कोरोना महामारी में स्वयंसेवकों के सेवा-कार्यों की कहानी कहता पाथेय कण

कोरोना महामारी में स्वयंसेवकों के सेवा-कार्यों की कहानी कहता पाथेय कण

कोरोना महामारी में स्वयंसेवकों के सेवा-कार्यों की कहानी कहता पाथेय कण

पाथेय कण पाक्षिक का नया अंक (1 नवम्बर, 2020) कोरोना काल के ‘सेवा विशेषांक’ के रूप में प्रकाशित हुआ है। कोरोना महामारी के कारण पीड़ित बन्धु-भगिनियों की सहायता तथा देश को महामारी के प्रकोप से बचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों तथा संघ से प्रेरित संगठनों ने अन्य राज्यों के साथ-साथ राजस्थान में स्थान-स्थान पर विभिन्न प्रकार के सेवाकार्य किए। प्रस्तुत अंक इन सेवाकार्यों की आवश्यकता, उनकी प्रकृति एवं प्रभाव आदि अनेक पक्षों पर बखूबी प्रकाश डालता है।

3 लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने 55 हजार स्थानों पर जाति, पंथ आदि की निराधार धारणाओं को तोड़ते हुए विशुद्ध मानवता और निस्वार्थ भावना से सेवाकार्य चलाए। वामपंथी, तबलीगी और देश-विरोधी ताकतों ने इस आपदा काल में भी नागरिकों को दिग्भ्रमित व विभाजित करने के लिए अनेक षड्यंत्र रचे; लेकिन इन सेवाकार्यों से प्रतिध्वनित होते सामाजिक-समरसता के संदेश ने ऐसे सभी कुत्सित प्रयासों को असफल कर देश को एक सूत्र में बाँध दिया। यही कारण था कि खालिदा बेगम ने हजयात्रा के लिए संचित किए 5 लाख रुपए सहर्ष सेवा भारती को दान में दे दिए। इसी तरह देशराज जैसे विपन्न व साधनहीन व्यक्तियों तथा गाड़िया लुहार जैसे घुमंतू समुदायों ने भी इस कार्य में अपनी सहभागिता करके समाज के सम्मुख अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। ऐसे अनेक उदाहरण और प्रसंग प्रस्तुत अंक में संकलित हैं।

निश्चित ही 108 पृष्ठों का यह ‘सेवा विशेषांक’ कोरोना काल के सेवाकार्यों का विस्तृत और सजीव वर्णन करते हुए संघ के सेवा कार्यों की परम्परा को जानने के लिए आम-पाठकों की उत्सुकता को बढ़ाता है। यही अंक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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