भारत चांद पर, चंद्रयान 3 मिशन सफल

भारत चांद पर, चंद्रयान 3 मिशन सफल

भारत चांद पर, चंद्रयान 3 मिशन सफलभारत चांद पर, चंद्रयान 3 मिशन सफल

आज भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्व का पहला देश बन गया। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। यह वह क्षण था, जिसकी 140 करोड़ भारतीयों ने उंगलियों पर गिनते गिनते प्रतीक्षा की थी। विक्रम की लैंडिंग को इसरो की वेबसाइट (Isro.gov.in) व यूट्यूब चैनल के साथ डीडी नेशनल पर लोगों ने लाइव देखा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 18:04 पर लैंडर विक्रम के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने की सूचना देश को दी।

भारत के मिशन चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को 14:35 पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लॉन्च पैड, श्रीहरिकोटा से लॉन्च व्हीकल LVM 3 द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। LVM 3 ,GSLV और MEC3 से मिलकर बना है। इसरो के अनुसार 5 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3, चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हुआ तथा 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया।

लैंडर विक्रम की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त 2023 का दिन व 18:04 का समय निर्धारित किया गया। 20 अगस्त, रविवार को चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम दी बूस्टिंग ऑपरेशन भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर  उतरने वाला चौथा देश बन गया है। अभी तक केवल अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के चंद्र मिशन ही पूरे हुए हैं।

लैंडिंग के लिए दक्षिणी ध्रुव चुनने का कारण 

जिस प्रकार पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव सबसे ठंडा होता है, उसी तरह चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव सबसे ठंडा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यदि कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा होगा तो उसे सूर्य क्षितिज की रेखा पर नजर आएगा। इस क्षेत्र का अधिकतर भाग छाया में रहता है। सूर्य की किरणें दक्षिणी ध्रुव पर तिरछी पड़ती हैं, जिसके कारण यहां का तापमान कम होता है। एक अनुमान के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का तापमान  -100 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां तापमान कम होने के कारण पानी और खनिज मिलने की संभावना है। इन संभावनाओं को देखते हुए लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में नासा का कहना है कि इस ठंडे जल की क्रेटर में प्रारंभिक सौरमंडल से संबंधित हाइड्रोजन ,बर्फ और अन्य वाष्पशील पदार्थ भी हो सकते हैं इस कारण यहां से जीवन के प्रारंभ का संकेत मिल सकता है। वहीं दीर्घकालिक अन्वेषण के लिए पानी एक महत्वपूर्ण संसाधन है और पानी का पता लगने पर अन्वेषण सरल होगा। अभी तक कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर नहीं उतरा है।

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य 

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा का अन्वेषण कर प्रारंभिक पृथ्वी के बारे में जानना तथा पृथ्वी के बाहर जीवन के संभावनाओं का अध्ययन करना है तथा सौरमंडलों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना है। इसके माध्यम से यह जानने में सहायता मिल सकती है कि मानवीय कार्यों में सहायता करने, दूरस्थ स्थान व खतरनाक क्षेत्रों से जानकारी एकत्रित करने के लिए रोबोट्स का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जा सकता है। चंद्रमा पर इस प्रकार की खोज भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाएगी तथा संपूर्ण विश्व के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *