जयपुर बम ब्लास्ट के आंतकियों को मृत्युदण्ड देने वाले न्यायाधीश की जान को खतरा

जयपुर बम ब्लास्ट के आंतकियों को मृत्युदण्ड देने वाले न्यायाधीश की जान को खतरा

जयपुर बम ब्लास्ट के आंतकियों को मृत्युदण्ड देने वाले  न्यायाधीश की जान को खतरा

जयपुर। 12 साल पूर्व गुलाबी नगरी जयपुर में 13 मई 2008 को हुए आठ सिलसिलेवार बम धमाके तथा उनमें जान गंवाने वाले 71 निर्दोष लोगों की हत्या के आरोपित आंतकियों को फांसी की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत न्यायाधीश की जान को खतरा बना हुआ है। विशेष न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने इसका अंदेशा व्यक्त करते हुए पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र यादव को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। न्यायाधीश शर्मा ने जयपुर बम ब्लास्ट को अंजाम देने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन के आंतकी मोहम्मद सैफ उर्फ कैरीऑन, मोहम्मद सरवर आजमी, मोहम्मद सलमान और सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान अंसारी को 18 दिसम्बर 2019 को दोषी करार देकर सजा सुनाई थी।

जज ने पत्र में लिखा है कि वे 31 जनवरी को सेवानिवृत हो चुके हैं। पिछले कुछ दिनों से उनके घर के बाहर संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं। कुछ लोग मोटर साइकिल पर उनके घर के बाहर चक्कर काटते हैं और कई बार इन लोगों ने मोबाइल से फोटो भी खींचे हैं। हालांकि फिलहाल उन्हें पांच पुलिसकर्मी और दो पीएसओ मिले हुए हैं। लेकिन उन्हें सूचना मिली है कि पुलिस लाइन के अधिकारी उनके गार्ड और पीएसओ को हटा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने डीजीपी से सुरक्षा की गुहार लगाई है।

पूर्व न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा कि पूर्व में न्यायाधीश नीलकण्ठ गंजू ने वर्ष 1984 को आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी, जिसके चलते आतंकवादियों ने 2 अक्टूबर 1989 को गंजू को सरेआम मार दिया था। ऐसे में मेरी और मेरे परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। वहीं गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट से भी प्रतीत होता है कि आतंकवादी अपने साथियों को दी गई सजा का बदला ले सकते हैं।

पूर्व न्यायाधीश के सुरक्षा विषय पर बोलते हुए सेवानिवृत पुलिस अधिकारी राजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आंतकी वारदात के निर्णय से जुड़े न्यायाधीशों के साथ पूर्व में हुई घटनाओं के बाद इनको सुरक्षा काफी पहले से दी जाती रही है। ऐसे में यदि पूर्व जज अजय शर्मा ने अपनी जान को खतरा बताया है तो गृह विभाग को इस पर शीघ्र कार्रवाई करते हुए सुरक्षा देनी चाहिए। उनके पत्र के बाद अब सरकार को इस पर निर्णय लेने में देरी नहीं करनी चाहिए।

चश्मदीद बताते हैं कि 13 मई 2008 के दिन शाम लगभग 7.10 बजे हनुमान मंदिर पर पहला ब्लास्ट हुआ। इसके बाद बड़ी चौपड़, मानक चौक पुलिस स्टेशन इलाका, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ और कोतवाली इलाके में 15 मिनट के अंदर 8 बड़े धमाके हुए। हर तरफ तबाही का मंजर था। देखते ही देखते परकोटा में 71 लाशों का अंबार लग गया और 185 लोग घायल हुए थे। जयपुर धमाकों के मामले में आरोपित मोहम्मद आतीफ अमीन उर्फ बशीर और छोटा साजिद बाटला एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। तीन आरोपित मिर्जा शादाब बैग उर्फ मलिक, साजिद बड़ा, मोहम्मद खालिद अब भी फरार हैं। एक अन्य आरोपी आरिज खान उर्फ जुनैद दिल्ली पुलिस की हिरासत में है। उस खौफनाक दृश्य की याद आते ही आज भी लोग सिहर जाते हैं।

यह है जयपुर बम ब्लास्ट की पूरी कहानी

– जयपुर में 13 मई 2008 को बम ब्लास्ट हुए
– सभी आरोपियों ने बम ब्लास्ट के लिए 10 तारीख से तैयारी शुरू की
– सभी आरोपी दिल्ली के बाटला हाउस में कमरा संख्या 108 में मिले
– इसी जगह से जयपुर में बम ब्लास्ट करने की योजना बनाई
– 11 मई को सभी आरोपी दिल्ली से जयपुर आए और रैकी की
– बीकानेर हाउस से वोल्वो बस में बैठकर दिल्ली से आए जयपुर
– 12 मई को बम ब्लास्ट के लिए सभी बम तैयार किए गए
– 13 मई को जयपुर शहर में जाकर ब्लास्ट के लिए कई साईकिल खरीदी गई
– सभी साईकिले किशनपोल बाजार एक साईकिल की दुकान से खरीदी
– बम लगाने के लिए बाजार से नए बैग खरीदे गए
– बैग खरीदकर साईकिल पर रखकर लाए और साईकिले खड़ी कर दी
– 13 मई शताब्दी ट्रेन पकड़कर वापस दिल्ली लौट गए
– आरोपियों ने बचने के लिए नाम बदलकर यात्रा की

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