जंगल के राजा को चुनौती देतीं जंगल में घुस आई भांति भांति की नस्लें
रामास्वामी अय्यर
जंगल में बंदर ने एक शेर को चिकोटी काटी। पूरे जंगल में यह समाचार फैल गया। जंगल के दूसरे जानवरों को लग रहा था कि अब बंदर की मौत तय है। शेर गुस्से में लाल-पीला था। शेर ने दहाड़ते हुए कहा, यह गुस्ताखी। बंदर फिर उछलता हुआ आया और एक और चिकोटी काट कर उछलता हुआ वापस एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया। शेर तमतमाया। कसमसाया। अब तक बंदर शेर के आत्मविश्वास को नाप चुका था। वह ऊंचे पेड़ पर बैठा शेर को दांत दिखा रहा था। तभी एक बार फिर वह पेड़ की डालियों पर उछलता हुआ आया, शेर की पूंछ पर कूदा और छलांग मार कर फिर पेड़ पर चढ़ गया।
इन दिनों शेर के जंगल में एक परदेशी नीले पंखों वाली चिड़िया भी बंदर जैसी हरकतें कर रही है। यह देखकर जंगल के कुछ जानवर शेर की हंसी उड़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है एक मामूली सी चिड़िया शेर को आंखें दिखा रही है।
बहरहाल, जंगल में जानवरों की एक नई नस्ल भी घुस गई है। जंगल का राजा उससे भी परेशान है। वह परदेशी लुंगी नस्ल जंगल में हर जगह फैल चुकी है। वह जंगल में दूसरे आम जानवरों के अधिकारों को छीन रही है। यह नस्ल तेजी से प्रजनन कार्य में जुटी है, जिससे उन्हें संख्या बल मिल सके। संख्या बल के दम पर वह अगले कुछ साल में अपना नेता चुन सकेगी और जंगल के राजा को टक्कर दे सकेगी। लुंगी नस्ल में हरेक के पास दर्जनों संतति हैं। मगर, जब सब कुछ मुफ्त मिल रहा है तो एक दर्जन ही क्यों, दो दर्जन क्यों नहीं? यह नस्ल आपराधिक किस्म की है। दूसरे जानवर इस नस्ल से डरे हुए हैं। मगर इस नस्ल को जंगल की सेकुलरवादी नस्ल का फुल सपोर्ट है। जंगल की उदारवादी, वामपंथी और सेकुलर टाइप की नस्लों ने इस लुंगी नस्ल को जंगल में रोटी, कपड़ा और मकान उपलब्ध कराने की वकालत करना शुरू कर दिया है। ये नस्लें जंगल की अदालत में जंगल के राजा के विरुद्ध आवाज बुलंद कर रही हैं।
जंगल की राजधानी में रहने वाली तथाकथित आम जानवरों के हितों की बात करने वाली बगुला नस्ल ने तो लुंगी नस्ल के लिए मुफ्त वाईफाई से लेकर मुफ्त दाल-चावल की भी व्यवस्था भी कर दी है। इसके लिए वह जंगल के राजा से लड़ाई कर रही है कि लुंगी नस्ल को मुफ्त दाल चावल देने की उसकी योजना में टांग नहीं नहीं अड़ाए और जंगल का राजा है कि बस…हैरान और परेशान है।
ऐसा नहीं है कि राजा सिर्फ इन परदेशी नस्लों से ही परेशान है। वह अपने ही जंगल के छोटे से हिस्से सुंदरवन की खूंखार बिल्ली से भी परेशान है। बिल्ली के बच्चे हर दिन शेर के शावकों को नोच रहे हैं। उन्हें मार कर खा रहे हैं। शावक चिल्ला रहे हैं। मगर शेर खामोश है। शेर के शावक बिल्ली और उसके बिलौटों को उसी परदेशी चिड़िया के पंख पकड़कर डराने की कोशिश तो करते हैं मगर, जैसे ही बिल्ली झपट्टा मारती है, शावक दुबककर छिप जाते हैं। बिल्ली फिलहाल शेर के कई शावकों पर झपट्टा मारने की फिराक में है। जंगल में राजा के विरोधी जानवर मिलकर सुंदरवन की बिल्ली को जंगल का राजा बनाने की भी योजना बना चुके हैं। हालांकि जंगल के गुट निरपेक्ष जानवरों के अनुसार जंगल में फैली अजीबो गरीब बीमारी के कारण जंगल का राजा परेशान है।
जंगल के राजा के आत्मविश्वास को जगाने के लिए राजा के विश्वासपात्र जानवर हर सुबह चिल्लाते हैं- फुल मेजोरिटी वाले राजा हाफ विल पावर से कैसे अपना इकबाल बुलंद करेगा। कुछ नाचीजों के सामने अगर जंगल का राजा घुटनों पर आ जाएगा तो जंगल में उसका क्या इकबाल रह जाएगा। इन विश्वासपात्र जानवरों को आशा है कि जल्द ही जंगल के राजा का आत्मविश्वास लौट आएगा।