श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान सम्पन्न, राजस्थान से सर्वाधिक 515 करोड़ की निधि समर्पित

श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान सम्पन्न, राजस्थान से सर्वाधिक 515 करोड़ की निधि समर्पित

श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान सम्पन्न, राजस्थान से सर्वाधिक 515 करोड़ की निधि समर्पित
जयपुर, 08 मार्च। मकर संक्रान्ति (15 जनवरी) से माघी पूर्णिमा (27 फरवरी) तक 42 दिन चले निधि समर्पण अभियान का रविवार को समापन हो गया। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर के लिए देशभर में राजस्थान से सर्वाधिक 515 करोड़ निधि का समर्पण हुआ। अभियान में देश में 1 लाख 75 हजार टोलियों के माध्यम से लगभग 9 लाख कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर संपर्क किया। 38 हजार 125 कार्यकर्ताओं के माध्यम से समर्पण निधि बैकों में जमा हुई।

इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने जयपुर में पत्रकारों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए चलाया गया निधि समर्पण अभियान धरती का सबसे बड़ा जनसंपर्क अभियान बना है। अभियान ने भारत की एकात्मता का दर्शन कराया है। राजस्थान के 36 हजार गांवों और शहरों से मंदिर के लिए 515 करोड़ रुपये से अधिक निधि का समर्पण हुआ है। देश में मकर संक्रान्ति (15 जनवरी) से माघी पूर्णिमा (27 फरवरी) तक 42 दिन चले अभियान में 1 लाख 75 हजार टोलियों के माध्यम से लगभग 9 लाख कार्यकर्ताओं ने घर-घर संपर्क किया। 38 हजार 125 कार्यकर्ताओं के माध्यम से समर्पण निधि बैकों में जमा हुई। हम 4 लाख गांवों में समर्पण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए हैं। नगरीय क्षेत्रों के सभी वार्डों में संपर्क हुआ है। हालांकि अभी परिवारों के आंकड़े आने अभी शेष हैं किन्तु, अनुमानत: 10 करोड़ परिवारों से हमारा संपर्क हुआ है तथा समाज के हर क्षेत्र से समर्पण प्राप्त हुआ है।

जयपुर में चंपत राय की प्रेस कॉन्फ्रेंस

इस दौरान अनेक ऐसे प्रसंग आए जिन्होंने अभियान में लगे कार्यकर्ताओं के मन-मस्तिष्क को भी द्रवित कर दिया। अनेक स्थानों पर जहां भिक्षुकों ने समर्पण किया वहीं, दैनिक मजदूर व खेतिहर किसानों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। मुस्लिम समाज का समर्पण भी उल्लेखनीय है। अभियान के दौरान कई अनुभव कार्यकर्ताओं को द्रवित करने वाले रहे। इस्लाम के अनुयायियों में से हजारों परिवारों का सहयोग अभियान में मिला। राजस्थान में तो सडक़ पर कचरा बीनने वाली महिलाओं ने भी दिनभर की आमदनी का एक हिस्सा रामजी के लिए समर्पण में दिया। भिक्षुकों ने भी अपनी झोली में से समर्पण दिया। उन्होंने कहा कि 04 मार्च तक के आंकड़ों के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए अब तक 2500 करोड़ रुपये की राशि एकत्र हो चुकी है। अभी अंतिम आंकड़ा आना शेष है। निधि समर्पण अभियान पूर्ण हो जाने के बाद भी देश के प्रत्येक कोने से रामभक्त अपना समर्पण दे रहे है। अभी भी केन्द्रों तक पहुंचकर रामभक्त निधि का समर्पण कर रहे हैं। जो समाज के बंधु, रामभक्त संपर्क से छूट गए हैं, वे न्यास ट्रस्ट के नियमित खातों में समर्पण निधि जमा करा सकते हैं। वेबसाइट पर इन खातों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।उन्होंने कहा कि मंदिर के प्लिंथ (चबूतरे) के लिए मिर्जापुर जिले और परकोटे के लिए जोधपुर का पत्थर लगाने पर विचार चल रहा है। मंदिर में भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर का पत्थर लगेगा।

आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं नींव भरने का मसाला

उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए 400 फीट लम्बाई, 250 फीट चौड़ाई और 40 फीट गहराई तक मलबा बाहर निकाला जा रहा है। मलबा पूरा बाहर निकलने के बाद, भराई का काम शुरू होगा। रिफिलिंग का मटेरियल आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं। जमीन तक कॉन्क्रीट और इस पर 16.5 फीट ऊंचा चबूतरा पत्थरों से बनेगा। चबूतरे पर मंदिर बनेगा। मंदिर भूतल से 161 फीट ऊंचा होगा। मदिर 361 फीट लम्बा और 235 फीट चौड़ा होगा। तीन मंजिल बनेगा, प्रत्येक मंजिल की उंचाई 20 फीट होगी। कुल 160 खंभे लगेंगे। लगभग ढाई एकड़ में केवल मंदिर बनेगा। मंदिर के चारों ओर 6 एकड़ में परकोटा बनेगा। बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए रिटेनिंगवाल जमीन के अंदर दी जाएगी। तीन वर्ष में यह काम पूरा हो जाए इस तैयारी से हम काम कर रहे हैं।

सीवर और ड्रेनेज के पानी का शत प्रतिशत पुनः उपयोग होगा

राय ने बताया कि पर्यावरण के लिए अनुकूल वातावरण खड़ा करने का हम सब प्रयास कर रहे हैं। मंदिर के परकोटे के बाहर शेष 64 एकड़ भूमि पर क्या बने इस पर आर्किटेक्ट काम कर रहे हैं। अंदर का वातावरण सात्विक और प्राकृतिक बना रहे इसकी पूरी कोशिश है। अगस्त के महीने में 70 एकड़ भूमि का मैनुअल सर्वे जयपुर की एक कंपनी ने किया है। इस जमीन पर लगभग 500 विशाल वृक्ष हैं। बिना काटे ही वृक्षों को स्थानांरित किया जाएगा। 70 एकड़ में पानी का निकास ड्रेनेज और सीवर के माध्यम से कस्बे के बाहर नालियों और नगर पालिका की सीवर नहीं जाए, इसके लिए गंदे पानी का ट्रीटमेंट करके शत प्रतिशत पुनः उपयोग किया जाएगा।

मंदिर के परकोटे में जोधपुर का पत्थर लगाने का सुझाव भी

बंशी पहाड़पुर का पत्थर केवल मंदिर में लगेगा। अनेक लोगों का सुझाव है कि परकोटे में जोधपुर का पत्थर लगाया जाए। अभी यह विचाराधीन है। चबूतरे बनाने के लिए लिए भी मिर्जापुर जिले का पत्थर लगाने पर विचार चल रहा है। मंदिर, परकोटा और चबूतरे को मिला लें तो लगभग 12 से 13 लाख घन फीट पत्थर की आवश्यकता होगी।

बंशी पहाड़पुर का पत्थर श्रेष्ठ

उन्होंने कहा कि मंदिर पूर्णरूपेण पत्थरों से बनेगा। भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर का पत्थर हमने 1990 में ले जाना शुरू किया था। विशेषज्ञों के अनुसार यह उत्कृष्ट पत्थर है। इसमें बहुत सुंदर मैनुअल नक्काशी होती है। मंदिर निर्माण में लगभग चार से साढ़े चार लाख घनफीट पत्थरों का प्रयोग होगा। फिलहाल लगभग 60 हजार क्यूबिक पत्थर नक्काशी करके रखा है, जो हमने 1990 से लेकर 2006 तक तैयार किया था। बंशी पहाड़पुर के पत्थर की सिरोही जिले के तीन स्थानों पर नक्काशी की गई थी। मंदिर में लगने वाली सफेद मार्बल की चौखट मकराना के संगमरमर की है। बंशी पहाड़पुर वाला लगभग 3:30 लाख घन फीट पत्थर और चाहिए। राजस्थान की सरकार, अधिकारी राष्ट्रीय सम्मान के इस विषय में अपना योगदान दे रहे हैं और भविष्य में भी आने वाली बाधाओं का निराकरण करेंगे। इसके लिए सभी का अभिवादन है।

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