देश की प्रगति में हर देशवासी दे योगदान- भैय्याजी जोशी
देश की प्रगति में हर देशवासी दे योगदान- भैय्याजी जोशी
बलिदानियों के बलिदान से पीढ़ियां जीवित रहती हैं। सोमवार को नादौन में ब्यास नदी तट पर आयोजित सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना की घुसपैठ का करारा प्रति उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि पहले देश में आतंकी हमलों के समाचार आते थे। अब सर्जिकल स्ट्राइक कर मुंहतोड़ उत्तर भी दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पहले देश में कबूतर उड़ाए जाते थे, पर अब देश के प्रधानमंत्री चीते छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देव व वीरभूमि है, जिसकी शौर्य, पराक्रम व बलिदान की समृद्ध परम्परा रही है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश से प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, महावीर चक्र विजेता शेर सिंह थापा, धनसिंह थापा, संजय कुमार व कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले विक्रम बत्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के हर युद्ध में हिमाचलियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि सेनाओं का त्याग और बलिदान ही देश की सीमाओं को सुरक्षित रखता है। पहले भारत के सीमावर्त्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी, पर मोदी सरकार में इसे पूरी प्राथमिकता पर रखा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने व मोबाइल नेटवर्क को विकसित किया जा रहा है। हिप्र के सीमावर्ती जिलों किन्नौर व लाहौल स्पीति में हर घर में जल और नल पहुंचा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पहले भारत रक्षा उपकरण आयात करने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब वह रक्षा उपकरण निर्यातक देश बन चुका है। वर्ष 2047 तक भारत ने 2 लाख करोड़ के रक्षा उपकरण निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सिंह ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में 311 आइटम को चिन्हित किया गया है, जिनका आने वाले वर्षों में मेक इन इंडिया के अंतर्गत भारत में ही निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि सेना के दरवाजे महिलाओं के लिए भी खोल दिए गए हैं। एनडीए समेत युद्धपोतों पर महिला सैनिकों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी गई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश भैय्याजी जोशी ने संबोधन में कहा कि भारतीय सेना ने अभी तक हुए सभी युद्धों में विजय पाई है। भारतीय सेना पराक्रम में कभी पीछे नहीं रही। इसके बावजूद भारत ने कभी भी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया। इसका उपयोग दुर्बलों की रक्षा और अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए किया। उन्होंने कहा कि भारत की जीवनशैली श्रेष्ठ है, जो कि पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि करार देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक देशवासी को भारत के लिए जीना है और इसकी प्रगति में सबको योगदान देना है। उन्होंने कहा कि केवल युद्ध में ही समाधान नहीं है, वार्ता के माध्यम से भी समस्याओं का समाधान संभव है।
इस अवसर पर 600 बलिदानी व पूर्व सैनिक परिवारों को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप जामवाल, पीवीएसएम लेफ्टिनेंट जनरल बलजीत सिंह जसवाल, लेफ्टिनेंट जनरल विनोद शर्मा, मेजर जनरल मोहिंदर प्रताप, मेजर जनरल सुदेश शर्मा, मेजर जरनल अतुल कौशिक, ब्रिगेडियर सतीश कुमार, वीएसएम ब्रिगेडियर अजय कुमार शर्मा, ब्रिगेडियर मदन शील शर्मा, ब्रिगेडियर बेअंत परमार, ब्रिगेडियर खुषाल शर्मा, ब्रिगेडियर जगदीश सिंह वर्मा, ब्रिगेडियर पवन चौधरी, ब्रिगेडियर लरल चंद जसवाल, पूर्व डीजीपी हिप्र आईडी भंडारी, कर्नल रूप चंद, कर्नल दर्शन मनकोटिया, कैप्टन रमेश चंद सहित हजारों का जनसमूह उपस्थित रहा।
इस आयोजन पर एक मिसाल प्रस्तुत करते हुए बलिदानी परिवारों व पूर्व सैनिकों को एक लाख चंदन, नीम व पीपल के पौधे वितरित किए गए। कार्यक्रम में दो प्रदर्शनियां आयोजित की गईं, जिनमें से एक प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश से संबंधित वीर सैनिकों के जीवनवृत्त की झलक दिखाई दी, वहीं दूसरी प्रदर्शनी में प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों का जीवनवृत्त प्रस्तुत किया गया।