डर
भारत का आम आदमी तब भी नहीं डरा जब प्लेग अपना कहर बरपा रहा था। इसी निडर जज्बे के कारण ही तो मुंबई हमले के बाद भी भारत का आम आदमी डरा नहीं बल्कि एकजुट होकर सीना तानकर खड़ा हो गया।1948, 1965, 1971 और 1999 की विषम परिस्थितियों में भी भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी।
शुभम वैष्णव
आज की दुनिया में हर कोई कोरोना से डरा हुआ है। सबको अपनी सुपर पावर से डराने वाला अमेरिका भी आज खुद डरा हुआ है। खुद को ड्रैगन की संज्ञा देने वाला चीन भी आज डरा हुआ है। कोई क्वॉरेंटाइन के नाम से डरा हुआ है तो कोई पुलिस के डंडे से डरा हुआ है। आज कोरोना का डर घर-घर, जन -जन और सबके मन में अपनी पैठ बना चुका है।
अब तो लोग विदेश जाने के नाम से भी डरने लगे हैं। कुछ समय पहले भारत में भी कुछ लोगों को डर लगा था। उन्हें भारत में रहना असुरक्षित लग रहा था। समय-समय पर कुछ लोगों का यह डर राजनीति की नई रणनीतियां लेकर आता रहता है। अणु, परमाणु की बात करने वाली दुनिया को आज एक विषाणु की ताकत पता चल गई है।
लेकिन इतने सारे डरों के बीच एक बात तो है। भारत के लोगों में कोई भी डर अपनी पैठ नहीं बना सकता। क्योंकि भारत का आम आदमी तब भी नहीं डरा जब प्लेग अपना कहर बरपा रहा था। इसी निडर जज्बे के कारण ही तो मुंबई हमले के बाद भी भारत का आम आदमी डरा नहीं बल्कि एकजुट होकर सीना तानकर खड़ा हो गया। 1948, 1965, 1971 और 1999 की विषम परिस्थितियों में भी भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी।
हम सब भारतीयों ने मिलकर टीबी, पोलियो , प्लेग और मलेरिया जैसी घातक बीमारियों का सामना किया है। अब कोरोना की बारी है। हम सब मिलकर कोरोना को भी मात दे देंगे। बस हमें अपनी सरकार के द्वारा बताए गए कदमों की अनुपालना करनी होगी। कोरोना को हराना है तो घरों में रहना होगा घर यानी सुरक्षा की दीवार और यही सुरक्षा की दीवार हमारे चारों ओर एक सुरक्षा चक्र निर्मित करेगी।
वैसे भी डर के आगे जीत है। इसीलिए हमें अपने सुपर हीरोज डॉक्टर, नर्स और पुलिसकर्मियों के लिए सहयोग का भाव रखना होगा।
वैसे भी जीवन में कई डर होते हैं। परीक्षा का डर, गिरने का डर, पिछड़ने का डर पर अपने जज्बे से हर डर पर काबू पा लेते हैं।