त्याग, सेवा, क्षमा, पुरुषार्थ, सामंजस्य, सद्भाव हमारे जीवन मूल्य- राधिका लड्डा
त्याग, सेवा, क्षमा, पुरुषार्थ, सामंजस्य, सद्भाव हमारे जीवन मूल्य- राधिका लड्डा
अलवर, 28 अगस्त। भारतीय चिंतन में महिला गृहलक्ष्मी, परिवार को सन्तति देने वाली तथा पालन, पोषण के साथ संस्कार देने वाली है। त्याग, सेवा, क्षमा, पुरुषार्थ, सामंजस्य व सद्भाव हमारे जीवन मूल्य हैं, जो संस्कारों से आते हैं। ये विचार रविवार को अलवर में आयोजित महिलाओं के महासम्मेलन संवर्धिनी में मुख्यवक्ता राधिका लड्ढा ने व्यक्त किए। सम्मेलन का आयोजन डॉ. हेडगेवार स्मृति सेवा प्रन्यास, अलवर के तत्वाधान में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन व गीत से हुई। उद्घाटन सत्र के बाद चर्चा सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें महिलाओं ने अलग अलग समूहों में सामाजिक विषयों पर चर्चा की।
समापन सत्र में अपनी बात रखते हुए मुख्य अतिथि डॉ. सरोज गुप्ता ने संस्कार निर्माण को महत्वपूर्ण बताया। वहीं मुख्य वक्ता रेणु पाठक ने भारत के विकास में महिलाओं के योगदान पर बल देते हुए कहा कि आज का भारत अपने गौरवशाली इतिहास को पुनः स्थापित कर रहा है, उसमें महिलाओं का विशेष योगदान है। अर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, विज्ञान, आध्यात्मिक आदि सभी क्षेत्रों में अपने कृतत्व से महिलाएं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा कर रही हैं। परंतु फिर भी अभी कई क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि परतंत्रता के काल में जो विसंगतिया आ गई थीं उनके निशान जड़ से मिटाने हैं तो पूरे समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। किसी ने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि महिलाओं की समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाए तो उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षित करो, अपनी समस्याओं का समाधान वे स्वयं कर लेंगी। उन्होंने कहा कि यदि समाज रूपी गरुड़ पक्षी को ऊँची उड़ान भरनी है तो उसके दोनों पंख सशक्त होने चाहिए।
महासम्मेलन में भारत माता को समर्पित काव्य गीत, समूह गीत के प्रस्तुतिकरण के साथ ही नारी सँघर्ष की कहानी : आरम्भ से अंत विषय पर लघु नाटिका का मंचन भी हुआ।