नारी सशक्तिकरण के नव युग का आरम्भ : नारी शक्ति वंदन अधिनियम

नारी सशक्तिकरण के नव युग का आरम्भ : नारी शक्ति वंदन अधिनियम

 कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

नारी सशक्तिकरण के नव युग का आरम्भ : नारी शक्ति वंदन अधिनियमनारी सशक्तिकरण के नव युग का आरम्भ : नारी शक्ति वंदन अधिनियम

लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तुत 128 वें संविधान संशोधन के अन्तर्गत ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 2023’ पारित हो चुका है। लोकसभा में गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर नवीन संसद भवन में प्रवेश के साथ ही सर्वप्रथम यह विधेयक प्रस्तुत किया गया। दो दिन चली चर्चा के बाद जहां 20 सितम्बर को 454 मतों के साथ लोकसभा में यह विधेयक पारित हुआ, वहीं राज्यसभा में भी 21 सितम्बर को नारी शक्ति वंदन अधिनियम सर्वसम्मति के साथ 215 मतों से पारित हो गया। लोकसभा राज्यसभा के बाद विधेयक में 29 सितम्बर को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर होकर यह कानून बन चुका है। सम्पूर्ण देश में लागू होने के लिए अब 20 विधानसभाओं का अनुमोदन बस शेष रह गया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम में केन्द्र एवं राज्यों में भारत की महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जोकि अपने आप में ऐतिहासिक एवं भारतीय नारी की गौरवशाली नेतृत्व परम्परा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम है। इससे नारी सशक्तिकरण की दिशा में, राजनीतिक क्षेत्र में – मातृशक्तियों के प्रतिनिधत्व के साथ नव भारत को गढ़ने का मार्ग प्रशस्त होगा।

नारी शक्ति वंदन विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि —
“नीति, नियत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के चलते इस बार महिलाओं को आरक्षण मिलकर रहेगा। ‘आशंका मत करो, मोदी है तो मुमकिन है।’ मोदी सरकार शुरू से ही नारी सशक्तिकरण के पक्ष में रही है। विकसित भारत बनाने की दिशा में महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। यह विधेयक इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

वहीं नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि — “नारी शक्ति वंदन अधिनियम के साथ नए सदन की शानदार शुरुआत हुई है। इससे महिलाओं के नेतृत्व में विकास को अभूतपूर्व गति मिलने वाली है। इसे जिस प्रकार से सभी राजनीतिक दलों का ऐतिहासिक समर्थन मिला है, वह विकसित और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की सिद्धि में मील का पत्थर साबित होगा। मैं सभी सांसदों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।”

इस सन्दर्भ में यह ज्ञात होना आवश्यक है कि- नारी शक्ति वंदन कानून बनने के पश्चात वर्ष 2029 तक लागू हो जाएगा। केन्द्र एवं राज्यों में लोकसभा एवं विधानसभाओं की सीटों का आरक्षण – जनगणना के पश्चात परिसीमन आयोग तय करेगा। परिसीमन आयोग संविधान के अनुच्छेद 82 के अन्तर्गत गठित स्वतन्त्र संवैधानिक निकाय है। परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, चुनाव आयोग एवं निर्वाचन से जुड़ी हुई संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी सम्मिलित होंगे।

नारी शक्ति वंदन के सम्बन्ध में विपक्षी दलों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था कि — “ओबीसी आरक्षण, परिसीमन का मुद्दा या जनगणना को लेकर प्रश्न उठाए जा रहे हैं, मैं सबका उत्तर देता हूं…सबसे पहला उत्तर- विद्यमान संविधान में तीन तरह के सांसद आते हैं, जो सामान्य, SC और ST कैटेगरी से आते हैं। इन तीनों कैटेगरी में हमने महिलाओं का 33% आरक्षण कर दिया है। अब एक तिहाई सीटों को आरक्षित करना है तो वह सीट कौन तय करेगा? हम करें? अगर वायनाड आरक्षित हो गया तो आप कहेंगे हमने राजनीति की है।”

इसके साथ ही उन्होंने भाजपा के ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व को लेकर कहा — “भाजपा के सभी सांसदों में 29% सांसद ओबीसी से हैं, मंत्री भी 29 ओबीसी से हैं। भाजपा के 1,358 विधायकों में से 365 विधायक ओबीसी से हैं, यानी 27% हैं। यहां जो ओबीसी का राग अलाप रहे हैं, ये उन सभी से ज्यादा है। चुनावी भाषण करना ठीक है, किसी एनजीओ द्वारा बनाए चिट को यहां पढ़ जाना ठीक है, लेकिन मन से पिछड़ा वर्ग का कल्याण पीएम मोदी ने किया है।”

वास्तव में स्वाधीनता के अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन पंच प्रण की बात की थी — विकसित भारत के रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प, गुलामी की मानसिकता को समाप्त करना, भारत की विरासत और विरासत पर गर्व करना, एकता और एकजुटता की ताकत और राष्ट्र के प्रति नागरिकों के कर्तव्य। वे इन्हें साकार करने की दिशा में सतत् अग्रसर हैं। राजनीतिक क्षेत्र में जब भी ऐसे निर्णय आएं, उनका सभी को स्वागत अभिनन्दन करना चाहिए। नारी सशक्तिकरण की दिशा में यह विधेयक भावी भारत में एक नई क्रान्ति का सूत्रपात करेगा। साथ ही भारत की महान परम्परा में नारी को माता के रूप में पूजने एवं श्रेष्ठ नेतृत्वकर्ता के रूप में भारतीय नारी के शौर्य को पुनः सिंहासनारुढ़ करने का संकल्प साकार होगा। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम ‘— “ यह संसदीय यात्रा का एक स्वर्णिम क्षण है।यह महिला सशक्तिकरण के युग का आरम्भ है।”

साभार

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