श्रद्धा के फूल बने रोजगार का साधन

श्रद्धा के फूल बने रोजगार का साधन

श्रद्धा के फूल बने रोजगार का साधन

अब मंदिरों में चढ़ावे के तौर पर अर्पित फूल लोगों के रोजगार का एक बड़ा माध्यम बनेंगे। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर से हो चुकी है। यहॉं मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्तियॉं बनाई जा रही हैं। इसे कुटीर उद्योग के तौर पर विकसित किया जाएगा, इस हेतु महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये अगरबत्तियॉं सीआईएसआर-सीमैप (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) लखनऊ  व महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से बनाई जाएंगी। इनके उत्पादन से लेकर विपणन तक की व्यवस्था गोरखनाथ मंदिर प्रशासन देखेगा। ये अगरबत्तियॉं श्री गोरखनाथ आशीर्वाद अगरबत्ती के नाम से बाजार में उपलब्ध होंगी।

रविवार को गोरखनाथ मंदिर परिसर में इस अगरबत्ती ब्रांड का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय मनीषा में बताया गया है कि इस धरती पर कुछ भी अयोग्य नहीं है। अंतर सिर्फ दृष्टि का है। जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि। निष्प्रयोज्य फूलों से अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने का यह कार्य सकारात्मक दृष्टिकोण से ही संभव हुआ है। अब तक मंदिरों में चढ़ाए गए फूल फेंक दिए जाते थे या नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते थे। इससे आस्था भी आहत होती थी और कचरा भी खड़ा हो रहा था। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र और सीमैप ने इन फूलों को महिलाओं की आय का माध्यम बना दिया है। इससे महिलाएं घर का काम करते हुए अच्छी आय अर्जित कर सकेंगी। इससे हमारी मातृशक्ति स्वावलंबी बनेगी।

फूलों से अगरबत्ती

सीएम योगी ने कहा कि इससे इत्र बनाने का प्रयोग भी आरम्भ किया गया है। यह बहुत ही सुगंधित है। आने वाले दिनों में मांगलिक कार्यक्रमों के बाद निष्प्रयोज्य फूलों और घर की पूजा के बाद फेंके जाने वाले फूलों को भी इस अभियान में समाहित किया जाएगा। साथ ही चढ़ाए गए बेलपत्र व तुलसी से भी कई प्रकार की अगरबत्तियॉं बनाई जाएंगी।

ऐसे बनती है अगरबत्ती
चढ़ावे के फूलों को इकट्ठा करके, मशीन द्वारा डीहाइड्रेट कर उनका पाउडर बना लिया जाता है। फिर इसे लकड़ी के बुरादे के साथ मिलाकर गूंथ लिया जाता है और मिश्रण की पतली परत स्टिक पर चढ़ाकर उसे सुगंधित द्रव में भिगोकर सुखाया जाता है और पैकिंग कर दी जाती है। इससे एक प्रशिक्षित महिला प्रतिमाह चार से पांच हजार रुपए की आय अर्जित कर सकती है।
वेस्ट को वैल्थ में बदलने का यह अभिनव प्रयास भविष्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम सिद्ध हो सकता है।

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