पंचांग और सुबह का विचार
पंचांग और सुबह का विचार
सुबह का विचार
तत् कर्म यत् न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये।
आयासाय अपरं कर्म विद्या अन्या शिल्पनैपुणम्॥
जिस कर्म से मनुष्य बन्धन में नहीं बंधता वही सच्चा कर्म है। जो मुक्ति का कारण बने वही सच्ची विद्या है। शेष कर्म तो कष्ट का ही कारण होते हैं तथा अन्य प्रकार की विद्या केवल नैपुण्ययुक्त कारीगरी है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।