देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए

देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए

देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाएदेश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए – संतों की मांग

हरिद्वार। विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दो दिवसीय बैठक निष्काम सेवा सदन, भूपतवाला, हरिद्वार में आयोजित की गयी। प्रथम सत्र की अध्यक्षता पेजावर स्वामी श्रीमद जगद्गुरु माधवाचार्य स्वामी विश्वप्रपन्न तीर्थ जी ने की तथा संचालन विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने किया। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रस्तावना के साथ विश्व हिन्दू परिषद की वर्ष भर की गतिविधियों और उपलब्धियों को उपस्थित धर्माचार्यों के समक्ष रखा।

जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कुटुम्ब प्रबोधन विषय पर विचार प्रकट किए। स्वामी चिदानंद मुनि, डॉ. रामेश्वर प्रसाद, स्वामी विवेकानंद, म.म. स्वामी हरिचेतनानंद, केरल से स्वामी शक्ति शांतानंद, ज्ञानानंद जी महाराज सहित धर्माचार्यों ने देश में समान नागरिक कानून की आवश्यकता के साथ देश में निर्बाध चल रहे अवैध कन्वर्जन के विरोध में कठोर कानून बनाने की मांग की। समस्त संतजनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा मंदिरों का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। निर्णय लिया गया कि अधिग्रहीत मंदिरों का सरकारी नियंत्रण समाप्त होना चाहिए। इसके लिये जनजागरण का अभियान चलाने का संकल्प भी लिया गया।

केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद की यह बैठक संत समाज के विचारों का मंथन है, जिससे अमृतरूपी विचार निकलेंगे। जिससे सम्पूर्ण विश्व में सार्थक संदेश जाएगा। देश की ज्वलंत समस्याओं पर आक्रोश प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यह विधर्मियों का सोचा समझा षड्यंत्र है, जिसके विरुद्ध केन्द्र सरकार प्रभावी कानून बनाए। कृष्णानंद महाराज ने पंजाब के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पंजाब  1984 का आतंकवाद का भीषण दौर दोहराने के कगार पर है। आज सिक्ख गुरुओं की शिक्षा पर चलने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश के संग्राम जी महाराज ने कहा- हिन्दू धर्म ग्रंथों का विस्तार हिमालय से भी ऊंचा है।

केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दो दिवसीय बैठक (उपवेशन) के दो सत्रों में उपस्थित रहे देश के शीर्ष संतों धर्माचार्यों ने समान नागरिकता कानून को उत्तराखण्ड राज्य में लागू करने की प्रतिबद्धता पर उत्तराखण्ड सरकार का धन्यवाद करते हुए हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव की सभी को शुभकामनाएं देने के साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र को आत्मसात करने का संदेश दिया। देश की वर्तमान परिस्थितियों पर गहन चिन्तन मंथन करने के पश्चात सर्वसम्मति से 4 विषयों को महत्त्वपूर्ण मानते हुए निम्नलिखित प्रस्ताव को पारित किये –

  1. कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से समाज में पारिवारिक आत्मीयता एवं देश के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत करने के उद्देश्य से कार्य करने की आवश्यकता है।
  2. देश में निर्बाध चल रहे अवैध धर्मान्तरण पर तत्काल रोक लगाने हेतु कठोर कानून बनना चाहिए।
  3. देश में समान नागरिक कानून को व्यापक विचार विमर्श के पश्चात सर्वसम्मति के आधार पर कानून बनाकर लागू करना चाहिए।
  4. देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए।

इस अवसर पर उपवेशन में निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, युग पुरूष स्वामी परमानंद जी महाराज, श्रीमहंत रवीन्द्रपुरी महाराज, म.म.स्वामी प्रेमानंद, महामंडलेश्वर स्वामी जनार्दन हरी महाराज महाराष्ट्र, स्वामी ललितानंद, महंत रामकृष्ण दास, म.म.स्वामी जितेंद्रदास कानपुर, स्वामी निजानंद गुजरात, स्वामी रामदास हिमाचल, स्वामी आत्मानंद पुरी गुजरात, स्वामी चिदंबरानंद, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती, स्वामी श्यामानंद चंडीगढ़, महंत ज्ञानानंद महाराज, साध्वी प्राची, म.म.रूपेन्द्रप्रकाश महाराज, स्वामी परमानंद सरस्वती उड़ीसा सहित देश भर से 178 शीर्ष संतों एवं 34 साध्वी धर्माचार्यों ने प्रतिभाग किया।

केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक (उपवेशन) का संचालन विहिप के केन्द्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने किया। उपवेशन में पधारे संतजनों का स्वागत विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश चन्द्र, केन्द्रीय उपाध्यक्ष एवं राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय, केन्द्रीय संगठन महामंत्री विनायकराव देशपांडे, केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे, केन्द्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंघल, केन्द्रीय मंत्री धर्मनारायण, राजेंद्र सिंह पंकज, रास बिहारी, केंद्रीय मंत्री एवं प्रांत अध्यक्ष उत्तराखंड रविदेव आनंद ने किया।

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