कृषि कानून : किसान Vs किसान

कृषि कानून : किसान Vs किसान

कृषि कानून : किसान Vs किसान
किसान आंदोलन जोरों पर है। एक तरफ वे किसान हैं जो खेतों में काम कर रहे हैं। उन्हें खेतों में खड़ी फसल की चिंता है। वे फसल को पानी देने से लेकर उसकी निराई गुड़ाई और सुरक्षा में व्यस्त हैं। ये किसान नए कृषि कानून लागू होने के बाद उत्साह से लबालब हैं। क्योंकि अनेक किसानों को इन कानूनों के कारण ही उनकी फसल का समुचित लाभ मिला है। ऐसे किसानों की प्रतिदिन नई नई कहानियां पढ़ने और सुनने में आ रही हैं। ऐसे ही किसानों के कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसान दिवस पर कृषि मंत्री से भेंट की और नए कृषि कानूनों को वापस न लेने की मांग की। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में 20 राज्यों के एक लाख गाँवों के 3,13,363 किसानों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र भी सौंपे। किसानों ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। इससे किसानों के भाग्य पलट जाएंगे।

कृषि कानूनों के समर्थन में 20 राज्यों के एक लाख गाँवों के 3,13,363 किसानों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति जैसी संस्था जो देश के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों का प्रतिनिधि मंच है जिसकी स्थापना स्व. शरद जोशी ने की थी जो कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रबल समर्थक नेता रहे हैं, के प्रतिनिधियों व महाराष्ट्र के किसान नेता गुणवंत पाटिल और तमिलनाडु के मणिकंदम ने कहा कि आजादी के बाद किसानों का शोषण होता रहा है। किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं होने से अब तक वे अपनी उपज के लाभकारी दाम नहीं ले पाते थे। सरकार के इन सुधारों से किसानों को अब जाकर स्वतंत्रता मिली है।

दूसरी ओर वे किसान हैं जो सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हैं और नए कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। उन्हें इससे कम स्वीकार नहीं। वे आम किसान की तरह खेतों में नहीं हैं। बल्कि लगातार सामने आ रहे वीडियोज में आंदोलन स्थल पर लक्जरी जीवन का आनंद लेते देखे जा रहे हैं। प्रदर्शन स्थलों से आ रहे फोटो देखकर ऐसा लगता नहीं है कि ये जल्दी ही किसी निर्णय पर पहुँचने के मूड में भी हैं। वे झक सफेद मोटे मोटे रजाई, गद्दों और कम्बलों के साथ ही हाई-टेक मसाज, टैटू पार्लर, जिम, लंगर, लाइब्रेरी, पिज्जा और बिरयानी के मजे ले रहे हैं और अपने सोफे लगे ट्रैक्टरों में आराम से बैठे टेलीविजन देख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने टाटा स्काई भी लगवा लिया है।

किसान आंदोलन में किसानों के ठाठ बाट

उनके आंदोलन में देश विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लग रहे हैं। इन्हें APMC एक्ट तक न लागू करने वाले केरल के CM का खुला समर्थन है। APMC एक्ट ही  तथाकथित विरोध प्रदर्शन का मुख्य आधार है।

सरकार क्या कर रही है
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को सरकार ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उस पर उनका मत प्राप्त होने के बाद अगली बैठक होगी। सरकार हर समय उनसे वार्ता करने को तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने, बुआई से पहले उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने की गारंटी, किसान जहां चाहे अपनी इच्छा से उपज को अपने निर्धारित मूल्यों पर बेच सके, उपज की ढुलाई का खर्च बच सके, इस तरह के किसान हित में प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड जो पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेई के समय शुरू हुआ था जिसमें अभी तक 6 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रवाह कृषि क्षेत्र में होता था, केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। 1 करोड़ से ज्यादा नए किसानों को KCC के अंतर्गत लाया गया है। 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन भारत सरकार सुशासन दिवस के रूप में पूरे देश में मनाती है। इस बार सुशासन दिवस के मौके पर पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 9 करोड़ किसानों के बैंक अकाउंट में 18,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे। इस दिन एक कार्यक्रम भी आयोजित होगा, प्रधानमंत्री जिसमें मुख्य अतिथि होंगे। कृषि मंत्री ने बताया कि कल शाम तक, 2 करोड़ किसानों ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम के लिए अपना पंजीकरण कराया है। कृषि मंत्री तोमर ने कहा, सरकार की नीति और नीयत दोनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों का हित है। यदि किसान किसी मुद्दे पर भ्रम के शिकार हो गए हैं तो हमारा दायित्व उनकी शंका निवारण करने का है। लंबे समय से इस तरह के सुधारों की मांग हो रही थी, जिसे हमारी सरकार ने पूरा किया है। किसानों के लिए एक देश एक बाजार की परिकल्पना को जमीन पर उतारा है।

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