क्या त्रावनकोर राज्य में ब्रेस्ट टैक्स लगता था?
अजय सिंह
क्या त्रावनकोर राज्य में ब्रेस्ट टैक्स लगता था?
ब्रेस्ट टैक्स (breast tax)….. त्रावनकोर राज्य में अनुसूचित जाति समाज की महिलाओं के स्तन ढंकने पर राज्य द्वारा लगाया जाने वाला कर….। बड़ी चर्चा होती है…. डॉक्यूमेंट्री, फ़िल्म, लेख….आदि में। पर असलियत को किसी ने कभी खंगाला क्या?
ब्राह्मणों द्वारा अनुसूचित जाति समाज पर अत्याचार की कहानी….! कहाँ से जन्मी?
क्या वास्तव में ऐसा कोई टैक्स कभी था….?
इस कथा का छोटा सा टुकड़ा एक अंग्रेज लेखक रॉबर्ट हार्डग्रेव की पुस्तक में मिलता है, जो 1968 में आयी….। लेकिन कितना….? मात्र इतना कि त्रावनकोर के नाडर अपनी जागीरों में अनुसूचित जनजातियों या अनुसूचित जातियों को काम पर रखते और उनकी महिलाएं शरीर के ऊपर के हिस्से को खुला रखतीं…… टैक्स पर कोई बात नहीं… रॉबर्ट उस काल के लेखक नहीं थे… बस उन्होंने सामान्य चलन को लिखा।
उस दौर में बड़ी समृद्ध रियासत थी त्रावनकोर और अरब, डच, फ्रेंच, अंग्रेज़ सहित अनेक बाहरी व्यापारी व अन्य कार्य से जुड़े लोग वहाँ जुटते… किसी ने इस तरह का कुछ नहीं लिखा…. किसी मुस्लिम लेखक ने भी नहीं…. न तब की रियासत के डॉक्यूमेंट्स में इसका कोई उल्लेख है….।
तो कहानी कहाँ से आयी…..? एक पेंटर हैं केरल के #मुरली_थॉमस…., उन्होंने एक पेंटिंग बनाई जो किंवदंती पर आधारित थी, जिसमें एक महिला के स्तन काट दिए जाते हैं नाडर का विरोध करने पर…..। कहानी का कोई प्रमाण नहीं है, पर… इसी पेंटिंग पर बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री बना डाली 2016 में…. और यह कथा गति पकड़ गयी।
अब कहानी थी नाडर ब्राह्मणों के अनुसूचित जाति समाज की महिलाओं के स्तन ढंकने पर अत्याचार की….।
पहली बात…. नाडर शब्द रॉबर्ट ने ब्राह्मण जाति के लिए नहीं बल्कि मठ के लिए प्रयुक्त किया था….। पद्मनाभ स्वामी नाडर उस दौर का सबसे बड़ा मठ था….. और मज़े की बात इसकी अपनी स्थापना जिन आध्यात्मिक गुरु द्वारा की गयी वे स्वयं अनुसूचित जाति के थे।
आगे आइये…. त्रावनकोर राज्य की स्थापना की पाण्ड्य वंश के जागीरदार रहे कुलशेखर परिवार के महेन्द्र वर्मा ने…. बड़े ही प्रजापालक राजा थे। इन्होंने भगवान विष्णु को अपने राज्य का राजा और स्वयं को उनका सेवक प्रतिनिधि मान राज किया और आगे उनके वंश ने यह परंपरा निभाई….।
इन्होंने गुरु के तौर पर पद्मनाभ मठ के धर्मचार्य को स्वीकारा…..। कुलशेखर परिवार स्वयं हेहय वंश की मूशक शाखा से था…….। आज के हिसाब से ओबीसी….।
तो एक ओबीसी राजा…. जो अनुसूचित जाति समाज के धर्माचार्य को गुरु बनाता है…..। उसके आदेश पर राज्य भगवान को अर्पित कर स्वयं जनसेवक बन जाता है….। वह अनुसूचित जाति समाज की महिलाओं के स्तन ढंकने पर टैक्स लगाता है…..। आपको यह बात हज़म हुई क्या?
यह कहानी सिर्फ इस लिए गढ़ी गयी ताकि त्रावनकोर राज्य के धर्मनिष्ठ और प्रजापालक राजाओं को विलेन और इसी क्षेत्र में भीषण जिहादी नरसंहार करने वाले टीपू सुल्तान को हीरो बताया जा सके…।
न इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण….. न राज्य या पद्मनाभ नाडर के कागजों में उल्लेख…. न ब्रिटिश डॉक्यूमेंट में कहीं चर्चा…। ….और ब्राह्मण तो कहीं बीच में आये ही नहीं….।
बस कथा गढ़ी और हमें सुना दी गयी…..!
धूर्त अंग्रेजों ने भारतीय समाज को आपस में विरोधी बनाने के लिए पग पग पीआर झूठ गढ़ा।