राजस्थान में कोरोना की आड़ में पाठ्यक्रम से फिर छेड़छाड़

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सत्र 2020-21 में 9 वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 40 फीसदी कटौती की

राजस्थान में कोरोना की आड़ में पाठ्यक्रम से फिर छेड़छाड़

  • विद्यार्थी अब नहीं पढ़ेंगे बप्पा रावल, भगतसिंह, चंद्रशेखर का इतिहास

जयपुर। मार्क्सवादी फोबिया से ग्रस्त कांग्रेसियों के लिए न तो वीर सावरकर ‘वीर’ हैं और न ही महाराणा प्रताप ‘महान’। हां, चित्तौड़गढ़ में 40 हजार लोगों का नरसंहार कर अजमेर शरीफ पर सजदा करने वाला अकबर जरूर इनके लिए महान है। अकबर के समय में लिखे गए राजदरबारी फारसी वृत्तान्त को ऐतिहासिक स्रोत मानकर पाठ्य पुस्तकों से राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को मनमाफिक बदलना इनका पैशन बन गया है। ऐसे में मेवाड़-वागड़ के महापुरूष बप्पा रावल के साथ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई महान सेनानियों के संदर्भ पुस्तकों में पढ़ने को नहीं मिलेंगे।

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सत्र 2020-21 में 9 वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 40 फीसदी कटौती की

जानकारी के अनुसार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सत्र 2020-21 में 9 वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 40 फीसदी कटौती की है। आधा सत्र बीतने के बाद संशोधित पाठ्यक्रम लागू कर दिया। जिसमें कई मूल जानकारी और 12वीं राजनीति विज्ञान, इतिहास सहित लगभग सभी विषयों में अध्याय उतने ही हैं, विषय वस्तु में कमी की गई है। मसलन- राजनीति विज्ञान के छात्र संविधान के मूल अधिकार, नीति निर्देशक तत्व, मूल कर्तव्य नहीं पढ़ेंगे, जबकि इतिहास की किताब से मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल, स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के संदर्भ नहीं होंगे।

देश में तीन साल पहले लागू जीएसटी तक को व्यवसाय अध्ययन से हटा दिया गया। लोक प्रशासन में नीति आयोग, कौटिल्य के प्रशासनिक विचारों के अलावा हिंदी, भूगोल सहित कई विषयों पर भी कैंची चली है। भारतीय संविधान में अधिकार, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, संघवाद, विशिष्ट प्रावधान, स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, नागरिकता, आर्थिक सुधार 1991, वैश्वीकरण जैसी विषयवस्तु गायब है।

बेसिक जानकारियां हटाने से अधूरी रहेगी विषयों की समझ 
विशेषज्ञों के अनुसार बीएड प्रवेश से लेकर हर प्रतियोगी परीक्षा में भारत का इतिहास और राजनीतिक विचारधाराओं जैसी विषयवस्तु से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। संविधान के मूल तत्व हटाने से स्कूल शिक्षा का ज्ञान अधूरा ही रह जाएगा। जीएसटी आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक है, जिसकी जानकारी होना छात्र के लिए बेहद जरूरी है। अभी भारत और पड़ोसी देशों में संबंध संवेदनशील हैं। इनकी जानकारी छात्रों को न देना भी गलत होगा। यह सब विदेश नीति वाले अध्याय में अब नहीं हैं। हर्षकालीन भारत और बप्पा रावल इतिहास के स्वर्णिम अध्याय हैं।

पुस्तक से इतिहास के स्वर्णिम अध्याय कटे 
हर्ष कालीन भारत, विजयनगर साम्राज्य उदय, कला-साहित्य विकास, यूनानी, शक, हूण और कुषाण- उद्देश्य और प्रभाव दाहिर सेन, नागभट्ट, बप्पा रावल, हम्मीर, रावल रतन सिंह, भूमिका, उत्पत्ति, विस्तार, उपनिवेशवादी आक्रमण के साथ ही क्रांतिकारी आंदोलन: जनजातीय प्रतिरोध, अभिनव भारत, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन, गदर पार्टी राजनैतिक आंदोलन: 1907 से 1919 प्रथम विश्व युद्ध और भारत, जलियांवाला हत्याकांड। 1920 से 1947 : खिलाफत आंदोलन, गोल मेज सम्मेलन, द्वितीय विश्व युद्ध और भारत। प्रमुख अवधारणाएं: उदारवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद, गांधीवाद, संविधान में मूल अधिकार, नीति निर्देशक तत्व और मूल कर्तव्य आदि।

बोर्ड का दावा है कि विद्यार्थी कोर्स की अच्छी तरह से तैयारी कर सकेंगे, क्योंकि परीक्षा में सिर्फ 4 माह ही शेष रहे…बोर्ड प्रशासन का दावा है कि पाठ्यक्रमों से गैरजरूरी और कम महत्व वाली विषयवस्तु ही हटाई हैं। बच्चों को अब भी सालाना कक्षा के अनुसार ज्ञान मिलेगा। शेष समय में 60 प्रतिशत पढ़ाई कर पाना ही संभव है। ऐसे में वे परीक्षा तक अच्छी तैयारी कर सकेंगे। इससे परिणाम में अनपेक्षित नुकसान होने की गुंजाइश नहीं रहेगी।

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष प्रो. भरतराम कुम्हार ने बताया कि कोविड काल में पाठ्यक्रम में कटौती करना तय हुआ था, लेकिन किस प्रकार कटौती करेंगे इसे लेकर कोई गाइडलाइन नहीं बनाई गई और ना ही शिक्षकों से सुझाव लिए गए। ऐसे में समिति ने सरकार को खुश करने के लिए राजस्थान के कई महापुरुषों को पाठ्यक्रम से हटा दिया। पूर्व में भी वीर सावरकर व महाराणा प्रताप के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। सरकार के नुमाइंदों के लिए प्रताप महान नहीं बल्कि अकबर महान है। ऐसी सोच रखकर पाठ्यक्रम बनाने वाले भावी पीढ़ी को महापुरुषों की गौरवगाथा से प्रेरणा लेने से वंचित करने कर रहे हैं।

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