तकनीकी के साथ योगी आदित्यनाथ

तकनीकी के साथ योगी आदित्यनाथ

प्रशांत पोळ

तकनीकी के साथ योगी आदित्यनाथतकनीकी के साथ योगी आदित्यनाथ

19 मार्च, 2017 को रविवार था। भारतीय तिथि के अनुसार चैत्र कृष्ण सप्तमी थी। इस दिन लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में, भगवा वस्त्र पहने हुए 44 वर्ष का एक युवा, भारत के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा था।

भारतीय जनता पार्टी का, योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय, अनेकों को अचरज भरा लगा था। कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों ने तो खुलकर कहा कि ‘उत्तर प्रदेश में अब परंपरावादी, दकियानूसी और धार्मिक कट्टरता का राज चलेगा।’ एक भगवाधारी संत के मुख्यमंत्री बनने पर ऐसी प्रतिक्रियाएं देश के विभिन्न भागों से निकल कर आ रही थीं। उत्तर प्रदेश पहले से अविकसित राज्य की श्रेणी में था। उद्योगों की संख्या बहुत कम थी। इसलिए रोजगार के अवसर भी नगण्य थे। उत्तर प्रदेश के युवा, रोजगार की तलाश में देश के अन्य शहरों में जाते थे। पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी, प्रदेश में छाई गुंडागर्दी और अव्यवस्था के कारण पर्यटन के नक्शे पर, आगरा और वाराणसी के पारंपरिक अपवाद को छोडकर, उत्तर प्रदेश का विशेष स्थान नहीं था। कुल मिलाकर, उद्योग – धंधे नहीं, रोजगार नहीं, पर्यटन नहीं, सड़क – बिजली की ठीक व्यवस्था नहीं, सुरक्षित वातावरण नहीं… ऐसे विशाल प्रदेश की डोर भाजपा ने एक भगवाधारी संत के हाथों सौंपी थी। इस पृष्ठभूमि में, उत्तर प्रदेश के विकास के बारे में अनेकों के मस्तिष्क में अनेकों प्रश्नचिन्ह थे।

किन्तु आज साढ़े चार वर्षों के बाद, बीच में लगभग डेढ़ वर्ष की महामारी झेलने के बाद भी, उत्तर प्रदेश का चित्र बिलकुल अलग है। इसमे धवल छटा है। उज्ज्वल वर्तमान और भविष्य है और संपन्न प्रदेश की जबरदस्त संभावनाएं छिपी हुई हैं।

मीडिया के साथ ही अनेक बुद्धिजीवियों की धारणा के विपरीत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तकनीकी और प्रशासन का गज़ब का समन्वय साधते हुए, एक विकसित प्रदेश का खाका तैयार किया है।

प्रशासन में तकनीकी का उपयोग 
मुख्यमंत्री पद संभालने के मात्र सवा वर्ष के अंदर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सरकारी डेटा की सुरक्षा के लिए ‘ब्लॉकचेन तकनीक’ अपनाई। उत्तर प्रदेश कृषि बहुल राज्य है। राज्य के 20 करोड़ लोगों में से 67% लोग, ग्रामीण भागों में रहते हैं और मुख्यतः किसानी करते हैं। इनके लिए कृषि उपयोगी जमीन का बहुत महत्व है। इसके पहले लैंड रिकॉर्ड्स में, खसरों में, नजूल की जमीन में, जमीन की रजिस्ट्री में अनेक प्रकार की गड़बड़ियां होती थीं। इसको रोकने के लिए, पिछली सरकारों ने सारे लैंड रिकॉर्ड्स का कम्प्युटरीकरण किया। सारा राजस्व (रेवेन्यू) विभाग संगणीकृत हो गया।

किन्तु इस कम्प्युटरीकरण के बाद भी, इसकी खामियों को पकड़ते हुए, घपले होने लगे। इसके लिए पुख्ता व्यवस्था की आवश्यकता थी। योगी जी ने अत्याधुनिक ब्लॉकचेन तकनीक अपनाने का निर्णय लिया।

ब्लॉकचेन तकनीक को ‘डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी’ (DLT) भी कहा जाता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें जानकारी को डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित रखा जाता है। एक प्रकार से यह ‘सुरक्षित डिजिटल बही-खाता’ है। इस व्यवस्था में जानकारी इस प्रकार से रेकॉर्ड की जाती है, कि न तो इसे कोई हैक कर सकता है, और न ही इसमें किसी प्रकार की चोरी की संभावना रहती है।

22 जुलाई 2018 को जब उत्तर प्रदेश ने यह तकनीक अपनाई, तो वह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक के साथ जमीन और राजस्व के रेकॉर्ड्स के लिए ब्लॉकचेन अपनाने वाला पांचवां राज्य बन गया।

इसी के साथ किसानों की जमीन की क्षमता जांचने के लिए योगी जी ने व्यापक अभियान छेड़ा। ‘सॉइल हेल्थ कार्ड’ मोदी जी द्वारा प्रारंभ की हुई योजना है। योगी जी ने इसे आधुनिक तकनीक के माध्यम से करोड़ों किसानों तक पहुंचाया। इससे किसानों को उनकी जमीन के हिसाब से, कौन सी फसल कब लेना है, इसकी पुख्ता जानकारी मिली। इसका परिणाम यह रहा कि कृषि विकास दर बढ़ा।

शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति
मुख्यमंत्री बनने के बाद ली गई पहली पत्रकार वार्ता में योगी जी ने जो प्रमुख घोषणाएं की थीं, उनमें शिक्षा संबंधी घोषणा भी थी। योगी जी शिक्षा के महत्व को जानते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन की अनुभूति भी उन्हें थी।

5 अप्रैल 2017 की इस पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में, शालाओं में शैक्षिक कार्य मात्र 110 दिन ही हो पाता है, जो अत्यंत कम है। उसे 220 दिन किया जाएगा। साथ ही शालाओं के स्तर को बढ़ाने के लिए उनका पाठ्यक्रम बदलने से लेकर सीबीएसई पद्धति अपनाने तक, सभी प्रयास किए जाएंगे। शिक्षा को उच्च स्तर पर लेकर जाने के लिए, टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा।”

शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के लिए योगी सरकार ने अनेक कदम उठाए। 9 फरवरी, 2019 को वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी ने ‘कम्प्युटराइज्ड मोबाइल बस क्लासरूम’ परियोजना का लोकार्पण किया। पूरे वाराणसी क्षेत्र के लिए, विशेषतः जो बच्चे शाला में नहीं पहुंच सकते, ऐसे बच्चों के लिए यह ‘डिजिटल क्लासरूम ऑन व्हील्स’ परियोजना है। यह मोबाइल वैन अत्याधुनिक तकनीक की सामग्री से सुसज्जित है। इसमें मोबाइल उपकरण, थ्री डी प्रिंटर्स, डिजिटल ब्लैकबोर्ड, संगणक आदि का समावेश है।

मार्च 2020 से चीनी महामारी कोविड का प्रकोप प्रारंभ हुआ। विद्यालय / महाविद्यालय, सभी बंद हो गए। यह महामारी कितने दिन चलेगी, इसका कोई अनुमान भी नहीं था। ऐसी परिस्थिति में, विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार ने तकनीकी पर आधारित एक पूरा ब्लूप्रिंट तैयार किया।

बुधवार 15 अप्रैल 2020, अर्थात लॉकडाउन प्रारंभ होने के मात्र एक महीने के अंदर, योगी सरकार ने इस डिजिटल शिक्षा व्यवस्था की घोषणा की।

इस योजना के अंतर्गत विषयवार भाषायी सामग्री (content) तैयार करना और उसे राज्य के 1 करोड़ 80 लाख विद्यार्थियों तक पहुंचाना शामिल था। इस प्रकार के शिक्षा की व्यवस्था पांच माध्यमों के द्वारा की गई –
1. अभिभावकों को बच्चों का शिक्षक बनाना – इसके लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने 3 एप बनाए।
a. चिंपल – इस एप में 80 विविध प्रकार की शैक्षिक गतिविधियां हैं, जिनमें कहानी, पहेली, पाठ, इंटरैक्टिव गेम्स आदि शामिल हैं।
b. मैथ्स मस्ती – आंकड़ों का ज्ञान और गणित का आधार तैयार करना।
c. बोलो (गूगल) – यह रीडिंग एप है, अर्थात बच्चों में पढ़ने की रुचि और जिज्ञासा जागृत करना, प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के विभिन्न कौशल को विकसित करना।
ये सभी एप हिन्दी और अंग्रेजी में बनाए गए।
2. वेब आधारित सामग्री का ‘पूल’ तैयार करना (अर्थात सामग्री का साझा कोष बनाना)
‘दीक्षा’ राष्ट्रीय ई-लर्निंग पोर्टल का उत्तर प्रदेश सरकार ने उपयोग किया। साथ ही ‘उत्तर प्रदेश स्टेट काउंसिल फॉर एजूकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग’ (SCERT) ने ‘क्यू आर कोड’ के साथ, विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम से संबंधित 3 हजार वीडियो बनाए।
3. अभिभावक और शिक्षकों का संपर्क – ‘ई-पाठशाला’ एप के माध्यम से इन सभी को जोड़ा गया।
a. एक हजार व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से बेसिक शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और प्राचार्यों को जोड़ा गया।
b. राज्य में लगभग पांच लाख पचहत्तर हजार शिक्षक हैं। इन सभी को 9 हजार व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से जोड़ा गया।
4. जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, ऐसे बच्चों के लिए दूरदर्शन, उत्तर प्रदेश ने विशेष शैक्षिक कार्यक्रम बनाए।
5. कम्यूनिटी रेडियो का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को आकाशवाणी तथा कम्यूनिटी रेडियो के माध्यम से पूरा किया गया।

कोविड की पहली और दूसरी लहर में, यह डिजिटल शिक्षा, पूरे राज्य में काफी प्रभावी रही। इससे विद्यार्थियों का शैक्षिक नुकसान होने से बच गया।

डिजिटल प्रशासन 
मात्र शिक्षा ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी योगी जी ने तकनीकी के सहारे प्रबंधन में कसावट लायी। कोरोना महामारी आने के थोड़े पहले, अर्थात 13 फरवरी 2020 को योगी जी ने कहा कि, “राज्य सरकार पेपरलेस होने जा रही है। इसलिए सभी मंत्रियों को आई-पैड, टेबलेट्स, लैपटॉप का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। पेपरलेस कार्यशैली का आरंभ कैबिनेट से होगा। अब कैबिनेट मीटिंग पेपरलेस होगी।” इसलिए मंत्री / विधायकों को विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया।

मुख्यमंत्री ने अनेकों बार कहा है कि ‘भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऑनलाइन तकनीक प्रभावी है। ‘इसलिए उन्होंने अपने सभी प्रमुख विभाग नेट से जोड़े हैं।

इसका उपयोग कोविड महामारी से लड़ने में प्रभावी रूप से हुआ। कोरोना की गंभीरता समझ कर, कोरोना के प्रारंभिक दिनों में ही योगी जी ने टीम-11 का गठन किया, अर्थात 11 विभिन्न समितियां तैयार कीं, और उनके प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को लिया। इस टीम-11 के साथ योगी जी प्रतिदिन बैठक करते थे और जानकारी लेकर, जहां समन्वय का अभाव है, उसे ठीक करते थे।

योगी जी ‘दर्पण’ नाम के डैशबोर्ड का उपयोग करते हैं। यह ‘दर्पण’, दिल्ली की नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर ने बनाया है। ‘डैशबोर्ड’ माने अपने कार में जो सामने रहता है और जिस में कार के संचालन संबंधी सारी जानकारी, जैसे गाड़ी की गति, पेट्रोल / डीजल की स्थिति आदि, रहती है। योगी जी के टैब पर जो ‘दर्पण’ का डैशबोर्ड है, उसमें राज्य संबंधी सभी आवश्यक जानकारी, सूचनाएं, कोविड संबंधी आवश्यक जानकारी और सूचनाएं रहती हैं।

मुख्यमंत्री के डेस्कटॉप व आई-पैड पर ‘ई-ऑफिस’ का पूरा सिस्टम जोड़ दिया गया है। इसके कारण मुख्यमंत्री जहां भी रहते हैं, ऑनलाइन पत्रावलियों का निस्तारण करते हैं तथा आवश्यक अनुमति भी ऑनलाइन ही देते हैं।

यह दर्पण डैशबोर्ड मुख्यमंत्री के किसी भी योजना के लाभार्थी तक सीधे पहुंचने का माध्यम बन गया है। दर्पण के मुख्य पृष्ठ पर, वांछित योजना से जुड़े पांच मुख्य फीचर उपलब्ध करा दिये गए हैं। उदाहरण के लिए, यदि धान खरीद की स्थिति मुख्यमंत्री को जाननी है, तो कुल कितने किसानों ने धान बेचा? धान खरीद का लक्ष्य कितना है? कितनी धान खरीद की गई? कितनी राशि का भुगतान किया गया …. ये सभी जानकारियां आई-पैड पर दिख जाती हैं। कोरोना से लड़ने के लिए भी योगी जी ने तकनीकी का कुशलता से और प्रभावी उपयोग किया। 25 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री ने कोविड-१९ तथा डेंगू के परीक्षण के लिए अत्याधुनिक (Hi Tech) लैब (प्रयोगशाला) का लोकार्पण किया। सात निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में ये प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं।

30 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, उत्तर प्रदेश की जनता को आश्वस्त किया कि कोविड-19 का परीक्षण (टेस्ट) अत्यंत कम पैसों में तथा त्वरित किया जाएगा। इसके लिए एक एप बनाने की उन्होंने घोषणा की।

सात दिनों के अंदर ही, अर्थात 6 दिसंबर 2020 को, योगी जी ने इस एप का लोकार्पण किया। इस एप में ‘कोविड टेस्टिंग सेंटर’ का पता, नक्शे पर उसका स्थान, उपयोगकर्ता के स्थान से उस कोविड सेंटर की दूरी, उस कोविड सेंटर के खुलने और बंद होने का समय… आदि सभी बातों का विस्तार से विवरण है।

इन सभी प्रयासों से, ढाई करोड़ से अधिक, कोविड परीक्षण (टेस्ट्स) करने वाला, उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया।

इस तकनीकी और प्रबंधन के समन्वय के परिणाम भी दिख रहे हैं।

वह उत्तर प्रदेश, जिसके नागरिक रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों पर निर्भर रहते थे, उसी उत्तर प्रदेश ने पिछले 4 वर्षों में 3 लाख लोगों को सरकारी विभागों में नौकरियां दी गई हैं। 33 लाख लोगों को प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध करवाया है। कोरोना की पहली लहर में, जब प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश लौटे, तब योगी सरकार ने इन श्रमिकों / मजदूरों की ‘स्किल मैपिंग’ (श्रमिक कौशल) का बड़ा अभियान चलाया और उस अभियान से मिले डेटा के अनुसार, लगभग 27 लाख श्रमिकों को उत्तर प्रदेश के छोटे – बड़े उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराया गया।

आज उत्तर प्रदेश में देश का सबसे बड़ा ‘एक्स्प्रेस हाइवेज’ का जाल है। देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा, ‘जेवर एयरपोर्ट’, नोएडा में बन रहा है। उत्तर प्रदेश का निर्यात बढ़ा है। OD-OP योजना से अनेक कुशल कारागीरों को रोजगार मिला है।  कोरोना के कठिन समय में भी उत्तर प्रदेश में 66 हजार करोड़ रुपयों का निवेश हुआ है। ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में उत्तर प्रदेश, देश में दूसरे स्थान पर आया है। सबसे अधिक जनसंख्या का यह प्रदेश, देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है।

उत्तर प्रदेश बदल रहा है.. उत्तर प्रदेश संपन्न और समृद्ध प्रदेशों की श्रेणी में अपना मजबूत स्थान बना रहा है…!

इसीलिए ‘इंडिया टुडे’ समूह के ‘मूड ऑफ द नेशन’ के सर्वेक्षण में, अच्छा परफॉर्मेंस करने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में योगी आदित्यनाथ को लोगों ने प्रथम स्थान पर चुना है..।

#YogiAdityanath #योगी

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