गंगा भारत की जीवन धारा है – डॉ. मोहन भागवत

गंगा भारत की जीवन धारा है - डॉ. मोहन भागवत

गंगा भारत की जीवन धारा है - डॉ. मोहन भागवत

हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि गंगा भारत की जीवन दायिनी है। गंगा का जिक्र किए बिना भारत का इतिहास भी अधूरा है। सरसंघचालक अमरापुर घाट पर आयोजित गंगा पूजन व आरती के दौरान संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने अमरापुर घाट का लोकार्पण भी किया।

अमरापुर घाट का लोकार्पण

डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को हरिद्वार में विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया। जिसके अंतर्गत दो घाटों का लोकार्पण व सर्वानन्द घाट का अवलोकन किया। इन कार्यक्रमों में अमरापुर घाट के लोकार्पण का कार्यक्रम प्रमुख रहा। उन्होंने गंगा की कल-कल बहती निर्मल धारा को काफी देर तक निहारा तथा घाट पर बनी धार्मिक चित्रावलियों का अवलोकन कर प्रशंसा की।

उन्होंने गंगा को भारत की जीवन धारा बताते हुए कहा कि हिमालय से निकल कर उत्तर से सागर तक पहुंचने वाली गंगा विभिन्न प्रदेशों के खेतों को सिंचित करते हुए सागर में जाकर मिलती है। लाखों लोगों-किसानों की अजीविका का आधार गंगा का जल सदियों से रहा है। इसलिए गंगा भारत की जीवन धारा भी है। गंगा का जिक्र किये बिना भारत का इतिहास अधूरा है। इसकी लहरों पर भारत की सदियों सह्स्राब्दियों का इतिहास लिखा है। गंगा को स्वच्छ, निर्मल और अविरल प्रवाहित रहने के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा ताकि गंगा में किसी भी प्रकार का प्रदूषण न हो सके। इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धा भाव से गंगा पूजन किया तथा गंगा आरती के बाद कहा कि हमें गर्व है कि हम गंगा जैसी देव सरिता के देश भारत में रहते हैं।

प्रेम प्रकाश मंडलाध्यक्ष स्वामी भगत प्रकाश महाराज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। अमरापुर घाट से पूर्व सरसंघचालक ने भारत माता, शौर्य घाट का भी लोकार्पण कर मां भारती की आरती की। इसके बाद सर्वानन्द घाट के अवलोकन के उपरांत संघ प्रमुख ने गंगा पूजन व आरती की। दोपहर बाद श्रीराम तीर्थ मिशन द्वारा आयोजित नवनिर्मित अमरमुनि धाम का उद्घाटन किया।

सेवा का कोई मूल्य नहीं

दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा आयोजित शिव वतरण व्याख्यान माला के दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कुछ पाने की इच्छा से की गई सेवा, सेवा नहीं होती। समाज में सेवा का मूल्य नहीं मिलता, बाजार में उसका मूल्य लग सकता है। सेवा करने के लिए किसी प्रपंच की आवश्यकता नहीं, यह तो भाव से होती है। सेवा कार्य झंझटों की जटाओं में पड़ने वाला काम है, जो इन झंझटों में पड़कर इनसे निकलता है वही सच्चा सेवक होता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि हम जो करेंगे, उसी में हमें सफलता देखने को मिलेगी, सफलता अपने समय से आती है।निरन्तर प्रयास व कार्य से ही यह सम्भव होता है। हमारे किए गए प्रयासों का फल हमारी आने वाली पीढ़ियों को मिलता है। कार्यक्रम में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संरक्षक सन्त विजय कौशल जी महाराज व दिव्य प्रेम सेवा मिशन के प्रमुख आशीष भैय्या जी ने भी सम्बोधित किया.

नेत्रकुंभ पत्रक का किया विमोचन

सरसंघचालक ने #नेत्रकुम्भ2021  के  पोस्टर का विमोचन दिव्य प्रेम सेवा मिशन में किया। उन्होंने नेत्रकुंभ में किये जा रहे सेवा कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि प्रयागराज की तरह हरिद्वार भी नेत्रकुंभ सेवा का कीर्तिमान स्थापित करेगा।

सरसंघचालक ने #नेत्रकुम्भ2021  के  पोस्टर का विमोचन दिव्य प्रेम सेवा मिशन में किया

इस दौरान सक्षम के संयुक्त सचिव डॉ. संतोष क्रलेती, #नेत्रकुम्भ2021 के निदेशक डॉ. ललित मोहन उप्रेती, प्रांत प्रचारक युद्धवीर, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *