पुस्तकें मन में बसाओ

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ज्ञान की गंगा बहाओ
पुस्तकों से दिल लगाओ।
रात भी उजली लगेगी
चाँद की छतरी सजेगी
भोर भी बातें करेगी
जब किताबें साथ होंगी।
सृष्टि है आकंठ डूबी
सद्य गीत गुनगुनाओ
ज्ञान की गंगा बहाओ।
वीर कथाएँ सुनाओ
दीन की पीड़ा मिटाओ
पुस्तकों से दिल लगाओ।
नेकि यों की राह घूमें
नव विचार भाल सूझें
सद् विचार मन में लाओ।
पुस्तकें मन में बसाओ
भानुजा श्रुति
जयपुर ।