कैलाश जी चाहते थे बेटा मनदीप संगीतज्ञ बने..
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लघुकथा
शुभम” गीता मां” वैष्णव
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कैलाश जी चाहते थे कि उनका बेटा मनदीप संगीतज्ञ बने। परंतु मनदीप की संगीत में बिल्कुल रुचि नहीं थी। यह बात कैलाश जी को बहुत अखरती थी क्योंकि उनकी तीन पीढ़ियां संगीत से ही जुड़ी हुई थीं। वह स्वयं भी एक अच्छे संगीतज्ञ थे और व्यास जी महाराज की उपाधि से विभूषित थे।
इस बार लॉकडाउन के चलते जागरण, भजन संध्या और कीर्तन जैसे कार्यक्रमों पर सरकार ने रोक लगा रखी थी। इस कारण अब उन्हें सारा दिन घर पर ही रहना पड़ता। इस बार उनका बेटा मनदीप जो बाहर रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, लॉकडाउन के कारण घर पर ही था।
एक दिन जब कैलाश जी हारमोनियम बजा रहे थे तो मनदीप भी उनके पास आ बैठा और हारमोनियम सीखने का अनुरोध करने लगा। उसका अनुरोध सुनकर पहले तो कैलाश को बड़ा आश्चर्य हुआ परंतु उसकी ललक देखकर उनका मन प्रफुल्लित हो गया। अब तो प्रतिदिन पिता-पुत्र की जोड़ी संगीत और रिश्ते दोनों के नए आयाम रच रही थी।
अब पिता-पुत्र का गुरु- शिष्य के रूप में एक दूसरे से नया परिचय हो गया था। लॉकडाउन उनके जीवन में एक सकारात्मक मोड़ लेकर आया था।