पादरी द्वारा यौन दुर्व्यवहार के शिकार व्यक्ति को मिला मुआवजा

पादरी द्वारा यौन दुर्व्यवहार के शिकार व्यक्ति को मिला मुआवजा

पादरी द्वारा यौन दुर्व्यवहार के शिकार व्यक्ति को मिला मुआवजाप्रतीकात्मक फोटो

कैथोलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर हुई है। जर्मनी के डार्मस्टैड में एक सोशल वेलफेयर कोर्ट (Social Welfare Court, Darmstadt) ने 63 साल के एक व्यक्ति को यौन उत्पीड़न के केस में मुआवजा दिया है। पीड़ित ने बताया कि मार्च, 1963 में जब वे पॉंच वर्ष के थे तब जर्मन शहर स्पीयर में ‘ऑर्डर ऑफ़ सिस्टर्स’ द्वारा चलाए जा रहे द डिवाइन सेवियर होम में वे रहने आए। वहीं पांच वर्ष की आयु में उनके साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ। उन्होंने बताया कि सितंबर, 1972 में उन्होंने वह होम छोड़ा तब तक उनके साथ एक हजार बार यौन दुर्व्यवहार किया गया था। पहली बार उन्हें बिशप मोत्ज़ेनबैकर (Bishop Rudolf Motzenbäcker) के अपार्टमेंट में यौन शोषण के लिए भेजा गया था। तब से यह सिलसिला चल पड़ा। उनका कहना है कि कई बार उनकी हालत ऐसी हो जाती थी कि जब वे चिल्ड्रन्स होम वापस पहुंचते थे तो उनके पैरों से खून टपक रहा होता था। विरोध करने पर पिटाई होती थी। व्यक्ति ने खुलासा किया कि चर्च की ननें दलाल की तरह काम करती थीं और और 7 से 14 साल के बच्चों को पादरी, स्थानीय राजनेताओं और व्यवसायियों के पास भेजा करती थीं।

पीड़ित ने अपनी गवाही में अदालत से कहा, “एक कमरा था, जहाँ नन पुरुषों को ड्रिंक और खाना देती थीं और दूसरे कोने में बच्चों के साथ दुष्कर्म किया जाता था।” उन्होंने कहा इस सबके बदले ननों को पैसा मिलता था। ननें स्वयं भी बच्चों का शोषण करती थीं।

स्पीयर (Speyer) के बिशप कार्ल-हेंज वीसमन (Karl-Heinz Wiesemann) ने सार्वजनिक रूप से बिशप रुडोल्फ मोत्ज़ेनबैकर, जिनकी 1998 में मृत्यु हो गई, का नाम लेते हुए उन्हें ऐसे जघन्य अपराध में शामिल बताया है। साथ ही स्पीयर के चिल्ड्रन्स होम में काम करने वाली एक ईसाई नन पर बच्चे सप्लाई करने के आरोप लगे हैं।

बिशप ने कहा कि इस केस का खुलासा होने के बाद से तीन और पीड़ित आगे आ चुके हैं। इस केस में कैथोलिक चर्च ने पीड़ित को 15,000 यूरो मुआवजे के साथ 10,000 यूरो थैरेपी का मूल्य पेंशन के रूप में भुगतान किया है। डार्मस्टैड सामाजिक न्यायालय (Darmstadt Social Court) के न्यायाधीश एंड्रिया हेरमैन ने कहा, दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के लिए, कानूनी कार्रवाई करना काफी मनोवैज्ञानिक तनाव से जुड़ा हुआ है। जबकि पीड़ित का कहना है कि इस तरह के पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और अवसाद से पीड़ित होने के बाद इस पैसे का क्या उपयोग है। मेरा तो जीवन ही बेकार हो गया।

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