जी 20 की अध्यक्षता और भारत की ओर झांकता विश्व
प्रीति शर्मा
जी 20 की अध्यक्षता और भारत की ओर झांकता विश्व
हाल ही में भारत को जी 20 की अध्यक्षता प्राप्त हुई जो आने वाले वर्ष में भारत की वैश्विक छवि के नए पायदान स्थापित करेगी। प्रश्न यह है कि भारत ऐसी कौन सी नीतियों का पालन करेगा और उनका क्या प्रभाव देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पड़ेगा? इस प्रश्न के उत्तर पर आगे बढ़ते हुए जान लेते हैं कि जी 20 क्या है, कैसे आया और इसके उद्देश्य क्या रहे हैं? 19 देश और यूरोपीय संघ से मिलकर बना जी 20 एक परामर्शदात्री मंच है, जिसकी विलक्षणता इस बात में है कि यह विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, विकसित और विकासशील देशों को एक मंच पर लाकर खड़ा करता है। विश्व की 85% जीडीपी, 75% व्यापार, 2/3 जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाला यह मंच तब अस्तित्व में आया, जब 1990 के दशक में दक्षिण- पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय संकट पर विचार करने के लिए जी 7 और अन्य देशों की बैठक हुई। पूर्व में मात्र वित्तमंत्री और केन्द्रीय बैंक के गवर्नर इसमें सम्मिलित होते थे, बाद में 2007 से राज्य के प्रमुख, विदेश मंत्री भी इसमें सम्मिलित होने लगे। इसका उद्धेश्य विमर्श और सहयोग के द्वारा वैश्विक आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन को कम कर वित्तीय स्थायित्व और वहनीय विकास सुनिश्चित करना है।
जी 20 की अध्यक्षता भारत के लिए वर्ष 2023 में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वैश्विक मंच के माध्यम से भारत के लिए अपने उत्कृष्ट और अनन्य दर्शन, संस्कृति और जीवन पद्धति के माध्यम से अपनी विशिष्ट छाप विश्व पटल पर छोड़ने का महत्वपूर्ण अवसर है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत विकासशील लोकतंत्रों के प्रतिनिधि के रूप में दक्षिण ध्रुवीय राष्ट्रों के हितों को प्रोत्साहित करेगा। शांति और स्थायित्व के आदर्शों का पोषक भारत मानव केंद्रित वैश्वीकरण की स्थापना और वैश्विक सामंजस्य पर बल देकर विश्व की जटिलतम समस्याओं के निराकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। क्योंकि यह सर्व विदित है कि भारत प्राचीन काल से ही पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली और दर्शन का पक्ष पोषक रहा है और वसुधैव कुटुम्बकम के पावन आदर्श को वास्तविकता में बदलने के लिए समय-समय पर वैक्सीन मैत्री, संयुक्त राष्ट्र शांति प्रयासों, संघर्ष के शान्तिपूर्ण समाधान, अनाक्रमण की नीतियों के माध्यम से प्रयास करता रहता है। भारत 2025 तक क्रमिक अध्यक्षता के माध्यम से क्रमशः ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (इब्सा) के साथ दक्षिणी विकासशील और अविकसित देशों के जलवायु, आतंकवाद, अर्थिक संकट और अन्य हितों को प्रोत्साहित करेगा। भारत की संपन्न ज्ञान परम्परा, दर्शन, यौगिक जीवन शैली और मानव सेवा, संतोषी जीवन पद्धति के सिद्धांत में समस्त असाध्य और अप्रत्याशित समस्याओं का समाधान निहित है, जिसका उत्कृष्ट उदाहरण कोविड जैसी अनपेक्षित महामारी के समय पारिवारिक एकजुटता और सामाजिक सेवा के माध्यम से दिखाई दिया जो वृद्धजन को उपचार और वैक्सीन में उपेक्षित कर देने वाले तथा उपचार और वैक्सीन तकनीक साझा न करने वाले औपनिवेशिक पश्चिमी विकसित विश्व में कहीं देखने को नहीं मिला।
भारत पर विश्व की सर्वोच्च निर्णय निर्माण परिषद (सुरक्षा परिषद) को लोकतांत्रिक स्वरूप देने का दायित्व है ताकि संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों को महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व और सम्वाद का अवसर प्राप्त हो सके। ऐसा भारत के 2023 में महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर ऊर्जावान दायित्व निभाने से सम्भव होगा। भारत के विकास अनुभवों को अन्य देश स्व विकास के सम्भावित मॉडल के रूप मे स्वीकार कर सकें ऐसे प्रयास करने होंगे। ‘हरित विकास’ जिसमें पर्यावरण और विकास में सामंजस्य स्थापित होता है, भारत की प्राचीन जीवन शैली का भाग है। भारत को स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा संवहनीय उत्पादन एवं वितरण मॉडल प्रसारित करना होगा। वैश्विक समस्याओं के समाधान में प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ ही वैश्विक खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा सुविधाओं को दुरुस्त करना होगा। तभी भारत “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के संकल्प यज्ञ में अपनी समुचित आहुति दे सकेगा। शांति के पोषक राष्ट्र भारत के कंधों पर संघर्षशील राष्ट्रों के बीच सामंजस्य स्थापित कर शांति स्थापना और आतंकवाद निरोधक का महत्वपूर्ण दायित्व है क्योंकि यह “युद्ध का नहीं सौहार्द्र का युग” है। भारत समावेशी विकास के लिए संकल्पबद्ध है, जो औपनिवेशिक सोच से मुक्ति के साथ बहुपक्षवाद और वसुधा को एक ही परिवार मानते हुए मानव मात्र के उत्थान को महत्व देते हुए कर्त्तव्य निर्वहन की दिशा में अग्रसर है और भविष्य में भी होता रहेगा।
हाँ भारत G-20के माघ्यम से विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ेगा
भारत है ऐसा देश है जो विश्व का नेतृत्व कर सकता है l