घुमन्तु समुदाय का अभाव के उपरांत भी राष्ट्र कार्य में महत्वपूर्ण योगदान – डॉ. शैलेन्द्र
जयपुर, 28 मार्च। घुमन्तु समुदाय ने अभाव में भी राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसे में समाज के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है अपनी योग्यता, क्षमता से बढ़कर उनके उत्थान का प्रयास करे। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र ने आज राजस्थान विश्वविद्यालय में व्यक्त किए। डॉ. शैलेन्द्र घुमन्तु समुदाय पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने युवा वर्ग से आह्वान किया कि आकादमिक विमर्श के साथ ही प्रत्यक्ष रूप से अभावग्रस्त समुदाय के जीवन में युवा भागीदारी करने के प्रयास करें, जिससे समाज उनके जीवन अनुभव एवं चुनौतियों से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो सकें, तभी समाज में अपेक्षित बदलाव आएगा।
मुख्यधारा की तलाश में घुमन्तु समुदाय विषय पर डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लांग लर्निंग व घुमन्तु जाति उत्थान न्यास के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रथम सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजेश व्यास ने अपने उद्बोधन में बताया कि बंजारा समुदाय कला-संस्कृति का विरल संवाहक है। बहुत से स्तरों पर आज भी आधुनिक गीत संगीत और चित्रकला का बड़ा भाग घुमन्तु जातियों की ही देन है। कला-संस्कृति के रूप में जो अनूठी सौगात उन्होंने हमें दी है, उसे संजोने व उन के कला अवदान को विमर्श में लाये जाने की आवश्यकता है। गुजरात से आये बंजारा समुदाय के विशेषज्ञ केजी बंजारा ने कहा कि वोल्गा से लेकर गंगा तक सबको बंजारा समुदाय ने नमक खिलाया है, बंजारा एक प्रतिष्ठित व्यापारिक समुदाय रहा है ।
संगोष्ठी के संमापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. ओमप्रकाश बैरवा निदेशक एवं संयुक्त सचिव, आयोजना विभाग, आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय रहे, साथ ही अध्यक्षता डॉ. शैलेन्द्र, प्रान्त प्रचारक द्वारा की गई।