तुष्टीकरण की अति: मुस्लिमों को विशेष सुविधाएं, हिन्दू चाय-पानी को भी तरसे

भारत एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है, जहां पंथ के आधार पर चिकित्सा सुविधाएं देने का सरकार को कोई अधिकार नहीं है। लेकिन चिकित्सा विभाग द्वारा मरीजों के लिए तय गाइडलाइन के विपरीत सरकार के आदेश पर मुस्लिमों को विशेष भोजन सुविधाएं दी जा रही हैं, इसके उलट हिन्दुओं को समय पर पेयजल भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं राजस्थान में, जहां कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए एकांत केन्द्रों में मुस्लिमों के अलावा लाए गए कोरोना संदिग्धों को चाय-दूध व पेयजल के लिए तक प्रशासन का मुंह ताकना पड़ रहा है। इसके विरुद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है।

एक ओर जब कोरोना वैश्विक महामारी से बचाव के लिए पूरा देश एकजुटता के साथ संघर्ष कर रहा है, लेकिन राजस्थान सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। प्रदेश में बने एकांत केन्द्रों में कोरोना संदिग्धों को मिलने वाली सुविधाओं में किए जा रहे भेदभाव को लेकर जोधपुर निवासी महावीर सिंह अमरावत द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में राजस्थान सरकार द्वारा पंथ के आधार पर किए जा रहे भेदभाव को रोकने, सरकारी आदेशों पर रोक लगाने व सभी कोरोना संदिग्धों को समान सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है। अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि जोधपुर में बने एकांत केन्द्रों पर जिस तरह कोरोना संदिग्धों में भेदभाव करके सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं, वह संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है। एकांत केन्द्रों में हिन्दुओं को चाय-पानी के लाले पड़ गए, लेकिन मुस्लिमों की खातिरदारी की जा रही है।

            रोजेदारों को दिए जा रहे विशेष भोजन पैकेट

उदयपुर व भरतपुर जिला कलक्टरों के आदेशों ने सरकार को बेनकाब कर दिया है। हमने माननीय न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई कर सरकार के संविधान विरोधी आदेश पर रोक लगाकर सभी मरीजों को तय गाइडलाइन के अनुरूप सुविधाएं दी जाएं।

सरकारी आदेशों में तुष्टीकरण की झलक

कोरोना संकट के दौर में संक्रमितों के उपचार में जुटे कोरोना वाॅरियर्स का जगह-जगह सम्मान करने व सेना द्वारा हेलिकाॅप्टर से पुष्प वर्षा करने जैसे अनेकों अच्छे कार्य जनमानस द्वारा किए गए, लेकिन राजस्थान सरकार इन वाॅरियर्स का मनोबल तोड़ने के लिए कैसा भेदभाव कर रही है, इसकी एक बानगी उदयपुर जिला कलक्टर द्वारा जारी किए आदेशों में दिखी। जिसमें कोरोना वाॅरियर्स के लिए 4 रूपए, जबकि मुस्लिम रोजेदारों के लिए 60 रूपए की चाय उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए। वहीं 70 रूपए में प्रतिदिन दिए जाने वाला भोजन मुस्लिमों को 360 रूपए में देकर घोर तुष्टीकरण की राजनीति की जा रही है।

इसी प्रकार जोधपुर के एक सेंटर पर कोरोना संदिग्धों को मटके में पानी भरकर चार मंजिल पर लेकर जाना पड़ रहा है, जबकि पेयजल के लिए सरकार द्वारा एक मटके पर 80 रूपए का व्यय दिखाया गया है।

वहीं भरतपुर के जिला कलक्टर ने रोजेदारों के लिए एकांत केन्द्रों में खजूर, चाय, नाश्ता, नींबू व फल आदि की विशेष व्यवस्था करने के आदेश सभी उपखण्ड अधिकारियों को जारी कर सरकार के मुस्लिमों के प्रति बेतहाशा प्रेम को उजागर कर दिया।

                 भरतपुर कलेक्टर के आदेश की कॉपी

कमोबेश ऐसे ही हालात प्रदेश के सभी एकांत केन्द्रों में देखे गए हैं जहां मुस्लिमों को रखा गया है। वहीं एक मरीज पर 2400 रूपए खर्च किए जाने का आदेश की चर्चा का विषय बना हुआ है।

सीएम के आदेश पर जोड़ा बीएसएफ का काॅलम?

राजस्थान में कोरोना संक्रमण के व्यापक प्रसार के मुख्य वाहक तबलीगी जमात से आए मुस्लिम थे। चिकित्सा विभाग द्वारा जमातियों के कोरोना संदिग्ध होने के बारे में प्रतिदिन की रिपोर्ट में अलग से दर्शाया जाता था, लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश पर चिकित्सा विभाग ने तबलीगी का काॅलम डेली रिपोर्ट से हटा दिया था। लेकिन पिछले दिनों सीमा सुरक्षा बल के एक दर्जन जवानों के कोरोना संदिग्ध आने पर उनका अलग काॅलम डेली रिपोर्ट में जोड़ा गया है जो कि कांग्रेस सरकार के मुस्लिम तुष्टीकरण को उजागर कर रहा है। बताया जा रहा है कि वामपंथियों से जुड़े संगठन पीयूसीएल ने सीएम, गृह सचिव व कमिश्नरों को पत्र लिखकर जमातियों के मानवाधिकारों का हवाला देते हुए रिपोर्ट से तबलीगी का काॅलम हटाने की मांग की थी। ऐसे में मुख्यमंत्री गहलोत के आदेश के बाद राजस्थान में जारी होने वाले कोरोना पॉजिटिव के चार्ट से तबलीगी जमात का कॉलम हटा दिया गया था। यह ऑर्डर मौखिक थे, इससे पहले स्वास्थ्य विभाग तबलीगी जमात से जुड़े हुए मामलों को एक अलग कॉलम में डाटा भेजता था। वहीं दूसरी ओर जमातियों के मानवाधिकारों के हितैषी राजस्थान सरकार ने कोरोना संदिग्ध पाए जाने पर सीमा सुरक्षा बल के जवानों का कोरोना पॉजिटिव के चार्ट में अलग काॅलम जोडकर अपनी कुंठित मानसिकता को उजागर कर दिया है। सीमा पर दिन-रात चौकसी कर हमारी सुरक्षा के लिए जान की परवाह किए बिना अडिग रहने वाले जवानों को कोरोना चार्ट में अलग से दर्शाना यह बताता है कि कांग्रेस सरकार के लिए सेना के जवानों से ज्यादा कोरोना के वाहक जमाती महत्वपूर्ण हैं।

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