किसान संघ ने किसानों के लिए लाए गए अध्यादेशों में संशोधन की मांग की

किसानों के लिये लाए गए अध्यादेशों में संशोधन की मांग

किसानों के लिये लाए गए अध्यादेशों में संशोधन की मांग

जयपुर, 22 अगस्त। देश के सबसे बड़े गैर राजनैतिक किसान संगठन भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिये लाए गए अध्यादेशों में संशोधन की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। कृषि मंत्री से हुई बातचीत के बारे में जानकारी देते हुये किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि उपज के व्यापार सम्बन्धी तीनों अध्यादेशों में बहुत बड़ी खामियां हैं। जिनको दूर किया जाना अति आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर को किसान हित के रूप में आवश्यक संशोधनों / सुझावों से अवगत कराया गया है। जिस पर कृषि मंत्री ने सकारात्मक रुख रखते हुये कृषि व किसान हित में आवश्यक विचार करने का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री साई रेड्डी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार अध्यादेश–2020, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश–2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा प्रकार अध्यादेश-2020 तीन अध्यादेश लाए गए थे। इनमें संशोधन की मांग को लेकर अभी तक देशभर से 168 जिलों के 600 से भी अधिक विकास खंडों के, 10 हजार ग्रामों से प्रधानमंत्री के नाम प्रस्ताव पारित कर भेजे गए हैं।

भारतीय किसान संघ ने की अध्यादेशों में संशोधन की मांग

1) सभी प्रकार की खरीद कम से कम समर्थन मूल्य पर होने का कानूनन प्रावधान होना चाहिए।
2) निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे।
3) इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए।
4) इन अध्यादेशों में ‘किसान’ की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्क संगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, उन्हें ही इस परिभाषा में किसान माना जाए। यह सुधार होना चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *