महानता और मानवता की जंग में कीका से महाराणा प्रताप तक की अद्वितीय यात्रा
आनंद प्रकाश शर्मा
किसी राजा की महानता का पैमाना क्या होना चाहिए? क्या यह सिर्फ उस राजा की साम्राज्यवादी नीति के आधार पर तय किया जा सकता है? या इसका निर्णय उस राजा के जीवन के प्रत्येक आयाम से पता लगाया जाना चाहिए! पर क्या हो अगर मैं कहूँ कि कुछ प्रसिद्ध इतिहासकारों ने ऐसे ही आधारों को प्राथमिक माना और एक युगपुरुष महाराणा के महानतम जीवन को समझने में बहुत सारी भूलें कर दीं।
हाँ, मैं बात कर रहा हूँ महाराणा प्रताप की। जिन्हें बचपन में कीका के नाम से जाना जाता था। लम्बी और मजबूत कदकाठी वाले महाराणा, जो अपने तन पर 80 किलोग्राम का भाला, 2 तलवारें (एक निहत्थे शत्रु के लिए) एवं 72 किलोग्राम का कवच अर्थात लगभग 208 किलोग्राम का वजन लिए दुश्मन से युद्ध करते थे। एक ऐसे महाराणा जिनकी महानता को शायद इतिहास में कहीं दबा दिया गया, जबकि दूसरी ओर अकबर को महानता की मूर्ति के रूप में प्रस्तुत किए जाने के भरपूर प्रयास होते रहते हैं।
इसलिए आज यह स्पष्ट करना और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि महानता और मानवता की इस जंग में कौन किसको परास्त करता है, जिसका निर्णय हम महाराणा प्रताप और अकबर के जीवन की कुछ घटनाओं से करेंगे। हल्दीघाटी के महासंग्राम से पहले दिन की घटना को देखें, जिसमें महाराणा प्रताप सिंह को पता चला था कि मुग़ल सेनापति मानसिंह युद्धभूमि देखने निकले हैं, तब कई लोगों ने मानसिंह को धोखे से मारने का सुझाव रखा, पर धोखे से निहत्थे शत्रु का वध प्रताप को अमान्य था, यह दृष्टांत शत्रु के प्रति भी प्रताप के सम्मान और आदर्शमयी जीवन की झलक प्रस्तुत करता है।
इसी प्रकार जब अमर सिंह ने अजमेर के गवर्नर ख़ान-ए-ख़ाना (जो बाद में मशहूर कवि रहीम के नाम से प्रसिद्ध हुए) के परिवार की महिलाओं और बच्चों को बंदी बना लिया था, तब प्रताप को अमरसिंह पर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने उन्हें ससम्मान वापस छोड़ने को कहा, जबकि दूसरी ओर अकबर के मीना बाजार से साफ़ स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से अकबर स्त्री भेष में आकर महिलाओं का शोषण करता था।
ये घटनाएँ प्रताप के उत्कृष्ट जीवन और अकबर के सिर्फ और सिर्फ साम्राज्यवाद की भूख को दर्शाती हैं। इतिहास में ऐसी अनेक घटनाएँ हैं जिनके आधार पर हम बिना किसी संशय के कह सकते हैं कि प्रताप वे हैं, जिन्होंने अकबर द्वारा आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को नहीं छोड़ा। प्रताप वो हैं, जिन्होंने हल्दीघाटी की माटी को इतना पवित्र बनाया कि जब अमेरिकन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी माँ से पूछा “मैं भारत से तुम्हारे लिए क्या लाऊं?” तो उन्होंने कहा “उस महान देश की हल्दीघाटी की रेत ले आओ, जिसके राजा ने अपनी प्रजा के कल्याण और मातृभूमि के प्रति निष्ठा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया”, ऐसे युगपुरुष महाराणा को मेरा शत शत नमन।
सुंदर