किसान आंदोलन : लू के थपेड़ों में भी नहीं डिगा अन्नदाता का हौंसला

किसान आंदोलन : लू के थपेड़ों में भी नहीं डिगा अन्नदाता का हौंसला
किसान आंदोलन : लू के थपेड़ों में भी नहीं डिगा अन्नदाता का हौंसलाकिसान आंदोलन : लू के थपेड़ों में भी नहीं डिगा अन्नदाता का हौंसला
  • अपनी मांगों को लेकर जाजम पर जमे धरतीपुत्र, अन्नदाता को रोका सचिवालय घेराव से
  • भारतीय किसान संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान के अंतर्गत किसान आंदोलन
जयपुर, 17 मई। भारतीय किसान संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान के अंतर्गत मंगलवार को राजस्थान के किसान राजधानी जयपुर में जुटे। किसानों ने विद्याधर नगर स्टेडियम में अपना डेरा डाला। यहां सभा के बाद सचिवालय घेराव के लिए कूच किया। जिसे पुलिस ने कुछ दूरी पर ही डबल बैरिकेडिंग के द्वारा रोक दिया। इस दौरान किसानों ने वहीं पड़ाव डाल दिया। प्रशासन की समझाइश पर किसान वापस पांडाल में लौटे। जबकि  सरकार से वार्ता करने के लिए प्रतिनिधिमंडल सचिवालय गया। जब तक वार्ता चल रही थी, पांडाल में किसान भजन, कीर्तन, लोककला, गीत-संगीत के कार्यक्रम करते रहे। दूसरी ओर भोजन की पंगत भी सज गई।
सभा के दौरान अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य मणिलाल लबाणा ने कहा कि किसान अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि देश और विश्व का पेट भरने के लिए मेहनत करता है। किसान कच्चा सामान तैयार करता है, तब कारखाने चलते हैं। सरकार की नीयत में खोट है। आज किसान दगा और ठगी के शिकार हो रहे हैं। किसान को उपज का मूल्य नहीं मिल रहा और उपभोक्ता को भी महंगा प्राप्त हो रहा है। सरकार इस मुगालते में न रहे कि अब उसका किसानों पर कोई जादू चलने वाला है। उन्होंने कहा कि सामूहिक शक्ति से ही किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकता है।
मंजू दीक्षित ने कहा कि किसानों को कमजोर मत समझो। किसानों को बर्बाद करने के षड्यंत्र हो रहे हैं। देश का पेट भरने वाला किसान स्वयं भूखा सोने के लिए विवश है। प्रदेश महामंत्री प्रवीण सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय किसान संघ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करता है। चितौड़ प्रांत के महामंत्री अंबालाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान में 5 प्रकार से बिजली का उत्पादन होता है। इसके बावजूद सबसे महंगी बिजली राजस्थान को मिलती है। उत्पादित बिजली दूसरे राज्यों को बेच दी जाती है।
राममूर्ति मीणा ने कहा कि किसान के बेटे को पता है कि भयंकर और भीषण गर्मी में काम कैसे किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसी भी नेता को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा।
सांवरमल सोलेट ने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल के बाद भी किसान आत्महत्या के लिए विवश है। यह अब तक शासन करते आए राजनीतिक दलों के लिए शर्म की बात है। कालूराम बागड़ा ने कहा कि खेत के पानी के लिए किसान लंबी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार है।
माणिकराम परिहार ने कहा कि सरकार ने संपूर्ण कर्ज माफी का वादा किया था। लेकिन, साढ़े चार साल बाद भी किसानों को केवल बरगलाया जा रहा है, किसी को कुछ लाभ नहीं मिल रहा। बद्रीलाल जाट ने कहा कि सरकार डोडा चूरा नष्ट कराती है, लेकिन उसका मुआवजा किसानों को नहीं दिया जाता।
विनोद धारनिया ने कहा कि यह तो अभी पदाधिकारी आए हैं। जब गांव गांव से किसान आएंगे तो सरकार की चूलें हिला देंगे। इससे पहले किसान शिवदासपुरा, ठीकरिया, बस्सी, टाटियावास टोल नाके पर रुके और वहां से सामूहिक रूप से रवाना हुए।
इस अवसर पर अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य कैलाश गेंदोलिया, प्रदेश अध्यक्ष दलाराम बटेश्वर, प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद धारनिया, बद्रीलाल जाट, आन्दोलन संयोजक व युवा प्रमुख राजीव दीक्षित, जैविक प्रमुख प्रह्लाद नागर, प्रचार प्रमुख वीरेंद्र चौधरी, प्रदेश विपणन प्रमुख हीरालाल चौधरी, प्रदेश सहकारिता प्रमुख गजानंद कुमावत, कार्यालय प्रमुख करण सिंह, कोषाध्यक्ष शिवराज पुरी, रामनाथ मालव समेत प्रदेशभर की 300 से अधिक तहसीलों के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
नारों से गूंजा आसमान
किसानों ने “कौन बनाता हिंदुस्तान, भारत का मजदूर किसान…”, “नहीं किसी से भीख मांगते, हम अपना अधिकार मांगते..” अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है…” सरीखे नारों से आसमान गूंजा दिया।
सिर पर पगड़ी हाथ में नारे लिखी तख्ती
किसान आंदोलन में गांव गांव से लोग नाचते गाते और ढोल बजाते हुए सभा स्थल पर पहुंचे। किसानों के हाथों में विभिन्न नारे लिखी तख्तियां थीं, तो भारतीय किसान संघ की पताका भी मौजूद थी। सभी ने सिर पर पूरे राजस्थान का प्रतिनिधित्व करती लाल, पीली, चुनरी, मोठड़ा और मारवाड़ी समेत विभिन्न प्रकार की पगड़ी सजी हुई थी।
भीषण गर्मी में डटे रहे किसान
अपनी मांगों को लेकर धरतीपुत्र भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच भी स्टेडियम की जाजम पर जमे रहे। यहां से जब वे सचिवालय घेराव के लिए निकले तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया। इस पर किसान तपती धूप में सड़क पर बैठ गए। अंगारे उगलती सड़क और लू के थपेड़े भी उनके हौंसले डिगा नहीं सके।
किसानों को मिले उपज के मूल्य का अधिकार
आंदोलन के सह संयोजक जगदीश कलमंडा ने कहा कि सरकार किसानों को उपज के मूल्य का अधिकार, बिजली और सिंचाई का अधिकार दे। इस दौरान किसानों ने हाथों में – सरकार से एक ही मांग, फसलों का दे सही दाम, कर्जमाफी का वादा पूरा करें,  आधी अधूरी नहीं पूरी बिजली दे सरकार, हर खेत को पानी दो, हर किसान को बिजली दो, सूखी धरती करे पुकार, सिंचाई का पानी दे सरकार सरीखे नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं।
ये थीं मांगें
आंदोलन संयोजक तुलछाराम सींवर ने बताया कि आंदोलन के अंतर्गत ग्राम समितियों की बैठकों और गांव ढाणी से आई समस्याओं को मिलाकर मांग पत्र तैयार किया गया था। जिसके बाद 34 सूत्रीय मांगपत्र सरकार को सौंपा है। जिसमें सस्ते और टैक्स मुक्त कृषि आदान, उपज के आधार पर लाभकारी मूल्य देने, हर खेत को सिंचाई का पानी, 8 घंटे सस्ती व निर्बाध बिजली देने समेत विभिन्न मांगें की गई थीं।
यह था प्रतिनिधिमण्डल 
प्रतिनिधिमंडल में आंदोलन संयोजक तुलसाराम सींवर, सहसंयोजक जगदीश कलमंडा, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य मणिलाल लबाणा, महिला प्रमुख मंजू दीक्षित, सांवरमल सोलेट, छोगालाल सैनी, विनोद धारणिया उपस्थित रहे।
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