कोरोना महामारी में जनता को सस्ती दरों पर दवा व इलाज उपलब्ध हो – महाजन

कोरोना महामारी में जनता को सस्ती दरों पर दवा व इलाज उपलब्ध हो - महाजन

कोरोना महामारी में जनता को सस्ती दरों पर दवा व इलाज उपलब्ध हो - महाजन

जयपुर। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसे में इसका जवाब देने के लिए दवाओं और टीकों समेत विभिन्न चिकित्सा उत्पादों को देश में सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है। एक बयान में उन्होंने कहा कि यद्यपि रेमडेसिविर और फ़ेविपवीर का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, लेकिन समस्या की गंभीरता के कारण बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए उपलब्ध मात्रा  अपर्याप्त है। एक घातक “साइटोकिन स्टॉर्म” के साथ कोरोना रोगियों के इलाज के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण दवा टोसिलिज़ुमाब है, जिसका भारत में उत्पादन नहीं होता है। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस दवा का आयात  अपर्याप्त है। रेमडेसिविर के लिए कंपनियों ने मूल्य में स्वैच्छिक कमी की है, लेकिन यह अभी भी बहुत अधिक है। इसकी कीमत 899 रुपए और 3490 रुपये प्रति शीशी के बीच है। इस संबंध में रिपोर्ट बताती है कि उचित लाभ सहित रेमडेसिविर की पूर्ण लागत 9 अमरीकी डॉलर के आसपास है, यानी लगभग 666 रुपये। दूसरी ओर, टोसीलिज़ुमाब की क़ीमत 40000 रुपये प्रति शीशी है। वर्तमान परिदृश्य के मद्देनज़र आम जनता कॉर्पोरेट लालच के दबाव में पिस रही है, जिस पर किसी भी हालत में अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

इस संदर्भ में, स्वदेशी जागरण मंच वैश्विक कॉरपोरेट बिल गेट्स के उस कथन का पुरजोर विरोध करता है, कि वे वैक्सीन फार्मूला, भारत और अन्य देशों के साथ साझा करने के ख़िलाफ़ हैं। यह इस सदी की वीभत्स महामारी के समय में भी कॉर्पोरेट लालच की एक और अभिव्यक्ति है। इन दवाओं की कीमतों की सीलिंग जैसे उपायों को लागू करने की तत्काल आवश्यकता है। राज्य सरकार की खरीद और निजी अस्पतालों के लिए दोनों कंपनियों द्वारा घोषित वैक्सीन की कीमतें बहुत ज़्यादा हैं और इससे देश में टीकाकरण की गति धीमी हो सकती है। विशेषकर एक महामारी के दौरान दवाओं और टीकों में अनैतिक मुनाफ़ा सभी परिस्थितियों में अनुचित है।

प्रतिस्पर्धा कीमतों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। पेटेंट सुरक्षा इन दवाओं के सामान्य उत्पादन के लिए प्रमुख बाधा है। हालांकि 7 भारतीय कंपनियां स्वैच्छिक लाइसेंस के तहत रेमडेसिविर बना रही हैं, लेकिन मांग को पूरा करने के लिए उनके उत्पादन की मात्रा पर्याप्त नहीं है, और कीमत सामर्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। सरकार को पेटेंट अधिनियम में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करना चाहिए और आने वाले दिनों में और अधिक कंपनियों को अनिवार्य लाइसेन्स के माध्यम से इन दवाओं के उत्पादन की अनुमति देनी चाहिए।

टीके के मामले में, देश को कम से कम 70% जनसंख्या का टीकाकरण करने के लिए लगभग 195 करोड़ खुराकों की आवश्यकता है। इसे दोनों कंपनियों द्वारा अकेले पूरा नहीं किया जा सकता। उत्पादन शुरू करने के लिए अधिक विनिर्माण लाने की तत्काल आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के लिए, सरकार को पेटेंट और व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा बाधाओं को दूर करने के उपाय करने होंगे।

स्वदेशी जागरण मंच नागरिकों का आह्वान करता है कि वे इस कठिन समय में जरूरतमंदों की सेवा करने के साथ-साथ वैश्विक मुनाफाखोरों के विरुद्ध आवाज भी उठाएं।

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