केलों की कीमत
संचालिका
बिजली विभाग के दफ्तर के बाहर राजू केले बेच रहा था।
बिजली विभाग के एक बड़े अधिकारी ने पूछा : “केले कैसे दिए?”
राजू : “केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब?”
अधिकारी: ” मतलब!”
राजू : “मतलब यह साहब कि,
मंदिर के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो ₹10 दर्जन ।
वृद्ध आश्रम में देने हों तो ₹15 दर्जन।
बच्चों के टिफिन में रखने हों तो ₹20 दर्जन।
घर में खाने के लिए ले जा रहे हो तो ₹25 दर्जन
और अगर पिकनिक के लिए खरीद रहे हो तो ₹30 दर्जन।
अधिकारी :
” यह क्या बेवकूफी है?
अरे भाई जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो भाव अलग-अलग क्यों बता रहे हो?”
राजू : ”यह तो पैसे वसूली का, आप ही का स्टाइल है साहब।
1 से 100 रीडिंग का अलग रेट
100 से 200 का अलग
200 से 300 का अलग
अरे बिजली आपकी सम्पत्ति है क्या?
आप भी तो एक ही खम्भे से बिजली देते हो।
तो फिर घर के लिए अलग रेट
दुकान के लिए अलग रेट
कारखाने के लिए अलग रेट
फिर टैक्स….
और हां एक बात और साहब,
मीटर का भाड़ा…
मीटर क्या अमेरिका से आयात किया है?? 25 सालों से उसका भाड़ा भर रहा हूं। आखिर उसकी कीमत है कितनी? आप यह तो बता दो मुझे एक बार।
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