जीसस के नाम पर पादरी ने जनजातीय समाज की देवी आने दोन्यी के प्रतीकों को जलाया
घटना अरुणाचल प्रदेश के सेप्पा की है। सेप्पा के पेंटकोस्टल चर्च के पादरी, चतुरंग सोपुंग और ताली लांगरो ने जीसस के नाम पर जनजातीय समाज की देवी आने दोन्यी (सूर्य की माता) के प्रतीकों को जलाया। घटनास्थल पर मौजूद अन्य ईसाइयों ने मूर्तियों पर सूखी घास और पत्तियॉं फेंककर उनका समर्थन किया।
मामले का खुलासा सोशल मीडिया के माध्यम से तब हुआ जब पाइ दवे नाम के एक व्यक्ति ने वीडियो और एफआईआर को फेसबुक पर साझा किया। उनका कहना है कि इन लोगों ने हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। हम हमेशा से अरुणाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट को सख्ती से लागू करने की बात कहते आए हैं। इस तरह की घटनाएं स्वदेशी आस्था और संस्कृति के संरक्षण पर राज्य सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये का परिणाम हैं। वे कहते हैं कि राज्य की विधानसभाओं के लिए समय आ गया है कि वे इस अधिनियम को सोच समझकर लागू व क्रियान्वित करें।
इस घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद IFCSAP और न्यीशी इंडीजिनस फेथ एंड कल्चरल सोसायटी (NIFCS) की पूर्वी कामेंग जिला इकाइयों ने मिलकर पादरी व अन्यों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में संस्थाओं ने पादरी के इस एक्शन को पूर्ण रूप से अरुणाचल प्रदेश की धार्मिक स्वतंत्रता की धारा 3, 4 और 5 तथा आईपीसी की धारा 295 A और 298 समेत शांति भंग करने वाले सभी प्रावधानों का उल्लंघन बताया है।
वीडियो में पादरी बार बार जीसस के नाम पर शत्रु शक्तियों को नष्ट करने की बात कह रहा है।