राष्ट्र के अस्तित्व से जुड़ा है जनसंख्या नियंत्रण कानून
अनुपमा अग्रवाल
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1 अरब 2 करोड़ 80 लाख थी, जबकि 2011 में यह बढ़कर 121 करोड़ तक पहुंच गई। जनसंख्या वृद्धि दर संबन्धी आंकड़ों पर नजर रखने वाली वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के अनुसार 2021 में भारत की जनसंख्या लगभग 139 करोड़ हो चुकी है। 1901 के पश्चात हर दस वर्ष बाद होने वाली जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 17.64 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। भारत की जनसंख्या वृद्धि की यह रफ्तार अगले दस वर्षों में विश्व में प्रथम स्थान रखने वाले चीन को पछाड़ देगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या रिपोर्ट के अनुसार 2010-2019 के बीच भारत की कुल वार्षिक वृद्धि दर 1.2 से बढ़कर 1.36 हो गई है जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दुगनी है। जन्मदर में वृद्धि ही जनसंख्या वृद्धि का एक मात्र कारण नहीं अपितु सीमा पार से बड़ी संख्या में अवैध घुसपैठियों का देश में आगमन भी जनसंख्या वृद्धि का अहम कारण है। आर्थिक रूप से बोझ बनती जा रही जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों के अतिरिक्त दोहन का कारण बनने के साथ अवैध रूप से रह रहे घुसपैठिए देश में, अराजकता का माहौल पैदा करके देश को खंडित करने का कुचक्र रच राष्ट्र के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
भारत में 1872 से जनगणना आरम्भ हुई। तभी से पंथानुसार आंकड़े एकत्र किए जाते रहे थे। सामाजिक, आर्थिक विषयों का पंथ, शिक्षा, लिंग, आर्थिक व्यवसाय आदि के अनुसार विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता था। परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पंथानुसार जनगणना को बंद कर दिया गया। 2001 में पुनः इस आधार पर जनगणना के आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण कर व्यवसाय, लिंग, शिक्षा के अनुसार वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया।
धर्माधारित जनगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2001-2021 के बीच देश में मुस्लिम जनसंख्या 13.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई है। जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में जहां बहुसंख्यक जनसंख्या में कमी देखी गई, वहीं अल्पसंख्यकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। 2001 की जनगणना में उत्तर प्रदेश में 80.61
प्रतिशत हिन्दू थे और 18.50 प्रतिशत मुसलमान थे लेकिन 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या घटकर 79.73 प्रतिशत और मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 19.26 प्रतिशत हो गई। जनगणना विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश के 70 में से 57 जिलों में हिंदुओं की जनसंख्या मुसलमानों के मुकाबले घटी है। 2011 की जनगणना के अनुसार यही स्थिति मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय, केरल, बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर आदि राज्यों में है, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक है और यहां ईसाई या फिर मुसलमानों का वर्चस्व बढ़ा है। अब सवाल यह उठता है कि मुस्लिम आबादी की बढ़ोतरी का उद्देश्य क्या है? इस उद्देश्य से हासिल क्या होने वाला है? जनसंख्या असन्तुलन या जनसांख्यिक परिवर्तन किसी भी समाज में सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन का कारण बनने के साथ राष्ट्रीय पहचान पर संकट पैदा करने वाला साबित हो सकता है। इसके लिए किसी बाहरी उदाहरण की आवश्यकता नहीं, भारत स्वयं 1947 में जनसांख्यिक असंतुलन के कारण विभाजन की दुखद त्रासदी को झेल चुका है। इतिहास साक्षी है कि जिन राज्यों में हिन्दू प्रबल बहुसंख्यक रहे यहां दंगे न के बराबर हुए जबकि मुस्लिम बहुलता वाली स्थानों पर अधिक दंगे देखे गए, जो कि इस्लामीकरण की जड़ हैं।
देश के प्रमुख राज्यों में जनसंख्या वृद्धि के द्वारा अपनी जड़ें मजबूत कर रहा इस्लाम, न केवल देश में अराजकता का माहौल पैदा कर रहा है बल्कि देश की कानून व्यवस्था पर अविश्वास दर्शाकर मस्जिदों से फतवे व विभिन्न प्रकार के जिहाद चला कर देश को खण्डित करने का षड्यंत्र रच रहा है। 2020 में दिल्ली में हुए दंगे इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। बिखराव की स्थिति में कम्युनिस्टों के सहारे खड़ा देश का विपक्ष, वोट बैंक की राजनीति के अंतर्गत मुसलमानों को साधने के लिए न केवल उनका समर्थन करता है बल्कि केंद्र द्वारा राष्ट्रहित में जारी एनआरसी, सीएए व जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानून को देश में लागू करने का घोर विरोधी होने के साथ अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थक भी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक श्री केसी सुदर्शन जी ने इस समस्या की गम्भीरता को भांपते हुए कहा था कि हिंदुओं की घटती वृद्धि दर सम्पूर्ण भारत के भविष्य के लिए खतरा और आशंकाएं पैदा करती है, इसलिए आवश्यक है कि जिन कारणों से राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसांख्यिक सन्तुलन पर हमला हो रहा है, उन पर गम्भीरता से विचार कर समाधान खोजा जाए। सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेश व म्यांमार से आने वाले घुसपैठियों की सघन आबादी का बढ़ना सभी देशवासियों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यह मुद्दा राष्ट्र के भविष्य और उसके अस्तित्व के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। हिंदुओं की जनसंख्या कम होने का परिणाम आज तक देश के लिए घातक ही सिद्ध हुआ है। अगर हम अब भी नहीं संभले तो हजारों सालों से अपने बल, पराक्रम और धैर्य से जिन पूर्वजों ने इस सभ्यता और संस्कृति को सींचा और बढ़ाया, उसका नामोनिशान अंततः मिट जाएगा। साथ ही उन्होंने हिंदुओं का आह्वान किया था कि वे समान नागरिक कानून लागू करने की मांग करें।
लगातार बढ़ती जनसंख्या जहां संसाधनों पर बोझ बनती जा रही है, वहीं इससे उत्पन्न बेरोजगारी के कारण गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण जैसी समस्याएं देश में पनप रही हैं।जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों, की मांग जिस तेजी से बढ़ रही है उसकी आपूर्ति हेतु उतनी ही तीव्रता से प्रकृति के नियमों की अनदेखी कर उनका अतिरिक्त दोहन हो रहा है। विकास की अंधी दौड़, रोजगार सृजन एवं आवास आपूर्ति के कारण खेतिहर भूमि कम हो रही है, जबकि अन्न की मांग बढ़ रही है। इसी तरह बढ़ती जनसंख्या की प्यास बुझाने के लिए पेयजल की मांग बढ़ रही है परन्तु जल के अत्यधिक दोहन ने धरती के जल को सुखा दिया है। रही बात शुद्ध प्राणवायु की तो बढ़ती जनसंख्या के रहवास के लिए पेड़ों के कटान एवं जंगलों के सफाए से जहां ऑक्सीजन कम और प्रदूषण में वृद्धि हो रही है वहीं ये सभी चीजें जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आ रही हैं जो
वर्तमान में विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती ही नहीं, गम्भीर समस्या भी बन चुकी है। अतः देश के अस्तित्व के लिए खतरा बनती जा रही बढ़ती जनसंख्या को तत्काल नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
कुछ समय पहले गृह मंत्रालय ने भारत में अवैध घुसपैठियों की बढ़ती संख्या से पैदा होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा संकट पर गम्भीर चिंता व्यक्त की थी। अवैध घुसपैठिए बांग्लादेश के रास्ते असम, बंगाल, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू आदि राज्यों में जहां इनका समर्थन करने वाली सरकारें मौजूद हैं। वहां बड़ी मात्रा मे फैल कर न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं बल्कि जिन संसाधनों पर भारतवासियों का अधिकार है, उनका अधिकाधिक लाभ ये लोग ले रहे है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में इनकी संलिप्तता के सबूत भी समय समय पर मिलते रहते है। गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2018-2020 के बीच भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने का प्रयास करने वाले तीन हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें सर्वाधिक संख्या पाकिस्तान व बंगलादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों की थी। चौकाने वाली बात यह है कि बहुत से घुसपैठियों ने तो लेन देन और मिलीभगत से अपने राशनकार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड भी बनवा लिए है जिससे इनकी पहचान करना अब और भी मुश्किल हो गया है।
परमाणु बम से ज्यादा विस्फोटक रूप धारण करती जा रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है। जिसमें बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों, जनसंख्या को नियत्रित करने के नकारात्मक प्रभाव, जनसंख्या के लिहाज से कानून की उपयोगिता व इस पर राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता जैसे मुद्दे शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की पहल के बाद मध्यप्रदेश व असम राज्यों ने भी जनसंख्या नियंत्रण नीति लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा राज्य सरकारों को जनसांख्यिक असन्तुलन को कम करने व मतांतरण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने होंगे तथा राष्ट्रहित में सीएए और एनआरसी जैसे कानून को लागू कर अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को बाहर का रास्ता दिखाना होगा।