परम नाम है राम (कविता)
सरोज कंवर राठौड़
दो अक्षर के नाम में समस्त संसार समाता है मात्र नाम के जपने से यह मन तृप्त हो जाता है ऐसा परम नाम है “राम”।
गुणी का सर्वोत्तम गुण है “राम”
ज्ञानी के लिए ज्ञान है “राम”
गुण व ज्ञान का संगम हो तो
उस संगम का बखान है “राम”।
शूरवीर का शौर्य है” राम”
संघर्षशील का धैर्य है “राम”
शौर्य-धैर्य का संगम हो तो
उस संगम का आधार है “राम”।
तपस्वी का तप है “राम”
निशदिन किसी का जप है”राम”
तप व जप का संगम हो तो
उस संगम का तेज है “राम”।
भौतिकवादी का स्थूल है” राम”
ब्रह्म ज्ञानी का सूक्ष्म है” राम”
स्थूल-सूक्ष्म का सार भी है
सीमित नहीं अपार है” राम”।
नदियों का सागर है” राम”
बेलों में “नागर” है “राम”
नित करुणा को छलकाए जो,
वह विशाल गागर है “राम”।
प्रकृति का प्रेम है “राम “
जो बरसता निश्चल अविराम
सूर्य का प्रकाश है “राम”
असीमित अनंत आकाश है “राम”।
धनुष के लिए बाण है “राम”
प्रत्येक जीव का प्राण है “राम”
जीवन का समस्त सार है “राम”
संसार के तारणहार हैं “राम”।