पट चुकी तलाई से मिट्टी निकाल तलाई के साथ ही वन्यजीवों को भी दिया जीवनदान
– डॉ. शुचि चौहान
एक और एक दो ही नहीं, ग्यारह भी होते हैं। जब हम किसी नेक काम को हाथ में लेते हैं तो लोग स्वयं ही जुड़ते जाते हैं और कारवां बन जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ जयपुर जिले की जमवारामगढ़ तहसील के गॉंव पाली में। इस गॉंव के पास एक पहाड़ है – पाली वाला डूंगर, जो जमवारामगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र में आता है। पहाड़ की तलहटी में एक मंदिर है। पिछले वर्ष गॉंव के दो युवकों अमन गुर्जर व हंसराज गुर्जर ने यहॉं कुछ पेड़ लगाए थे। वे प्रत्येक रविवार पेड़ों को पानी देने जाते थे। प्रकृति प्रेमी अमन व हंसराज ने लॉकडाउन के दौरान पहाड़ पर जाने की सोची। वहॉं जाने पर इनका ध्यान एक तलाई की ओर गया जिसमें कभी पानी का अच्छा भराव होता था। समय के साथ उसमें मिट्टी भर गई थी और पानी का भराव भी बंद हो गया था। वापस आकर यह बात उन्होंने अपने भाई विक्रम को बताई और तलाई की मिट्टी निकालने की ठानी। विक्रम बताते हैं दोनों की लगन ऐसी थी कि उन्होंने अगले दिन अकेले ही खुदाई शुरू कर दी। धीरे धीरे गॉंव के अन्य युवक भी उनके साथ आ गए और अंतत: गॉंव की पूरी युवाशक्ति इस काम में जुट गई। इन लोगों ने महीने भर में 5 फुट मिट्टी निकाल कर तलाई को जल संग्रहण के लिए तैयार कर दिया।
विक्रम का कहना है कि जलस्रोतों की कमी के कारण आस पास के वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र से पानी की तलाश में जंगली जानवर भी गॉंव में आने लगे थे। वे ग्राम्य पशुओं को उठा ले जाते थे और स्वयं भी आवासीय क्षेत्र में आने के कारण गॉंव वालों का आसान शिकार बन जाते थे। उनका मानना है कि इस बार बारिश के मौसम में इसमें अच्छा पानी आ जाएगा। तलाई में जल संग्रहण से पशु पक्षियों की प्यास तो बुझेगी ही, जमीन में पानी का स्तर भी बढ़ेगा। वन्यजीवों का आवासीय क्षेत्रों में आना कम होगा तो ग्राम्य पशुओं की हानि कम होगी और वन्यजीव भी सुरक्षित रहेंगे। वे पॉंव में परेशानी के कारण स्वयं इस पुण्य काम में भागीदार न हो पाने का अफसोस जताना भी नहीं भूलते।
वे बताते हैं उनका पूरा परिवार संघ का स्वयंसेवक है। गॉंव में आजाद शाखा लगती है। सभी स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से पक्षियों के लिए परिंडे बांधने, पौधारोपण करने, पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था आदि करने जैसे काम करते रहते हैं। इन युवकों ने चरागाहों पर हो रहे अवैध कब्जे व पहाड़ पर हो रही पेड़ों की अवैध कटाई को भी रोकने के प्रयास किए। प्रशासन को पत्र लिखे परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई।
अति सुंदर
अनुकरणीय कार्य
विचारणीय विषय
*जल है तो जीवन है
*जल ही जीवन का आधार है
*जल है तो कल है
“अगर जिंदा रहना है तो
मानव को प्रकृति से प्रेम करना ही पड़ेगा”
अतिउत्तम….बहुत ही चुनोत्तीपूर्ण कार्य को बहुत ही निस्स्वार्थ भाव से पूर्ण करने के लिए बहुत बहुत बाहर आप जैसी युवशक्ति का।। जय हो।
बहुत आभार ?