पंचांग और सुबह का विचार

पंचांग और सुबह का विचार

पंचांग और सुबह का विचार

पंचांग और सुबह का विचार

सुबह का विचार

न तथा तप्यते विद्ध: पुमान् बाणै: सुमर्मगै:।
यथा तुदन्ति मर्मस्था ह्मसतां पुरूषेषव:॥
अर्थात्
मनुष्य के शरीर में लगे बाण उतनी वेदना नहीं देते जितनी वेदना कठोर शब्द देते हैं।

।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।

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