किसान आंदोलन में UAH और PFI जैसे संगठन क्या कर रहे हैं?

किसान आंदोलन में UAH और PFI जैसे संगठन क्या कर रहे हैं?

किसान आंदोलन में UAH और PFI जैसे संगठन क्या कर रहे हैं?

कुछ राजनीतिक दलों ने देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे संगठनों को एक साथ लाकर कभी आरक्षण तो कभी सीएए के नाम पर किए जाने वाले आंदोलनों की तरह इस बार किसान आंदोलन की आड़ में देश में अराजकता फैलाने की पूरी तैयारी कर ली है। इस आंदोलन के समर्थन में यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH), पीएफआई (PFI) तथा सिख्स फॉर जस्टिस (Sikhs for Justice) जैसे संगठनों के नाम सामने आने के बाद किसान आंदोलन पर किसका कब्जा है इसे आसानी से समझा जा सकता है। यूनाइटेड अगेंस्ट हेट और पीएफआई के नाम शाहीन बाग आंदोलन और दिल्ली दंगों में भी सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों हाथरस में हिंसा फैलाने के आरोप में चार पीएफआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी। सिख्स फॉर जस्टिस एक उग्रवादी संगठन है जो समय समय पर खालिस्तान की मांग करता रहा है। अब कृषि संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे पंजाबी आढ़तियों के दिल्ली कूच अभियान को हाईजैक करने के बाद ये संगठन सिख-मुस्लिम एकता की बात कर रहे हैं। सीएए विरोध के समय भी ऐसी ही बातें की गई थीं जब एक सिख व्यक्ति ने CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को लंगर खिलाया था। असलियत खुलने पर पता चला कि वो AIMIM का नेता है।

इस आंदोलन को लम्बा खींचने और उग्र बनाने की पूरी व्यवस्थाएं हो चुकी हैं। आंदोलनकारियों के रहने व खाने पीने की व्यवस्था यूनाइटेड अगेंस्ट हेट संगठन के नदीम खान, दिल्ली दंगों के आरोपी ने संभाल रखी है। इसके लिए 25 मस्जिदों के नेटवर्क को सक्रिय किया गया है। हौज खास, रोहतक, ओखला और ओल्ड दिल्ली में किचन स्थापित किए गए हैं। जहॉं से आंदोलनकारियों को उनकी माँग के अनुसार भोजन पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं।

यह अभियान वास्तव में किसानों के हित के लिए कितना लड़ा जा रहा है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस आंदोलन का एक जत्था जब हरियाणा पहुंचा, तो उसने आंदोलन के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारे भी लगाए, और इमरान खान को अपना दोस्त बताया। सिख्स फॉर जस्टिस संगठन ने किसानों को खालिस्तान को समर्थन देने के बदले 1 मिलियन डॉलर देने की पेशकश भी की। आंदोलनकारियों के झंडे पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह खालिस्तान के झंडे से मिलता जुलता है। आंदोलन में खालिस्तानी सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरों को लहराया जा रहा है, प्रधानमंत्री की हत्या की धमकियाँ दी जा रही हैं, सड़कें अवरुद्ध की जा रही हैं। सिख्स फॉर जस्टिस संगठन ने इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा फहराने की बात कही है। कुल मिलाकर आंदोलन की तह में जाओ तो पता चलता है कि इन देश विरोधी संगठनों के षड्यंत्र और शोर में वास्तविक किसान और उनके दर्द की कराहट कहीं दब गयी है।

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