ति का विकास ही संस्कार भारती का लक्ष्य है। प्राचीन और आधुनिक के समन्वय और प्रतिभाशाली युवा कलाकर्मियों को नए प्रयोग की भूमि प्रदान करने में इसका विश्वास है ताकि भारत की कला धरोहर नित आगे बढती रहे और नए क्षितिज प्राप्त करे। संस्कार भारती ‘सा कला याविमुक्तये’ की संकल्पना को लेकर कला एवं संस्कृति के उन्नयन में बीते चार दशकों से नित्य निरत है। अपने इन्हीं उदेश्यों को मूर्त रूप देने के लिए ‘कला संकुल की स्थापना की गयी है।

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