जम्मू कश्मीर की बदलती बयार वहॉं के वाशिंदों को भा रही है – उपराज्यपाल सिन्हा

जम्मू कश्मीर की बदलती बयार वहॉं के वाशिंदों को भा रही है - उपराज्यपाल सिन्हा

दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान 2021

जम्मू कश्मीर की बदलती बयार वहॉं के वाशिंदों को भा रही है - उपराज्यपाल सिन्हा

जयपुर, 4 अक्टूबर। सोमवार को एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा अनुच्छेद 35A के निरस्त होने से निष्प्रभावी हुई धारा 370 एवं जम्मू कश्मीर राज्य का संविधानतः भारत में पूर्ण विलय : स्थिति तथा संभावनाएं विषय पर दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान 2021 का आयोजन हुआ। वर्चुअली आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखी। उन्होंने प्राचीन काल से ऋषियों की तपस्थली रहे जम्मू कश्मीर व विभाजन के समय इसके भारत में विलय तथा बिना शर्त विलय होने पर भी भारत के तत्कालीन शासन द्वारा इसका अलग विधान, अलग प्रधान व अलग निशान (झण्डा) रखे जाने के कारण डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के श्रीनगर में इन प्रावधानों के विरोध में किए गए सत्याग्रह का उल्लेख किया।

डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने बताया कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने यह उद्घोषित करते हुए सत्याग्रह किया कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। मुखर्जी को श्रीनगर में बंदी बनाया गया। जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई।

डॉ. मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनका स्वप्न दो वर्ष पूर्व साकार हुआ, जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का भारत में संविधानतः सम्पूर्ण विलय हुआ।

डॉ. शर्मा ने जम्मू, कश्मीर व लेह लद्दाख का भी विस्तार से वर्णन किया। डॉ. महेशचन्द्र शर्मा एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष हैं। प्रतिष्ठान की ओर से “मंथन” त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। मंथन पत्रिका के दो अंक शोध पत्रिका के रूप में जम्मू कश्मीर पर प्रकाशित किए गए हैं, उनमें कश्मीर की पृष्ठभूमि से पूर्ण परिचित विद्वानों के संग्रहणीय लेखों को समाहित किया गया है।

2018 में “अखंड भारत की अवधारणा एवं कश्मीर” विषय पर आयोजित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महामंत्री व जम्मू कश्मीर प्रभारी राममाधव ने जम्मू कश्मीर में संयुक्त सरकार बनाने व उससे अलग होने के कारणों को विस्तार से बताया था।

वर्ष 2019 के दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में केरल के राज्यपाल आरिफ मो. खान ने “जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में पूर्ण अधिमिलन” विषय पर अपने विचार रखे थे। उस समय  उन्होंने अमृतसर बेनामा का विस्तार से उल्लेख करते हुए बताया था कि किस प्रकार यह पूर्ण प्रदेश विरासत में राजा हरिसिंह के द्वारा संचालित रहा। उन्होंने शंकराचार्य मंदिर व वहां की संस्कृत शिक्षा की प्राचीन परंपरा का भी उल्लेख किया था।

डॉ. महेश शर्मा ने इन दोनों कार्यक्रमों के बारे में बताते हुए कहा कि आज के व्याख्यान कर्ता उपराज्यपाल जम्मू-कश्मीर श्री मनोज सिन्हा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की सरकार मे मंत्री भी रहे हैं। ये नेतृत्वकर्ता के साथ साथ कार्यकर्ता भी हैं, इसलिए जम्मू कश्मीर के धरातल पर हो रहे विकास का इतिहास रच रहे हैं।

मनोज सिन्हा माननीय राज्यपाल जम्मू कश्मीर ने अपने व्याख्यान में उनके कश्मीर जाने के समय से अब तक के भौतिक व सामाजिक विकास के तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट बिहार से भी अधिक है जबकि कश्मीर की जनसंख्या बिहार की लगभग 10% है और यह बजट राशि वर्षों से इसी अनुपात मे है लेकिन धरातल पर विकास नहीं हुआ। वर्षों पूर्व बनी योजनाओं पर अब काम आरंभ हुआ है। विभिन्न सरकारी नियुक्तियाँ भी अब हो रही हैं। जिनमें कश्मीर के युवक युवतियों की भागीदारी बढ़ रही है। खेल के मैदानों में बच्चे आने लगे हैं। अभी पिछली सर्दियों का उन्होंने उल्लेख किया कि गुलमर्ग महोत्सव में पहली बार बर्फ भी थी और बिजली भी थी जो वहाँ जनचर्चा का विषय बन गया है क्योंकि बर्फबारी के दिनों में बिजली नहीं रहती थी। गांवों के संपर्क हेतु हाल ही में बनी सड़क, स्कूल, खेल के मैदान आदि भी भौतिक विकास का नया अध्याय रच रहे हैं।

पूरे जम्मू कश्मीर में स्थान स्थान पर अभी 15 अगस्त को तिरंगा फहराया गया आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष को सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रगान के साथ मनाया गया। यह बदलाव की बयार है जो वहाँ बह रही है और वहाँ के गांवों शहरों के वाशिंदों को भा रही है।

कार्यक्रम का संचालन जुगल किशोर ने किया।

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