गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार का विरोध कांग्रेस की हताशा- विहिप
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार का विरोध कांग्रेस की हताशा- विहिप
नई दिल्ली। भारत सरकार ने गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गाँधी शान्ति पुरस्कार देने की घोषणा की है। विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि 100 वर्षों से गीता प्रेस ने नि:स्वार्थ व निष्ठा भाव से भारतीय सद्-साहित्य, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक साहित्य बहुत साधारण मूल्यों पर जन सामान्य को उपलब्ध कराया है। संस्थान ने भाषा, व्याकरण व शब्दावली की उत्कृष्टता, छपाई की उत्तमता, बिना विज्ञापन लिए पुस्तक व पत्र-पत्रिकाओं को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। उनको गांधी शांति पुरस्कार मिलना श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार व जयदयाल गोयनका जी जैसे लोगों की साधना की स्वीकार्यता ही है।
विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि मुझे दु:ख है कि कांग्रेस अभी तक अपनी कोलोनियल मानसिकता से मुक्त नहीं हुई है। कितना घटिया बयान है कि यह कहा जाए कि यह सम्मान सावरकर व गोडसे का आदर है।
उन्होंने कहा कि सावरकर का आदर तो सबसे बड़ा है, क्योंकि अमेरिका में ऊधम सिंह की हत्या पर निंदा प्रस्ताव का अकेले विरोध करने वाले, ऐसा भाषण लिखने वाले कि जज ने कहा इससे कागज़ जल क्यों नहीं गया, समुद्र में कूद कर तैर कर जाने वाले और जब उनको 2 उम्र कैद मिलीं, तो उनसे पूछा गया कि सावरकर तुम बाहर आने के लिए जिंदा रहोगे? तो उन्होंने उत्तर दिया था कि क्या मुझे 52 साल जेल में रखने के लिए आपका राज चलेगा! जेल में उन्होंने कितने कष्ट सहे। इसलिए, सावरकर का अपमान करना, देश का अपमान करना है।
कांग्रेस द्वारा इसकी गोडसे से तुलना करना पूरे भारतीय आध्यात्मिक वांग्मय का अपमान करने के समान है। कांग्रेस आखिर कौन सी मानसिकता से ग्रस्त है? चर्च की या मस्जिद की! मैं समझता हूं कि कांग्रेस का बयान हताशा वाला और अपमानजनक बयान है। मैं इसकी निंदा करता हूँ और गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर सरकार को साधुवाद देता हूँ।