केरल में लव जिहाद और उसके परिणाम
संध्या सिंघल
केरल में लव जिहाद और उसके परिणाम
केरल स्टोरी फिल्म के रूप में लोगों के सामने अब आई है, लेकिन इसकी पटकथा का प्रारंभ बहुत पहले हो गया था। इसकी नींव में कन्वर्जन मात्र ही नहीं है, आतंकवाद की पूरी स्क्रिप्ट है। केरल में लव जिहाद अब एक कदम आगे जाकर लगभग आतंकवाद में बदल गया है।
इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि विभाजन के समय भारत में दो ऐसे संगठन थे, जो पाकिस्तान में अपना विलय चाहते थे, एक था हैदराबाद का रजाकार्स जिसका पॉलिटिकल विंग था MIM, दूसरा था मुस्लिम लीग का केरल विंग ‘इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग’। MIM का स्थापना वर्ष एक विवाद है, कुछ लोग इसे 1926 मानते हैं और कुछ लोग 1936। चंग बहादुर ने MIM की स्थापना की थी। MIM को आगे बढ़ाने का श्रेय कासिम रिजवी को जाता है। जब ऑपरेशन पोलो हुआ था और रजाकार्स ईस्ट पाकिस्तान, वेस्ट पाकिस्तान की तरह साउथ पाकिस्तान की मांग करने लगे, तब उन्हें कुछ दिन जेल में रखने के बाद पाकिस्तान भेज दिया गया। MIM का इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑफिस, आइडलोजी सब तैयार था। MIM को स्वाधीनता के बाद AIMIM में बदल दिया गया। AIMIM की स्थापना ओवैसी की दादा जी द्वारा की गई। ऑपरेशन पोलो, आर्मी और सरदार पटेल के कारण MIM साउथ पाकिस्तान नहीं बना पाए। दूसरी ओर, मुस्लिम लीग वह पार्टी है जिसके सांसद पार्लियामेंट तक पहुंचे हैं। राजनीतिक रसूख और मुस्लिम वोट बैंक के हिसाब से मुस्लिम लीग AIMIM से अधिक ताकतवर है। यहॉं मुसलमान मुस्लिम लीग के लिए संगठित रूप से वोटिंग करते रहे हैं। केरल में मुस्लिम वर्ग देश के किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक ऑर्गेनाइज्ड रहा है। केरल में ही भारत की पहली मस्जिद बनी, जो वहां के हिंदुओं ने मुस्लिम आतंकियों को उपहार में दी थी। मुस्लिमों का केरल में बसना समुद्री किनारों के पास से प्रारंभ हुआ। मल्लापुर, कन्नूर दो ऐसे शहर थे, जहां मुस्लिमों का ध्यान अधिक रहा। कश्मीर के पॉलिटिकल एजेंडे तथा अन्य आतंकी गतिविधियों के कारण राजनीतिक शक्तियां उत्तर भारत में लगी रहीं और केरल के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। मुस्लिम जनसंख्या केरल में बढ़ती गई, 1951 में यह 17.5 % थी, जो वर्तमान में लगभग 26.56% हो गई है। केरल में ईसाई और मुस्लिम विचारधारा अपना अपना विस्तार कर रही थीं, हिंदू कम्युनिटी वहां दोनों ओर से घिरी हुई थी।
अचानक जब पेट्रोल की कीमत बहुत अधिक बढ़ने लगी, तब मिडिल ईस्ट (अरब) में वर्कर्स की आवश्यकता हुई क्योंकि अरब काम करना नहीं चाहता था और वहां जनसंख्या कम थी। उन्हें वर्क फोर्स मिली केरल से। यहॉं से मुस्लिम, हिंदू, ईसाई आदि बड़ी संख्या में मिडिल ईस्ट ट्रैवल करने लगे और कम कीमत पर काम करने लगे। इस प्रकार केरल में विदेशी मुद्रा का आना शुरू हुआ, केरल की जितनी भी वर्कर फोर्स थी वह अरब की संस्कृति से प्रभावित होना शुरू हो गई। धीरे-धीरे वहां से जकात केरल आना शुरू हो गया, उसके बाद धीरे-धीरे जकात देने वालों ने अपनी शर्तें लगाना शुरू कर दिया और इस प्रकार मदरसों, मुसाफिरखानों आदि की संख्या केरल में बढ़ने लगी। इस तरह अरबी / इस्लामिक संस्कृति धीरे-धीरे केरल में फैलने लगी। भाषाएं भी बदलने लगीं। केरल के सभी भारतीय धीरे-धीरे अरब की भाषा समझने लगे और उसके प्रभाव में आने लगे। इस संस्कृति के कारण पहले केरल में सभी धर्मों के लोग पास आने लगे और एक ही प्रकार के कल्चर को, जो अरब से आ रहा था, को अपनाने लगे। इस प्रकार मनोवैज्ञानिक रूप से इस्लामिक कल्चर केरल में हावी होने लगा, और यहां से प्रारंभ हुआ कन्वर्जन और ISIS में शामिल होने का ढांचा। 1992 में जब बाबरी ढांचे को गिराया गया, उसके बाद 1994 में NDA ने नेशनल डेवलपमेंट फंड फाउंडेशन केरल में बनाया। इसकी 2006 में नेशनल कॉन्फ्रेंस कराई गई, जो कोझीकोड में आयोजित हुई और वहां इसका नाम बदलकर PFI (Popular Front of India) कर दिया गया। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने धीरे-धीरे अनेक प्रकार के छोटे-छोटे विंग्स बनाना शुरू कर दिए। केरल में कई संस्थाएं जैसे तरबियत उल इस्लाम सभा, सत्य सारणी ट्रस्ट आदि पीएफआई के साथ थीं। इन दोनों संस्थाओं पर खुले तौर पर लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट करने के आरोप लगे थे। मई 2006 में सीपीआईएम पार्टी के सीएम बने वीएस अच्युतानंद। उन्हें इंटेलिजेंस एजेंसियों से पता चला कि पीएफआई का आईएसआईएस और तालिबानियों के साथ कनेक्शन है। उन्हें यह जानकारी भी मिली कि केरल से हिंदू और ईसाई लड़कियों को मुसलमान बनाकर आईएसआईएस के लिए भेजा जा रहा है। अक्टूबर 2009 में कैथोलिक बिशप ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि 4500 ईसाई लड़कियों को इस्लाम कबूल कराया गया है, यह रिपोर्ट सरकार के सामने प्रस्तुत हुई। उसके बाद पीएफआई प्रश्नों के घेरे में आ गई। 29 सितंबर 2009 को एक केस सामने आया और केरल कोर्ट ने यह माना कि ‘लव जिहाद’ या ‘रोमियो जिहाद’ जैसी चीजें केरल में चल रही हैं। पुलिस को जांच करके रिपोर्ट देने के लिए कहा गया। एक केस में शाहनशाह और सिराजुद्दीन ने एक हिंदू और एक ईसाई लड़की को जबरदस्ती इस्लाम में कन्वर्ट करवाया। सिराजुद्दीन पर इसके बाद धारा 377 का मुकदमा भी चला। ये दोनों ही पीएफआई से जुड़े थे। 2009 के बाद केरल से लव जिहाद जैसा शब्द सामने आया, जिसको कोर्ट ने माना और यह मीडिया में फैला।
मार्च 2010 में इडुक्की जिले के न्यूमैन कॉलेज में मलयालम के प्रोफेसर ने एक पेपर सेट किया। प्रोफेसर पर पेपर में मोहम्मद का अपमान करने का आरोप लगा। 4 जुलाई 2010 को कुछ लोगों ने कॉलेज में आकर प्रोफेसर का हाथ काट दिया। पुलिस ने उन लोगों को पकड़ा तो वे PFI के सदस्य निकले। इसके बाद केरल में पीएफआई के ऑफिस में रेड डाली गई, यहां से तालिबानी कनेक्शन के पुख्ता सबूत मिले। एंटी नेशनल बुक, अवैध पैसा ट्रांजैक्शन के भी डॉक्यूमेंट यहां से प्राप्त हुए। 24 जुलाई 2010 को अच्युतानंद ने दिल्ली में कहा कि पीएफआई केरल को मुस्लिम स्टेट बनाना चाहता है और उनका यह प्लान है कि 2030 तक केरल मुस्लिम स्टेट बन जाए। अच्युतानंद का यह बयान आना बहुत बड़ी बात थी क्योंकि वह किसी बीजेपी या हिंदूवादी दल से नहीं बल्कि कम्युनिस्ट पार्टी से थे। 2011 में केरल के सीएम बने कांग्रेस के ओमेन चांडी। उन्होंने पीएफआई पर कोई एक्शन नहीं लिया। हालात वैसे ही बने रहे। अगस्त 2011 में टीना फरजाना और नसीर को पुलिस ने पकड़ा, तब पता चला कि ये आईएसआईएस के हैंडलर्स थे, जो लड़कियों को कन्वर्ट कराकर यमन भेजते थे। बाद में पता चला है कि ये दोनों सत्य सारणी ट्रस्ट जो पीएफआई का ही एक संगठन था, के लिए काम करते थे। 2011 में सोनिया सबस्टीन नाम की ईसाई लड़की का केस सामने आया। पता चला कि एक मुस्लिम लड़के राशिद अब्दुल्ला ने सोनिया को फंसाया, उसका ब्रेनवाश कर इस्लाम कबूल करवाया और आईएसआईएस के सम्पर्क में भेज दिया। अब्दुल स्वयं एक आईएसआईएस हैंडलर था। कन्वर्जन के बाद सोनिया का नाम आयशा रख दिया गया। अब्दुल की पहले से एक पत्नी थी यास्मीन। इन दोनों ने केरल में एक फाउंडेशन PEF (peace educational foundation) के अंतर्गत दस स्कूल बनाए। इन स्कूलों में हिंदू व ईसाई लड़के लड़कियों को लाकर, उनका ब्रेनवाश कर इस्लाम में कन्वर्ट कराया जाने लगा। इन स्कूलों के माध्यम से लगभग 21 लड़के लड़कियों को मुसलमान बनाया गया। साथ ही एक लड़की निमिषा का निकाह राशिद अब्दुल ने वेस्टर्न नाम के लड़के से करवा दिया, जो पहले ही इस्लाम में कन्वर्ट हो चुका था। निमिषा को फातिमा बना दिया गया। इसी प्रकार एक ईसाई लड़की को मरियम बना दिया गया। 2012 में ओमान चांडी ने केरल असेंबली में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया कि 2006 से 2012 के बीच लगभग 7713 लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट किया गया। 2009 से 2012 के बीच कन्वर्ट होने वालों में 2667 महिलाएं थीं, जिनमें 2195 हिंदू और 472 ईसाई लड़कियां शामिल थीं।
इन लड़कियों का इनके परिवार से कोई कनेक्शन नहीं मिला और यह सच सामने आया कि इन्हें ISIS के लिए अफगानिस्तान, सीरिया व अन्य स्थानों पर भेज दिया गया है। 2016 तक राशिद अब्दुल्ला ने लगभग 22 लोगों को इस्लाम कबूल करवाया। मई 2016 तक ये सभी 22 लोग भारत छोड़कर अफगानिस्तान चले गए थे। यह स्वयं NIA की रिपोर्ट में दिया गया है। इसमें बताया गया कि 2016 में लगभग 64 लोग अफगानिस्तान पहुंचे और ISIS ज्वाइन की। जुलाई 2016 में अपर्णा को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया। अपर्णा के माता पिता ने कोर्ट में गुहार लगाई और अपर्णा को कोर्ट में बुलाया गया। उसके साथ में सुमैया नाम की एक लड़की भी कोर्ट आई, जो पीएफआई के लिए काम करती थी। अपर्णा कोर्ट में मुकर गई। इसके बाद उसका निकाह मल्लपुरम के एक ऑटो ड्राइवर आसिफ के साथ करा दिया गया।
इसी प्रकार 2016 में दो हिंदू लड़कियों अथिरा और अकीला को सानिया नाम की लड़की ने कन्वर्ट करवाया। अथीरा का नाम बदलकर हादिया हो गया। हादिया केस इंटरनेट पर उपलब्ध है। हादिया के मां-बाप ने कोर्ट केस किया और पीएफआई ने सबसे प्रसिद्ध वकील कपिल सिब्बल को हायर किया, जिसमें हादिया केस जीत गई, उसके मां-बाप केस हार गए। इसके कुछ समय बाद सत्य सारणी ट्रस्ट में रेड डाली गई और यहां से 70 लड़कियों के कन्वर्जन के डाक्यूमेंट्स मिले।
2016 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि 6000 से अधिक लोग केरल में इस्लाम अपना चुके हैं। 2011 से 2015 के बीच 5793 लोग, जिनमें 76% महिलाएं थीं, ने इस्लाम कबूल किया है। राशिद अब्दुल्ला के घर वालों ने उसके विरुद्ध पुलिस में गुमशुदा होने का केस दर्ज करवाया और तब चौंकाने वाली बात सामने आई कि इसी चंदेला कासरगोड पुलिस स्टेशन में इस प्रकार के 14 मामले दो दिनों में आए हैं। इन्वेस्टिगेशन की गई और पता चला कि ये सभी लोग आईएसआईएस ज्वाइन करने के लिए निकल चुके हैं। केरल पुलिस ने एक स्पेशल टीम बनाई और राशिद की हिस्ट्री निकाली। उसके सभी संपर्कों को खोजा गया। राशिद अब्दुल्ला की पहली पत्नी यास्मीन को ट्रेस करके 1 अगस्त 2016 को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। अफगान फोर्स ने ISIS के ठिकानों पर हमला किया, जिसमें राशिद तथा एक और हैंडलर मारा गया। 22 लोगों में से 10 लड़कियों ने अफगान फोर्स के सामने नवंबर 2019 में सरेंडर कर दिया। यहां सोनिया और निमिषा दोनों पाई गईं। इंडियन एजेंसीज अफ़गानिस्तान गईं और अफगान फोर्स को सरेंडर करने वाली 10 लड़कियां से बातचीत की। इनसे बात करने और बयान लेने के बाद इंडियन एजेंसी और भारत सरकार ने निर्णय किया कि इन लड़कियों को भारत वापस नहीं लाया जाएगा। ये सभी आज भी अफगान जिलों में हैं।
नवंबर 2020 में यूएस डिपार्टमेंट अमेरिका ने एक पूरी रिपोर्ट बनाई, जिसका शीर्षक था “कंट्रीज रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2020”। इसमें यूएस ने भी माना कि अभी भी भारत के 66 ऐसे लोग हैं, जो इस समय ISIS के लिए लड़ाकों की तरह काम कर रहे हैं। 2021 में साइरो मालाबार चर्च के विशप ने अपनी एक रिपोर्ट एनआईए को दी, जिसमें बताया गया कि 2020-21 के बीच लगभग 21 ईसाई लड़कियों को इस्लाम में कन्वर्ट कराया गया और ये लापता हैं। बाद में पता चला कि इन्होंने आईएसआईएस ज्वाइन कर लिया है। जनवरी 2022 में एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि केरल में आईएसआईएस के स्लीपर सेल बहुत अधिक संख्या में एक्टिव हैं और वे लगातार कन्वर्जन का काम कर रहे हैं।
कुछ समय बाद UK सरकार ने भी एक रिपोर्ट दी और उस रिपोर्ट में यह बताया कि पाकिस्तान के इस्लामिक समूहों से संबंधित कुछ लोग UK में रह रहे हैं। वे नशीले पदार्थ खिलाकर लड़कियों के साथ रेप कर उनको इस्लाम में कन्वर्ट करवाते हैं। UK में इसे ‘ग्रूमिंग गैंग’ कहा गया। 23 सितंबर 2021 को ‘द हिंदू’ में लेख छपा ‘कंसर्न ओवर सस्पेक्टेड आईएस स्लीपर सेल्स इन केरला’। पीएफआई 23 राज्यों में सक्रिय थी। इस संगठन की सबसे अधिक पकड़ केरल और कर्नाटक में थी। इस प्रकार से कन्वर्जन का पूरा खेल चलता रहा। खतरनाक आतंकवाद का रूप लेकर सामने आयी फिल्म द केरला स्टोरी एक सच्चाई है।