देवऋषि नारद
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ब्रह्मा जी के मानस पुत्र नारद देवऋषि कहलाये
ब्रह्मलोकवासी नारद सबको सबकी खबर पहुंचाये।
वेदों के बन सन्देश-वाहक यहाँ – वहाँ आये-जाये
देवों के बन संवाद-वाहक सबके सन्देश सुनाये।
जेठ माह द्वितीया कृष्ण पक्ष को जयंती मनाये
बृहस्पति के शिष्य नारद को हम शीश नवाये।
व्यास,वाल्मीकि, शुकदेव के गुरु नारद कहलाये
रामायण, भागवत जैसे ग्रन्थ शिष्यों से लिखवाये।
कंस को दिव्य आकाशवाणी के अर्थ सब समझाये
वीणा से अपने प्रभु विष्णु के गुण भी गाते जाये।
दक्ष से मिला शाप कहीं चाह कर भी ठहर न पाये
बादल पर होकर सवार नारद जी बस चलते जाये।
पत्रकारिता के प्रथम पुरुष, प्रथम पुरोधा कहलाये
पत्रकार बन सबसे पहले संवाद नारद ने पहुँचाये।
अनिल कुमार यादव
जयपुर