गोचर भूमि पर अतिक्रमण, गोवंश आखिर जाए तो कहॉं जाए

गोचर भूमि पर अतिक्रमण, गोवंश आखिर जाए तो कहॉं जाए

गोचर भूमि पर अतिक्रमण, गोवंश आखिर जाए तो कहॉं जाए

दौसा, 24 सितम्बर। प्रदेश में लगभग एक दशक पूर्व गोपालन मंत्रालय का गठन होने के बावजूद गोवंश के लिए आरक्षित गोचर भूमि पर अतिक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहे। ऐसे में गोवंश आखिर जाए तो जाए कहां। स्थित इतनी बदतर है कि शहरों से लेकर गांव-ढ़ाणियों तक कई लाख हेक्टेयर गोचर भूमि पर अतिक्रमण किया जा चुका है। ऐसे में उसका हकदार गोवंश सड़क पर यहां से वहां भटकता हुई बेबस दिखाई दे रहा है। सड़कों पर घूमता गोवंश आए दिन वाहनों की चपेट में आकर दम तोड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है दौसा जिला मुख्यालय पर, जहां लालसोट रोड स्थित संस्कृत महाविद्यालय के पीछे पिंजरापोल गोशाला जयपुर की दौसा शाखा को सैकड़ों बीघा भूमि कई दशक पूर्व आवंटित की गई थी। उस पर लोगों के अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। दिनों-दिन बढ़ते अतिक्रमण के बावजूद गोशाला प्रबंधन के साथ ही स्थानीय प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है।

स्थानीय ग्रामीणों ने गोशाला प्रबंधन से जुड़े लोगों पर भूमि पर अवैध कब्जा कराने के आरोप लगाए हैं। इसके बाद गोशाला प्रबंधन बैकफुट आ गया है और बची हुई भूमि पर तारबंदी कर अतिक्रमण से बचाने की जुगत में जुट गया है। स्थानीय महिला मुन्नी देवी का आरोप है कि गोशाला वालों की मिलीभगत से रातों-रात दूसरे लोगों को यहां लाकर बसा दिया है, जबकि पूर्व में बसे लोगों को हटाया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार लगभग 20 वर्ष पूर्व तक गोशाला के पास डेढ़ हजार बीघा से अधिक भूमि मौजूद थी। जिसकी सार-संभाल के अभाव में अतिक्रमण होने से अब नाममात्र की भूमि ही बची है। गोशाला प्रबंधन का रवैया इतना गैर जिम्मेदाराना है कि अभी भी गोचर भूमि पर कब्जे किए जा रहे हैं। अतिक्रमियों द्वारा गोचर भूमि पर चारदिवारी निर्माण किया जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा जिला कलक्टर को शिकायत किए जाने के बाद तहसीलदार ने अतिक्रमण रुकवाने की बात कही है। वहीं भूमाफिया को बचाने के लिए गोशाला प्रबंधन ने बिना पैमाइश किए चारदिवारी के लिए नींव खुदाई शुरू कर दी है। इसके साथ ही जिला अस्पताल के पीछे, गेटोलाव रोड, बिजोरी व नांगल गोविंद गांव में स्थित गोचर भूमि पूरी तरह अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है। जानकार बताते हैं कि दौसा गोशाला के पास डेढ़ हजार बीघा भूमि थी, जिस पर भारी अतिक्रमण के चलते अब सिर्फ 800 बीघा ही बची है। ऐसे में गोशाला प्रबंधन की अतिक्रमियों के साथ मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

गोसेवा सदन दौसा के मैनेजर अशोक गुप्ता का कहना है कि बड़े पैमाने पर गोशाला की भूमि पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। बची हुई भूमि पर चारदिवारी बनाकर तारबंदी की जा रही है। लेकिन देखने वाली बात यह होगी की शिकायत के बाद प्रशासन भूमि की पैमाइश कराकर अवैध कब्जे हटाकर गोमाता को न्याय दिलाएगा या फिर मूकदर्शक बनकर अतिक्रमियों को बढ़ावा देगा। इस सम्बंध में दौसा तहसीलदार सोनल मीणा का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद मौके पर काम बंद करा दिया है। गोशाला प्रबंधन के साथ बैठक कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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