डॉक्टर स्वयंसेवक जो बना कुष्ठ रोगियों का सहारा
रश्मि दाधीच
जगह जगह शरीर पर घाव, कुष्ठ रोग से पीड़ित एक वृद्ध भिखारी बुरला हाईवे पर किसी तरह से सड़क पार करने का प्रयास कर रहा था, तभी देखते ही देखते किसी ने उसे अपनी बलिष्ठ बाहों में उठाकर सड़क पार करवाई। वृद्ध की आंखें खुशी, कृतज्ञता एवं आश्चर्य से भर आईं। कुष्ठ रोग के कारण जिसे अपने परिवार वालों ने त्याग दिया था, कोई उसे छूना भी नहीं चाहता था, आखिर यह कौन था???? जिसने उसे भी इंसान समझकर प्यार दिया व इलाज भी किया। यह फरिश्ता और कोई नहीं बुरला मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर उड़ीसा सेवा भारती के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. शंकर रामचंदानी थे। सन् 2019 से डॉ. शंकर ने बुरला में 57 परिवारों की कुष्ठ रोगियों की पूरी बस्ती को गोद ले लिया है। उनके स्वास्थ्य से लेकर उनके बच्चों को पढ़ाने तक की जिम्मेदारी डॉ. शंकर बखूबी निभा रहे हैं।
बुरला में लोग उन्हें भगवान का रूप मानते हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी लाइन में वृद्ध और दिव्यांगों को लंबा इंतजार करते देख डॉ. शंकर ने सम्बलपुर में अपना प्राइवेट क्लीनिक शुरू किया। जहां वे मात्र 1 रुपये में प्रतिदिन शाम को अपनी डेंटिस्ट पत्नी शिखा रामचंदानी के साथ, 40 से 50 वृद्ध और दिव्यांग मरीजों का इलाज करते हैं व जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध करवाते हैं।
बुरला के आसपास सभी क्षेत्रों में चाहे कोई एक्सीडेंटल केस हो या अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार करने में असक्षम लोग, एक फोन कॉल पर व्यक्ति विशेष की पूरी जानकारी लेकर उनकी सहायतार्थ पूरा इंतजाम करने के लिए, आज सभी के ह्रदय में पहला नाम डॉ. शंकर रामचंदानी का ही आता है। निस्वार्थ सेवा के पथ पर चलने वाले डाक्टर शंकर रामचंदानी को केंद्र व राज्य सरकार से कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।