छात्र शक्ति के बल पर ही भारत बनेगा विश्व गुरु- प्रफुल्ल आकांत

छात्र शक्ति के बल पर ही भारत बनेगा विश्व गुरु- प्रफुल्ल आकांत

छात्र शक्ति के बल पर ही भारत बनेगा विश्व गुरु- प्रफुल्ल आकांतछात्र शक्ति के बल पर ही भारत बनेगा विश्व गुरु- प्रफुल्ल आकांत

जयपुर, 25 नवम्बर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत ने कहा है कि भारत को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने का सामर्थ्य छात्र शक्ति में ही है। अब भारत माता की जय करने के लिए जीने का संकल्प लेने का समय है। वे शुक्रवार को जयपुर में शुरू हुए एबीवीपी के तीन दिवसीय 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम सत्र को संबोधित कर रहे थे।

स्वावलंबी भारत एवं युवाओं की भूमिका विषय का प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए युवाओं की सोच में बदलाव करना होगा। उन्हें नौकरी प्राप्त करने वाले के बजाय नौकरी देने वाले की सोच स्वयं में विकसित करनी होगी। विनाश विरहित विकास के दृष्टिकोण के साथ छात्रों को पढ़ाई के बाद नहीं बल्कि पढ़ाई के साथ ही उत्पादनकर्ता की भूमिका निभानी होगी। हमें भारत को जर्मनी, जापान नहीं बनाना बल्कि भारत को भारत ही बनाना है, तब यह भारत पूरी दुनिया का ट्रेंड सेट करने वाला होगा।

उन्होंने भारत को कृषि प्रधान देश के बजाय कृषि उद्योग प्रधान देश बताते हुए कहा कि भारत में औपनिवेशिक शासन के दौरान अर्थव्यवस्था को बुरी तरह कुचला गया। भारत 1500 ईसवी में विश्व की जीडीपी में 32 से 34 प्रतिशत का योगदान रखता था और 1700 ईसवी में भी यह योगदान 34 प्रतिशत था, लेकिन 1947 में जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए तब यह योगदान मात्र दो प्रतिशत रह गया। अंग्रेजों ने क्रमबद्ध तरीके से हमारे यहां के कृषि आधारित उद्योगों को समाप्त किया। इतना ही नहीं शिक्षा में भी नौकरी की मानसिकता बढ़ाने वाली शिक्षा को लागू किया। यही कारण रहा कि जिस भारत की अर्थव्यवस्था आज के विकसित देशों की अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक सुदृढ़ थी, वह गरीब देशों में शुमार हो गया। उन्होंने कहा कि हमारे देश को सपेरों का भारत कहा जाना भी वैश्विक स्तर पर एक षड्यंत्र था। जिस देश में ईसा से 500 वर्ष पहले तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय मौजूद थे और वहां हर वर्ग को ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार था, उस देश को सपेरों का भारत जैसी संज्ञा कैसे दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को लाना है तो हमें हर व्यवस्था का विकेंद्रीकरण करना होगा और विकेंद्रीकृत रचना से ही संपूर्ण समाज की सहभागिता संभव हो सकेगी।

उन्होंने विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं से कॉलेज परिसरों में उद्यमिता का वातावरण बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समस्या नहीं बल्कि समाधान के साथ आगे बढ़ें, यही विद्यार्थी परिषद है। उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि कोई भी उत्पाद खरीदने के लिए सबसे पहली प्राथमिकता हमारे गांव में बना हुआ उत्पाद होना चाहिए। यदि उत्पाद गांव में नहीं बन रहा है तो जिले में बनने वाले उत्पाद को प्राथमिकता देनी चाहिए, यदि जिले में भी नहीं है तो राज्य में बनने वाले और राज्य में नहीं मिलने वाले उत्पाद के बदले देश में बनने वाले उत्पाद को महत्व देना चाहिए। यदि उत्पाद देश में भी नहीं बन रहा है तो उसके लिए मित्र राष्ट्र से खरीदना प्राथमिकता में होना चाहिए।

प्रफुल्ल ने कहा कि भारत में नए नेतृत्व के साथ अपनी सोच बदली है। भारत ने अपनी नई शिक्षा नीति भी बनाई है जो आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करती है। भारत की निरंतर प्रगति को देखकर छोटे-छोटे देश भी भारत से सहयोग की अपेक्षा रखने लगे हैं। वे भी यह सपना देखने लगे हैं कि भारत के सहयोग से उनका सैटेलाइट भी अंतरिक्ष में पहुंचेगा। उन्होंने देशभर की उपस्थित युवा शक्ति को वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिनः के मंत्र को धारण करने के साथ देश को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं उत्पादनकर्ता बनने और अन्य में उद्यमिता के गुणों का विकास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत का महाशक्ति बनना भारत की नियति नहीं है, किंतु भारत का विश्व गुरु बनना विश्व की आवश्यकता है।

इससे पूर्व, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर डॉ. राजशरण शाही तथा राष्ट्रीय महामंत्री पद पर याज्ञवल्क्य शुक्ल के कार्यभार संभालने की घोषणा की गई।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *