राजस्थान में बढ़ता नशे का कारोबार, बर्बाद हो रहे परिवार

राजस्थान में बढ़ता नशे का कारोबार, बर्बाद हो रहे परिवार

राजस्थान में बढ़ता नशे का कारोबार, बर्बाद हो रहे परिवार

राजस्थान में नशे का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, जिसने अब तक न जाने कितने परिवारों को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। देश की बड़ी चुनौतियों में एक चुनौती नशे के कारोबार पर अंकुश लगाकर युवाओं व बच्चों को इसके चंगुल में फंसने से बचाना है।

भारत में कई स्थानों पर कानूनी रूप से अफीम की खेती होती है। इनमें प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश व राजस्थान हैं। राजस्थान में कोटा, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ आदि में औषधीय प्रयोग के लिए अफीम का उत्पादन होता है लेकिन यहां अवैध रूप से अफीम को मादक पदार्थों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। इसके अलावा स्मैक, गांजा, हेरोइन, चरस, ब्राउन शुगर व सिंथेटिक ड्रग्स को तस्करी के जरिए लाया जाता है। राजस्थान में तस्करी के तार पड़ोसी राज्यों के साथ ही पड़ोसी देशों – म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल से भी जुड़े हैं। म्यांमार से ड्रग्स मणिपुर, मिजोरम के रास्ते राजस्थान समेत पूरे देश में पहुंचाई जाती हैं। इसी तरह पाकिस्तान से पंजाब, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर में पहुंचती हैं और नेपाल से तस्करी कर उत्तर प्रदेश और बिहार लाई जाती हैं।

राजस्थान में अफीम की पैदावार वाले इलाकों के साथ ही सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और जालोर इस कारोबार के बड़े केन्द्र बन गये हैं।

पिछले दिनों कोटा की अनन्तपुरा थाना पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान एक गांजा तस्कर को गिरफ्तार किया। इसके पास से 73 किलो गांजा जब्त किया गया। आरोपी यह गांजा ट्रक के केबिन में छिपाकर ले जा रहा था। ट्रक ओडिशा से जोधपुर आ रहा था। नाकेबंदी पर पूछताछ में आरोपी ने ट्रक में कपास की बोरियां भरी होना बताया। लेकिन तलाशी लेने पर 73 किलो गांजा मिला।

21 फरवरी को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम ने 96 लाख का 4.8 टन डोडा चूरा पकड़ा। जिसे आलू चिप्स की आड़ में तस्करी कर के मध्यप्रदेश से जोधपुर ले जाया जा रहा था। पिछले वर्ष जून में भी नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम ने एक ट्रक से 5.8 टन (5800 किलो) डोडा चूरा बरामद किया था। पिछले सप्ताह शनिवार को उदयपुर जिले की रठांजना थाना पुलिस ने 45 लाख रुपए की ब्राउन शुगर के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया। वर्ष 2020 में कोविड के चलते नशे के व्यापार में कुछ कमी आई लेकिन वर्ष 2019 में पुलिस ने राजस्थान में मादक पदार्थों के विरुद्ध 2592 प्रकरण दर्ज किए थे, 3881 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था और 1 लाख 10 हजार 156 किलोग्राम डोडा-पोस्त, 8 हजार 840 किलोग्राम गांजा, 533 किलोग्राम अफीम, 26 किलोग्राम चरस, स्मैक, हेरोइन एवं ब्राउन शुगर बरामद की थी। ये तो वे खेपें हैं जो पकड़ में आ गईं, कितना मादक पदार्थ प्रदेश में हर साल खप जाता है इसका कोई निश्चित आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन आसानी से उपलब्ध इस नशे ने सामाजिक बुराइयों को जन्म दिया है।

झालावाड़ जिले का मनोहर थाना निवासी 32 वर्षीय युवक पिछले कई वर्षों से स्मैक का नशा कर रहा था, बाद में स्थिति यह हो गई कि वह पैसे न रहने पर चोरी करने लगा। कपड़ों पर प्रेस करके घर चलाने वाली रमा ने बताया कि पति की नशे की आदत के चलते उनका पुश्तैनी मकान बिक गया, उन्हें भी अक्सर घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता था। घरों में झाड़ू पोंछा करके रोजी रोटी कमाने वाली ज्योत्सना ने बताया कि वह 25 साल की उम्र में विधवा हो गई। एक दिन पति ने कुछ ज्यादा नशा कर लिया फिर वह सुबह उठा ही नहीं। राजेश भाग्यशाली थे, नशे के चंगुल में फंसा देख उनकी पत्नी उन्हें नशा मुक्ति केंद्र ले गईं, जहां जल्दी ही उनकी नशा करने की आदत छूट गई।

आज देश में पंजाब नशे के शिकार युवाओं का सबसे बड़ा राज्य बन गया है। राजस्थान का युवा बड़ी संख्या में नशा माफियाओं के चंगुल में फंसता जा रहा है। राजस्थान के युवा पूरी तरह इस चंगुल में फंसे उससे पहले ही सरकार और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, पीड़ित व पीड़ित के परिवार को भी इस बुराई से लड़ने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

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