नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाज को आगे ले जाने का चिंतन है – प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाज को आगे ले जाने का चिंतन है - प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाज को आगे ले जाने का चिंतन है - प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन प्रत्येक भारतीय का दायित्व

  • क्रियान्वयन हेतु देश के प्रमुख शिक्षाविदों के नेतृत्व में समिति का शीघ्र गठन करे केंद्र सरकार

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाज को आगे ले जाने का चिंतन है। समाविष्ट शिक्षा ही शिक्षा नीति का अंतिम लक्ष्य है। यह नीति शैक्षणिक संस्थाओं को सामाजिक दायित्व का बोध कराने वाली है। ये उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे ने व्यक्त किए।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रख्यात शिक्षाविद् श्री दीनानाथ बत्रा ने किया। कार्यशाला में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल एवं भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव डॉ. वी.के. मल्होत्रा सहित अनेक केंद्रीय संस्थानों के प्रमुख एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों, एनआईटी, आईआईटी के कुलाधिपति, कुलपति, निदेशक, वरिष्ठ प्राध्यापक उपस्थित थे। साथ ही देश के 30 प्रांतों से न्यास के 350 से अधिक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि शिक्षा नीति के विकेंद्रीकरण से सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा। इसके क्रियान्वयन में सब कुछ सरकार करे यह उचित नहीं है। हमारा भी दायित्व है कि स्वयं इसके लिए भागीदारी करें। अनुकूल वातावरण बना है, इसका लाभ लेते हुए स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर विश्व का मार्गदर्शन करने का समय है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने कहा कि शिक्षा को बदलने का काम एक दिन का नहीं, यह मनुष्य बदलने की प्रक्रिया है, इसमें सभी के योगदान की आवश्यकता है। शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन कराने के लिए इस बिंदु को समझने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को फ़ाइलों से निकालकर वास्तविक धरातल पर लाना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। शिक्षा नीति, हर मन से हर जन तक पहुँचे तभी शिक्षा जगत में आमूलचूल परिवर्तन सम्भव है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचारों से, बौद्धिकता से एवं कार्य व्यवहार से भारतीय बनें। प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए शिक्षाविद् श्री देश राज शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वयन हेतु शीघ्र देश के प्रमुख शिक्षाविदों के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जाए। केंद्र सरकार सभी राज्यों से क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर समितियों के गठन करने हेतु निर्देश जारी करे। केंद्रीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के स्तर पर क्रियान्वयन समितियों के गठन की प्रक्रिया आरम्भ की जाए।

इसके अतिरिक्त शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे ले जाने हेतु एक राष्ट्रीय स्तर पर समिति की घोषणा की गयी। जिसमें देश के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित अनेक शिक्षाविद सदस्य बनाए गए। नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा भी एक राष्ट्रीय स्तर की समिति बनाने की घोषणा की गयी है।

बैठक में जयपुर प्रांत का वर्ष भर का कार्य व्रत निवेदन प्रांत संयोजक नितिन कासलीवाल ने रखा एवं प्रांत के प्रतिमान शिक्षा संस्थान के रूप मे खंडेलवाल वैश्य गर्ल्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वैशाली नगर जयपुर की प्राचार्या डाॅ. अंजु गुप्ता ने वृत रखा ।

 

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *