हमारा आचरण और स्वभाव ऐसा हो कि समाज आकर्षण पूर्वक हमसे जुड़े

हमारा आचरण और स्वभाव ऐसा हो कि समाज आकर्षण पूर्वक हमसे जुड़े

हमारा आचरण और स्वभाव ऐसा हो कि समाज आकर्षण पूर्वक हमसे जुड़ेहमारा आचरण और स्वभाव ऐसा हो कि समाज आकर्षण पूर्वक हमसे जुड़े

गाजियाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गाजियाबाद विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शीत शिविर ‘उन्नयन’ आइडियल कॉलेज गोविन्द पुरम में प्रारंभ हुआ। यह शिविर 22 जनवरी तक रहने वाला है, जिसमें लगभग 800 गटनायक भाग ले रहे हैं। व्यवस्था के लिए गाजियाबाद विभाग के चारों इकाइयों (गाजियाबाद महानगर, गाजियाबाद जिला, वैशाली महानगर एवं हरनंदी महानगर) के महानगर पदाधिकारी भी शामिल हैं।

शिविर का शुभारंभ शुक्रवार सायं 7 बजे उद्घाटन समारोह में दीप प्रज्ज्वलन व क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि गट नायक संघ कार्य का आधार है। मैं क्या हूं यह पहचानना है। हमें समाज को संघ से जोड़ने वाला व्यक्ति बनना है। शिविर में कम समय में सामूहिक जीवन जीने का प्रयास करते हैं।

श्री रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा था, “समाज में आध्यात्मिक चेतना जगानी है, दीन-हीन की सेवा करनी है।” इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। स्वयं की चिंता छोड़ कर समाज की चिंता करने वाला स्वामी विवेकानंद बन जाता है।  हमारा आचरण और स्वभाव ऐसा हो कि समाज आकर्षण पूर्वक हमसे जुड़े और यह आचरण 24 घंटे दिखना चाहिए। नम्रता के आगे समाज श्रद्धा से झुकता है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति व हिन्दू समाज के रक्षण के लिए 24 घंटे समर्पित रहने वाला संघ का स्वयंसेवक है। साहिबजादे फतेह सिंह और जोरावर सिंह जैसी विजिगिषु वृत्ति हमारे अंदर हो, जिन्होंने गर्दन कटायी, पर धर्म का त्याग नहीं किया। धर्म संस्कृति और समाज पर न्यौछावर हो गए। स्वाभिमान त्यागकर जीने से अच्छा स्वाभिमान के साथ बलिदानी होना है। यह विजिगिषु वृत्ति प्रत्येक स्वयंसेवक के अंदर हो।

हम परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला बनें, असाधारण पुरुष की भांति साधना के बल पर राष्ट्र प्रतिष्ठा का कार्य करें। हमारा व्यवहार चरित्र ऐसा हो कि छोटा या बड़ा सभी से समान आदर से मिले। यह 24 घंटे दिखना चाहिए। अपने क्षेत्र के लोगों के साथ परस्पर विश्वास, उनकी कुशलता की जानकारी रखना गटनायक का कार्य है। हमें जीवन में निरंतरता का वरण करना चाहिए। मैं 365 दिन का स्वयंसेवक हूं। एक दिन में सिद्धि नहीं मिलती, सिद्धि हेतु निरंतरता आवश्यक है।

समाज में मैं जैसा हूं वैसा संघ है, मुझे विचार करना है कि मुझे कैसा गटनायक बनना है? यह संघ का आधार है जो दिखता नहीं। समाचार पत्र में छपता नहीं। ठीक उसी प्रकार जैसे भवन का शिखर दिखता है, उसकी नींव नहीं। नींव पर ही पूरा भवन टिका होता है। लक्ष्य प्राप्ति हेतु अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आकर्षण का त्याग करना पड़ता है। हमें शालीन, सज्जन, निरंकार एवं अनुशासित बनना है।

दुनिया आशा भरी दृष्टि से जिस भारत को देख रही है, वह भारत मैं हूं। मैं संघ हूं। मैं परिवर्तन का वाहक हूं। मैं गट नायक हूं। मैं जहां रहता हूं, उस क्षेत्र का मैं डॉ. हेडगेवार, स्वामी विवेकानंद बनकर हिन्दू धर्म, संस्कृति और समाज के लिए अनुकूल वातावरण बना पाऊं, इसी का प्रयास हमें करना है।

शनिवार के प्रथम सत्र में सह प्रान्त प्रचारक विनोद ने कई प्रमुख विषयों पर चर्चा की। राष्ट्र की सबसे छोटी इकाई परिवार होता है। एक आदर्श परिवार भक्तिमय, तनावमुक्त व आनन्दमय होना चाहिए, जिसके लिए एकल परिवार वालों को माह में दो-तीन बार एक साथ बैठने, भजन व भोजन करने, कुछ प्रेरक विषयों पर चर्चा करने, मित्र परिवार के साथ मिलना चाहिए।

उन्होंने विवेकपूर्ण मोबाइल व टीवी का प्रयोग पर बल दिया। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, जन्मदिवस पर अपने संस्कृति का संस्मरण व उसके अनुरूप मनाने के अलावा पर्यावरण संरक्षण हेतु पेड़ लगाने व उसका निरंतर देखभाल करने की बात कही।

सामाजिक समरसता के लिए महापुरुषों के जीवन प्रसंग पर चर्चा, छुआछूत दूर करने का प्रयास करना, संपन्न परिवार द्वारा कमजोर परिवार का गोद लेना, उनके संपर्क में रहना, सतत उनके आना व उन्हें बुलाना। जिस घर में भी कार्य करने के लिए माता-बहन आती हैं, उनका सम्मान करना, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना, सुख-दुःख में उनके परिजनों के साथ मिलना-जूलना, उनके कार्यक्रम में सहभागी होना व मनाना।

द्वितीय सत्र में क्षेत्र संघचालक सुर्यप्रकाश टोंक ने संघ की कार्यपद्धति एवं प्रत्येक स्वयंसेवक की राष्ट्रहित में सहभागिता एवं महत्व पर बल दिया।

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