पंचांग 30 अगस्त 2020
पंचांग 30 अगस्त 2020
सुविचार
प्रसह्यमणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरात्
समुद्रमपि सन्तरेत् प्रचलदूर्मिमालाकुलम्।
भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद् धारयेत्
न तु प्रतिनिविष्ट मूर्खजन चित्तमाराधयेत्।।
अर्थात्
मनुष्य कठिन प्रयास करते हुए मगरमच्छ की दंतपंक्ति के बीच से मणि बाहर ला सकता है, वह उठती-गिरती लहरों से व्याप्त समुद्र को तैरकर पार कर सकता है, क्रुद्ध सर्प को फूलों की भांति सिर पर धारण कर सकता है, किंतु दुराग्रह से ग्रस्त मूर्ख व्यक्ति को अपनी बातों से संतुष्ट नहीं कर सकता। अतः अपने जीवन में मूर्ख दुराग्रही से अत्यन्त सावधान रहें।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।