परतें खोलती फिल्म : लॉस्ट (2023)
परतें खोलती फिल्म : लॉस्ट (2023)
16 फरवरी 2023 को ज़ी फाइव पर प्रदर्शित हुई फिल्म लॉस्ट भारत में प्रचलित विचारधाराओं के बारे में कई मूलभूत प्रश्न खड़े करती है। समानता का अधिकार सबको मिलना चाहिए। पर क्या समानतावादी विचारों के पैरोकार वास्तव में समानता स्थापित करने का उद्देश्य लिए हुए हैं या वह उनके व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति हेतु किया जाने वाला संघर्ष है, जिसमें कितने ही वंचित, निर्दोष युवाओं की बलि चढ़ जाती है?
फिल्म के केंद्र में विधि साहनी, एक पत्रकार है, जो सहसा गायब हुए थिएटर करने वाले युवा, ईशान भारती की मीडिया स्टोरी पर काम कर रही है। ईशान भारती आज का युवा है। सामाजिक समानता के बारे में आदर्श विचार रखता है। शोषितों के लिए नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अपनी आवाज़ मुखर करता है। परंतु वह यह सामाजिक और राजनीतिक बदलाव हिंसा के द्वारा नहीं चाहता। वह मुखर होकर कहता है कि यह परिवर्तन शिक्षा से ही आएगा। शिक्षा से ही रंजन वर्मन जैसे शक्तिशाली वर्ग के प्रतिनिधि परास्त होंगे, जो स्वयं पूंजीवादी व्यवस्था की आड़ में समानता का भ्रम पैदा करते हैं और पूरे राजनीतिक तंत्र को अपना मोहरा बनाकर रखते हैं।
लॉस्ट उस हिंसावादी विचार तंत्र का भी पर्दाफाश करती है जो क्रांतिकारी विचारों की आड़ में शिक्षित युवाओं को अपने चंगुल में फांस लेता है और अपराध के रास्ते पर धकेल देता है। माओवादी नेता भीष्म राणा अपने व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करता है, समानता स्थापित करना उसका लक्ष्य नहीं है। यह बात ईशान भली-भांति समझता है। शोषक रंजन भी है और भीष्म भी। यह तथ्य पत्रकार विधि को भी नए भंवर में ला खड़ा करता है। भारत की पत्रकारिता का ढर्रा भी फिल्म में दिखाया गया है, जो तथ्यों से प्राय: अछूती रहती है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में वाम समर्थित सरकारों की वस्तुस्थिति का खुलासा है यह फिल्म।
यामी गौतम का अभिनय छाप छोड़ता है। पंकज कपूर, राहुल खन्ना, तुषार पांडे, पिया बाजपई और अन्य सभी कलाकार ध्यान आकर्षित करके रखते हैं।