खोज
पुलिस उत्पात मचाने वालों और कोरोना संक्रमण फैलाने वालों को खोज रही है, मीडिया चीन की असलियत खोज रहा है और चीन अपने बचाव का रास्ता खोज रहा है।
शुभम वैष्णव
वैसे तो खोज भी खोज का विषय है इसमें तो कोई दो राय नहीं कि खोज की खोज करने के लिए भी काफी खोज की आवश्यकता पड़ती है। अब विषय खोज का है तो बात आजकल की नई खोज की करते हैं, आजकल हर किसी की नजरों का नजरिया इस कदर बदला है कि हर किसी की नजरें कोरोना पर ही टिकी हैं। अभी डॉक्टर की नजरें कोरोना के मरीज को ढूंढ रही हैं, पुलिस की नजरें लॉक डाउन तोड़ने वालों को ढूंढ रही हैं, गली-गली घर घर का चक्कर लगाने वालों की नजरें पुलिस को ढूंढ रही हैं, गरीब की नजरें भोजन को ढूंढ रही हैं, यहां तक कि महाशक्ति कहे जाने वाले सुपर पावर अमेरिका की नजरें भारत में Hydroxycloroquine दवाई को ढूंढ रही हैं और आम व्यक्ति की नजरें मास्क सैनिटाइजर एवं साबुन को ढूंढ रही हैं।
अभी खोज का दौर जारी है। पुलिस उत्पात मचाने वालों और कोरोना संक्रमण फैलाने वालों को खोज रही है, मीडिया चीन की असलियत खोज रहा है और चीन अपने बचाव का रास्ता खोज रहा है।
परंतु इन सब के बीच इस वैश्विक महामारी के दौर में शोधकर्ताओं की नजरें कोरोना वायरस के उपचार को खोज रही हैं, दूसरी ओर शासन की नजरें भी अपने लोगों के जीवन की सुरक्षा के उपायों को खोज रही हैं। अब जरा आप भी सोचिए आपकी दृष्टि किसे खोज रही है, सोचो और सोचो, सोचते ही रहो क्योंकि अब सोचने के अलावा कुछ काम भी तो नहीं है। तो सोचते रहो और मस्त रहो।
वास्तव में यह समय पूरे समाज में एक हलचल लेकर आया है। जो पहले अपने ही जीवन की आपाधापी में मगन थे वे सभी अब किसी न किसी खोज में लगे है। यह बाहर ही नहीं, भीतर भी सत्य की खोज का समय है।